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    Punjab LPG Tanker Blast: किसी ने घर तो किसी ने अपनों को खोया, हर तरफ दिखा तबाही का मंजर; नहीं थम रहे बर्बादी के आंसू

    जालंधर-होशियारपुर हाईवे पर गैस टैंकर और बोलेरो की टक्कर से हुए धमाके ने मंडियाला में तबाही मचा दी। 70-80 मीटर तक दुकानें और मकान जल गए। एक मेडिकल स्टोर संचालक के पिता जिंदा जल गए जबकि एक भाई-बहन का नया बुटीक राख हो गया। कुछ लोगों ने साहस दिखाते हुए अपनी जान बचाई। धमाके के बाद मची अफरा-तफरी में लोग समझ नहीं पाए कि क्या हो रहा है।

    By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Sun, 24 Aug 2025 10:12 AM (IST)
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    Punjab LPG Tanker Blast: ब्लास्ट होने के बाद हर तरफ दिखा तबाही का मंजर। फोटो जागऱण

    जागरण संवाददाता, जालंधर, होशियारपुर (मंडियाला)। जालंधर-होशियारपुर नेशनल हाईवे पर आदमपुर से आगे मंडियाला में शुक्रवार रात गैस टैंकर व बोलेरो की टक्कर से धमाके के साथ बने आग के गोले से हुए भयानक हादसे ने लोगों को इतने गहरे जख्म दिए हैं कि वे जिंदगी भर नहीं भर पाएंगे।

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    मंडियाला में नेशनल हाईवे पर जिस जगह यह हादसा हुआ, उसके आसपास 70 से 80 मीटर दूर तक जितनी दुकानें थीं या मकान थे, सब पूरी तरह से जल गए। आग में मेडिकल स्टोर संचालक के पिता जिंदा जल गए, भाई-बहन का ढाई लाख उधार लेकर 15 दिन पहले खोला बुटीक राख हो गया।

    अचानक हुए प्रलयंकारी अग्निकांड के बीच कुछ लोगों ने साहस दिखाकर अपने को तथा अपने परिवार के सदस्यों को बचा लिया। एक व्यक्ति जान बचाने के लिए छत से कूद गया परंतु उसके पैर में फ्रैक्चर आ गया है। लोग समझ ही नहीं पाए कि यह हो क्या गया है।

    कांड के अगले दिन शनिवार को दैनिक जागरण ने घटनास्थल पर वास्तविक स्थिति देखी तो कुछ पीड़ितों ने धमाके से उठे आग के गोले के कहर पर बात की और अपनी जान बचाने के लिए रात को किए संघर्ष के बारे में बताया।

    मौत से लड़ते रहा

    जिस स्थान पर धमाके से आग लगी, उस स्थान के ठीक सामने सड़क पार पूर्व सरपंच रेशम सिंह का घर है। उन्होंने बताया कि रात पौने दस बजे जब टैंकर में धमाका हुआ तो उस समय घर पर तीन बच्चों सहित परिवार के सात सदस्य मौजूद थे। धमाके के साथ इतनी भयानक आग देखकर हमें ही पता है कि बच्चों को कैसे बचाया। लोहे का गेट होने के कारण आग सीधे अंदर नहीं पहुंच पाई। इस बीच एक सीढ़ी घर के अंदर लगाई और दूसरी बाहर खेत की ओर।

    इन सीढ़ियों से बच्चों सहित परिवार को बाहर निकालकर जान बचाई। रेशम सिंह कहते हैं कि मौत को सामने देख पहली बार सीढ़ियां चढ़ते समय हाथ-पांव कांप रहे थे, न जाने अगले पल क्या हो जाए। उनके घर के दरवाजों के शीशे टूट गए, कार का बंपर निकल गया, बाहर लगे बिजली के स्विच पिघल गए।

    उन्होंने कहा कि हमें तो परमात्मा ने बचा लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 14-15 साल से खेतों में बने एक मकान में मिलीभगत से गैस की कालाबाजारी का धंधा चल रहा है।

    जिंदा जले मेडिकल स्टोर संचालक

    यह टैंकर वहीं जा रहा था और यह हादसा हो गया। अब इतने लोग बिना किसी गलती के जान गंवा बैठे, उनके परिवार को मिले जख्म कभी नहीं भर पाएंगे। जिस जगह गैस टैंकर को आग लगी, उसके ठीक सामने मेडिकल स्टोर था।

    लोगों ने बताया कि इस इलाके का सबसे अच्छा मेडिकल स्टोर था। अब वहां कुछ भी नहीं बचा है। रात हादसे के समय मेडिकल स्टोर संचालक के पिता छत पर थे। इस हादसे में वह जिंदा जल गए। सब्जी से लदी पिकअप, जिसकी टैंकर से टक्कर हुई थी, का ड्राइवर भी अपनी सीट पर जिंदा ही जल गया।

    पास के गांव से आए तरणजीत सिंह बताते हैं कि सामने जूतों की दुकान है। उसका मालिक व परिवार पीछे ही घर में रहता है। रात को जब आग लगी तो दुकानदार ने छत पर चढ़कर पीछे से परिवार को नीचे उतार दिया।

    खेतों में भागकर बचाई जान

    पास के गांव से आए तरणजीत ने बताया कि रात को जब धमाके के साथ आग लगी तो आसपास के गांवों के लोग भी सहम गए थे। लगा बम धमाका हो गया। गांव के गुरुद्वारा साहिब से अनाउंसमेंट भी करवाई गई कि गैस के टैंकर में ब्लास्ट हुआ है। गांव में लोग बाहर बैठ जाएं और कोई भी लाइट न जलाए।

    हाईवे से बाएं हाथ जाने वाली जिस सड़क पर गैस टैंकर मुड़ रहा था, उसके अंदर भी 70 से 80 मीटर दूर तक जितनी दुकानें थी, वह पूरी तरह जल गईं। इन जली दुकानों में एक दुकान इंद्रा और उसके भाई की थी। दुकान से कुछ दूरी पर सीढ़ियों पर इंद्रा और उसकी बहन सुबह से बैठी थीं।

    आंखों में दर्द साफ झलक रहा था कि बड़ी मुश्किल से घर को गुजारा चलाने के लिए दुकान शुरू की थी, वह भी जल गई। इंद्रा कहती है कि वह और उसका भाई पहले होशियारपुर में एक बुटीक में काम करता था। वहां से काम छोड़ने के बाद उन्होंने यहां पर 15 दिन पहले ही अपना काम शुरू किया था।

    करीब ढाई लाख रुपये इस दुकान पर खर्च किए। अधिकतर पैसा उधार लिया है। इस हादसे में सब जल गया। वे चार बहनें और एक भाई है। पिता अब दुनिया में नहीं हैं। घर का गुजारा चलाने के लिए वह और उसका भाई काम करते हैं।

    अब आगे की चिंता सता रही है कि क्या होगा। इंद्रा व उसका भाई हादसे से करीब पांच मिनट पहले ही दुकान बंद करके घर के लिए निकल गए थे। घर पहुंचते ही धमाके के साथ आसमान में आग का गोला बनके देखा। कहा कि भगवान के शुक्रगुजार हैं कि जान बच गई।