Punjab News: पराली जलाने वाले किसानों की राजस्व रिकार्ड में होगी रेड एंट्री, अब प्रशासन करेगा ये कार्रवाई
अधिकारियों का कहना है कि पराली को आग लगाने से जहां पर्यावरण को नुकसान होता है वहीं लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं के कारण भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति भी कम हो जाती है और इससे फसलों के लिए उपयोगी कई कीट भी मर जाते है जिससे फसलों की पैदावार पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

जागरण संवाददाता, जालंधर। डिप्टी कमिश्नर विशेष सारंगल के निर्देश पर एडीसी जसबीर सिंह ने किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक किया। फिल्लौर सब-डिवीजन के गांव तेहिंग में किसानों से मुलाकात कर उनको पराली को आग लगाने से होने वाले नुकसान की जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि धान की पराली को आग लगाने वाले किसानों की राजस्व रिकार्ड में रेड एंट्री सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन सख्त कार्रवाई कर रहा है।
पर्यावरण को हो रहा नुकसान
एडीसी जसबीर सिंह ने कहा कि पराली को आग लगाने से जहां पर्यावरण को नुकसान होता है, वहीं लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं के कारण भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति भी कम हो जाती है और इससे फसलों के लिए उपयोगी कई कीट भी मर जाते है, जिससे फसलों की पैदावार पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली राज्य सरकार धान की पराली के उचित प्रबंधन के लिए किसानों को सब्सिडी वाली कृषि मशीनें उपलब्ध करवा रही है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही जो किसान धान की पराली को खेतों में मिलाकर अगली फसल की बुआई करेंगे, उन्हें प्रति एकड़ 1500 रुपये की राशि दी जा रही है।
किसानों से अपील
इस अवसर पर सबडिवीजन मैजिस्ट्रेट, फिल्लौर अमनपाल सिंह ने दौरे के दौरान गांव तेहिंग के खेतों में पराली में देखी तो फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को बुला कर आग बुझवाई। उन्होंने कहा कि किसान धान की पराली की गांठें बनाकर बेलर मशीन के माध्यम से बेच सकते है, जिससे उनकी आय भी बढ़ेगी। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे प्रशासन द्वारा धान की पराली को आग न लगाने के लिए चलाए गए अभियान को सफल बनाने में पूरा सहयोग दें ताकि पर्यावरण को स्वच्छ रखा जा सके।
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