पंजाब के मालेरकोटला में रोचक चुनावी दंगल, दो पूर्व डीजीपी की पत्नियां रजिया सुल्ताना और फरजाना आलम फिर आमने-सामने
Punjab Assembly Election 2022 पूर्व संसदीय सचिव निशारा खातून उर्फ फरजाना आलम को पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमररिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी ने चुनाव मैदान में उतारा है। वह पूर्व डीजीपी इजहार आलम की पत्नी हैं। कांग्रेस प्रत्यासी कैबिनेट मंत्री रजिया सुल्ताना पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा की पत्नी हैं।
संवाद सूत्र, मालेरकोटला। पंजाब विधानसभा चुनाव में मालेरकोटला में रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। मुस्लिम बाहुल्य सीट पर निवर्तमान विधायक रजिया सुल्ताना, पूर्व विधायक फरजाना आलम को जहां एक बार फिक से जीत की आस है तो अन्य दावेदार दोनों को पछाड़ कर विजय सुनिश्चित करना चाहेंगे। पूर्व संसदीय सचिव निशारा खातून उर्फ फरजाना आलम को पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमररिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी ने चुनाव मैदान में उतारा है। फरजाना आलम पंजाब वक्फ बोर्ड की चेयरपर्सन रह चुकी हैं। वह पूर्व डीजीपी इजहार आलम की पत्नी हैं। कांग्रेस प्रत्यासी कैबिनेट मंत्री रजिया सुल्ताना पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा की पत्नी हैं।फरजाना आलम वर्ष 2012 में विधायक चुनी गईं थी।
फरजाना आलम के चुनाव मैदान में उतरने से चुनाव दंगल रोचक बन गया है। कांग्रेस से कैबिनेट मंत्री रजिया सुल्ताना, शिअद-बसपा गठजोड़ से पूर्व मंत्री नुसरत इकराम खान, आम आदमी पार्टी से जमील उर रहमान व किसान संगठनों के संयुक्त समाज मोर्चे से एड. जुलफ्कार अली मलिक चुनावी अखाड़े में हैं।
वर्ष 2012 में हलका मालेरकोटला से शिअद-भाजपा उम्मीदवार के तौर पर फरजाना आलम 56618 वोट हासिल करके विधायक बनी थी। उनके मुकाबले कांग्रेसी उम्मीदवार कैबिनेट मंत्री रजिया सुल्ताना को 51418 वोट व बसपा के उम्मीदवार जमील उर रहमान को केवल 2236 वोट मिली थीं। इस बार फिर तीनों मैदान में हैं। विधानसभा चुनाव 2017 में फरजाना आलम चुनाव मैदान में नहीं उतरे। अकाली दल ने कारोबारी मोहम्मद उवैस को टिकट दे दी, लेकिन कांग्रेसी उम्मीदवार रजिया सुल्ताना ने जीत दर्ज की।
फरजाना आलम ने 2010 में राजनीति में कदम रखा
फरजाना आलम ने 2010 में राजनीतिक में पैर रखा था। तब अकाली दल ने स्थानीय नेताओं को किनारे करते हुए उनके पति इजहार आलम को पंजाब वक्फ बोर्ड का चेयरमैन नियुक्त कर हलका मालेरकोटला का पार्टी इंचार्ज बना दिया था। अकाली दल ने इजहार आलम की बजाए उनकी पत्नी फरजाना आलम को टिकट देकर 2012 की विधानसभा चुनाव में उतारा। अकाली दल ने आलम को पहले हज कमेटी, बाद में पंजाब वक्फ बोर्ड की चेयरपर्सन व महिला अकाली दल की उपप्रधान नियुक्त किया।
फरजाना ने अचानक पंजाब लोक कांग्रेस का दामन थामा
पार्टी ने 20 अक्टूबर, 2020 में फरजाना आलम को महिला अकाली दल की महासचिव बना दिया लेकिन पार्टी नेताओं के विरोध पर उन्हें कुछ दिन के बाद पद से हटा दिया गया। उनके पति इजहार आलम के 6 जुलाई, 2020 को देहांत (इंतकाल) के बाद आलम ने राजनीतिक को अलविदा कहने का मन बना लिया, लेकिन अचानक ही उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी का दामन थाम लिया।