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    2600 साल पुराने पंचमार्क काइन से चमका पंजाब के अनमोल का संग्रहालय, मौर्यकाल में थे चलन में

    अमृतसर के अनमोल के संग्रह में दो पंचमार्क काइन भी हैं। यह मौर्यकाल में चलन में थे। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में में इनके बारे में जानकारी दर्ज है। धातु के टुकड़ों पर औजारों से प्रहार कर तैयार कर यह सिक्के तैयार किए जाते थे।

    By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Sat, 06 Nov 2021 04:44 PM (IST)
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    पंचमार्क काइन दिखाता अमृतसर का अनमोल। जागरण

    नितिन धीमान, अमृतसर। पंचमार्क काइन के बारे में संभवत: लोग नहीं जानते होंगे। भारतीय इतिहास का यह पहला सिक्का है। यह मुद्रा 2600 साल पूर्व चलन में थी। अमृतसर के 21 वर्षीय अनमोल भारती के संग्रह में दो पंचमार्क काइन शामिल हुए हैं। नमक मंडी क्षेत्र में रहने वाले अनमोल के पास दुर्लभ नोटों और सिक्कों का संग्रह है, जिसे उसने अपने घर में तैयार किए संग्रहालय में सुशोभित किया है। इस संग्राहलय की शोभा बने हैं दो पंचमार्क काइन। इन्हें आहत सिक्के भी कहा जाता है।

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    असल में इनके निर्माण में धातु को पीटा जाता था, इसलिए इसे आहत नाम भी दिया गया। कुछ लोग इन्हें कार्षापण का नाम भी देते हैं। दोनों सिक्के धातु के टुकड़े से तैयार किए गए हैं। उस काल में सिक्के तैयार करने के लिए कोई सांचा अथवा मशीन नहीं होती थीं। ऐसे में धातु के टुकड़े को पीटकर इस पर ठप्पा बनाया जाता था। इन पंचमार्क काइन में आड़े-तिरछे कुछ चित्र हैं। गौर से देखने पर यह हाथी, बैल व सूरज प्रतीत होते हैं। असल में पंचमार्क काइन पर पेड़, मोर, शंख, बैल व मछली आदि उकेरे जाते थे। सिक्कों पर तिथि दर्ज नहीं है, इसलिए इनका निर्माण कब हुआ, इसकी पुष्टि नहीं हो सकती, पर ये सिक्के 500 ईसा पूर्व प्रचलन में थे। मौर्यकाल में इन सिक्कों का चलन शुरू हुआ। इससे यह स्पष्ट होता है कि अनमोल के ये सिक्के तकरीबन 2600 साल पुराने हैं। एक सिक्का गोलाकार है, जबकि दूसरा वर्गागार प्रतीत होता है।

    अपने खजाने के साथ अनमोल। जागरण

    अनमोल के अनुसार उसने ये सिक्के इंटरनेट मीडिया फ्रेंड कोटा निवासी लोकेश डंडोना से लिए हैं। लोकेश को भी दुर्लभ सिक्के एकत्रित करने का शौक है। पंचमार्क काइन की पुष्टि के लिए न्यूमिसमेटिक्स किताब मुद्राशास्त्र से इनका मिलान किया गया। यह किताब सिक्कों, कागजी मुद्रा आदि के संग्रह एवं उसके अध्ययन का विज्ञान है।

    अनमोल के पास दुर्लभ नोटों और सिक्कों का विशाल संग्रहालय है। घर के एक कमरे को उसने संग्राहलय का रूप दिया है। एक एक सिक्का व नोट दुर्लभ है, जिसके बारे में बुजुर्ग ही बता सकते हैं। यहीं बस नहीं, भारतीय रिजर्व बैंक आफ इंडिया की टकसाल में नोटों की छपाई के समय कई बार त्रुटियां हुई। किसी नोट के नंबर गायब थे तो कुछ निर्धारित आकार से बड़े थे। कुछ की प्रिंटिंग अधूरी थी। ऐसे नोटों का भी अनमोल के पास खजाना है।

    सामान्यत: भारतीय मुद्रा में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पासपोर्ट साइज फोटो उकेरी गई है, पर अनमोल के पास ऐसे नोट हैं जिन पर महात्मा गांधी की फुल साइज फोटो है। 1948 में एक, पांच व दस रुपये के नोट, जो 70 के दशक में लुप्त हो गए, अनमोल के खजाने में सुरक्षित हैं। 1952 में छपा एक नोट जिस पर शेर को विश्राम करते हुए दर्शाया गया है, यह नोट भी अनमोल की कलेक्शन में है। दो रुपये के 11 ऐसे नोट हैं जिनके अक्षरों को व्यवस्थित ढंग से जोड़कर रखा है। इस अक्षरों के जोड़ से अनमोल का नाम उभर आता है। 10 रुपये का एक नोट जिस पर 250699 अंकित है। वास्तव में यह अनमोल की जन्मतिथि है।

    भारत सरकार द्वारा चरखा जयंती पर जारी किए गए खादी हुंडी नोटों का विशाल संग्रह अनमोल के पास मौजूद है। इतना ही नहीं दस रुपये के अस्सी नोट ऐसे हैं जिन पर 786 अंक अंकित है। भारत के अलावा बैंकाक, नेपाल, आस्ट्रेलिया, अमेरिका सहित एशिया के कई देशों की अनमोल करंसी भी अनमोल की टकसाल का हिस्सा है। अनमोल के पिता राज कुमार ने बताया कि अनमोल तब छह साल का था। उसे सिक्कों की खनक बहुत भाती थी। धीरे-धीरे उसने सिक्के जमा करने शुरू कर दिए।