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    Famous Temples of Punjab: जालंधर में है पंजाब का एकमात्र सिद्ध शक्तिपीठ मां त्रिपुरमालिनी मंदिर, हर वर्ष अप्रैल में लगता है मेला

    By Pankaj DwivediEdited By:
    Updated: Sun, 03 Jul 2022 02:57 PM (IST)

    Famous Temple of Jalandhar 51 सिद्ध शक्तिपीठों में से पंजाब का एकमात्र सिद्ध शक्तिपीठ जालंधर के श्री देवी तालाब मंदिर में स्थित है। देवी भागवत पुराण में सभी शक्तिपीठों का जिक्र मिलता है। उसके अनुसार श्री देवी तलाब मंदिर में माता का बायां वक्ष (स्तन) गिरा था।

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    जालंधर स्थित शक्तिपीठ मां त्रिपुरमालिनी धाम में पूजन करते हुए श्रद्धालु। जागरण

    शाम सहगल, जालंधर। विश्व भर में स्थित कुल 51 सिद्ध शक्तिपीठों में से पंजाब का एकमात्र सिद्ध शक्तिपीठ जालंधर के श्री देवी तालाब मंदिर में स्थित है। मां त्रिपुरमालिनी धाम श्री देवी तालाब मंदिर की परिक्रमा के दौरान स्थित है। जहां पर पंजाब ही नहीं बल्कि देश भर से मां भक्ति शामिल होकर देवी के मंदिर में नतमस्तक होते हैं। बताया जाता है कि मां त्रिपुरमालिनी मंदिर में श्रद्धालु मन्नतें मांगने के लिए देश भर से यहां पर आते हैं, जो पूरी होने पर खीर का प्रसाद तथा लाल झंडे लेकर बैंड बाजों के साथ मां त्रिपुरमालिनी का शुकराना करने पहुंचते हैं।

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    मां के धाम पहुंचना बेहद आसान

    अगर आप भी यहां आने चाहते हैं तो जालंधर सिटी रेलवे स्टेशन से यह स्थान दूर नहीं है। यहां पहुंचने के लिए रेलवे स्टेशन से आटो आसानी से मिल जाता हैं। दिल्ली, उत्तराखंड और यूपी के कई शहरों से भी जालंधर से निजी बसें आती-जाती हैं।

    यह है भगवान शिव शक्ति पीठ की महिमा

    पौराणिक कथा के मुताबिक जब भगवान शिव की पत्नी सती माता अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति को न बुलाए जाने का अपमान सहन नहीं कर पाई तो उसी यज्ञ में कूद गई। भगवान शिव को जब यह पता चला तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया व राजा दक्ष का सिर काट दिया।

    बाद में भगवान शिव ने अपनी पत्नी सती की जली हुई लाश लेकर विलाप करते हुए सभी ओर घूमते रहे। जहां-जहां माता के अंग और आभूषण गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ निर्मित हो गए। देवी भागवत पुराण में सभी शक्तिपीठों का जिक्र मिलता है। उसके अनुसार श्री देवी तलाब मंदिर में माता का बायां वक्ष (स्तन) गिरा था।

    हर शुक्रवार होती है भजन संध्या

    मां त्रिपुरमालिनी मंदिर में हर शुक्रवार को भजन संध्या का आयोजन किया जाता है। इसके लिए विख्यात भजन लेखक दिवंगत बलबीर निर्दोष ने मंदिर कमेटी के सदस्यों के साथ मिलकर इस स्थान का प्रचार शुरू किया था। इन दिनों यहां पर शुक्रवार को होने वाली भजन संध्या में राज्य भर से भजन गायक शामिल होकर मां के दरबार में हाजिरी लगाते हैं। इसी तरह अप्रैल में मंदिर में वार्षिक मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें देशभर से मां भक्तों शामिल होकर धार्मिक रस्में पूरी करते हैं।

    मंदिर की वास्तुकला

    मंदिर निर्माण के दौरान वास्तुकला का खास ध्यान रखा गया है। 12 सीढ़ियां चढ़ने के बाद मंदिर का दरबार आता है। एक तरफ पीपल का पेड़ और मां का झूला है जो आध्यात्मिकता से ओतप्रोत है।

    नवरात्र में होती है दो पहर की पूजा

    सिद्ध शक्तिपीठ मां त्रिपुरमालिनी मंदिर में नवरात्र के दिनों में दो पहर की पूजा की जाती है। वहीं, नवरात्र के दिनों में रोजाना भजन संध्या का आयोजन किया जाता है। जिस में श्रद्धालु शामिल होकर मां की महिमा का गुणगान करते हैं।