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    Punjab By Election: AAP से BJP में आए शीतल अंगुराल को जालंधर वेस्ट से क्यों मिली हार? चौंकाने वाली वजह आई सामने

    Updated: Sun, 14 Jul 2024 04:27 PM (IST)

    Punjab By Election पंजाब उपचुनाव की तस्वीर साफ हो गई है। जालंधर वेस्ट विधानसभा सीट पर बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा। आम आदमी पार्टी से बीजेपी में आए शीतल अंगुराल को इस बार हार मिली। आम आदमी पार्टी के मोहिंदर भगत ने बाजी मार ली है। शीतल अंगुराल को हार क्यों मिली इसकी वजह सामने आई है।

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    Punjab By Election: शीतल अंगुराल को क्यों मिली हार, चौंकाने वाली वजह आई सामने।

    जागरण संवाददाता, जालंधर। जालंधर वेस्ट विधानसभा हलके के उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार शीतल अंगुराल की कैंपेन अपने दम पर ही चली। एक बार तो शीतल को चुनाव में पार्टी ने अकेला ही छोड़ दिया था, लेकिन जब उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान के खिलाफ मोर्चा खोला तो भाजपा नेताओं को मैदान में आना पड़ा।

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    हालांकि उपचुनाव के दौरान वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति औपचारिकता की तरह ही रही। खास बात यह है कि भाजपा ने उपचुनाव के लिए 38 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की थी। इसमें बड़े नेताओं के नाम शामिल थे। हालांकि प्रचार के लिए केवल प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ और भोजपुरी सुपरस्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ ही पहुंचे।

    आपसी गुटबाजी से डूबी शिअद की नैया

    शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की आपसी गुटबाजी ने उपचुनाव में पार्टी की नैया डुबो दी। महज 40 दिनों के बीच लगातार दूसरी बार शिरोमणि अकाली दल के प्रत्याशी सुरजीत कौर की जमानत जब्त हुई है। इससे पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से शिअद में शामिल हुए पूर्व सांसद मोहिंदर सिंह केपी भी जमानत नहीं बचा सके थे।

    प्रत्याशी घोषित करने से लेकर चुनाव प्रचार तक दो गुटों में बंटी पार्टी द्वारा बीबी सुरजीत कौर से समर्थन वापस लेते हुए नामांकन वापस लेने का दबाव तक बनाया गया। हालांकि शिरोमणि अकाली दल से बागी चल रहे नेताओं ने बीबी सुरजीत कौर को अपना समर्थन देकर चुनावी मैदान में बनाए रखा।

    अति उत्साह में रही कांग्रेस

    उपचुनाव में कांग्रेस का इस क्षेत्र में अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन रहा। पार्टी प्रत्याशी पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर सुरिंदर कौर की बड़ी मुश्किल से जमानत बची है। इसका प्रमुख कारण लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत से पार्टी नेताओं में अतिउत्साह।

    पार्टी नेता उपचुनाव को आसान मान रहे थे। कांग्रेस को उम्मीद थी कि इस बार वोट बैंक और बढ़ेगा, लेकिन इस बीच बड़ा खेल हो गया। 40 दिन में कांग्रेस के हाथ से करीब 27,500 वोट फिसल गए। पूरी चुनावी मुहिम में वह आक्रामकता नजर नहीं आई, जो संसदीय चुनाव के दौरान थी।

    पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी, अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, प्रताप सिंह बाजवा के अतिरिक्त कोई अन्य स्टार कैंपेनर नजर नहीं आया।

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