जालंधर के फिल्लौर में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण के मामले में सरकार से मांगा जवाब, सुनवाई 16 जनवरी तक स्थगित
फिल्लौर में बड़े पैमाने पर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर किए निर्माणों को हटाए जाने की मांग को लेकर दो वर्ष पहले जनहित याचिका दायर की गई थी। हाई कोर्ट ने स्थानीय निकाय विभाग के सचिव सहित जालंधर के डीसी और फिल्लौर के एसडीएम से जवाब मांगा है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। नगर परिषद के अधिकारियों की शह पर फिल्लौर में बड़े पैमाने पर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर किए निर्माणों को हटाए जाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर पंजाब सरकार ने जवाब दायर करने के लिए कुछ समय देने की मांग की है।
इस मामले में हाई कोर्ट ने दो वर्ष पहले पंजाब के स्थानीय निकाय विभाग के सचिव सहित जालंधर के डीसी और फिल्लौर के एसडीएम को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। अब एक बार फिर इस याचिका पर हाई कोर्ट ने सुनवाई शुरू की तो प्रतिवादी पक्षों ने जवाब के लिए समय की मांग की जिस पर हाई कोर्ट ने सुनवाई 16 जनवरी तक स्थगित कर दी है।
इस मामले को लेकर फिल्लौर की लखविंदर कौर और पवितर सिंह की ओर से एडवोकेट आरएस बैंस के जरिये दायर जनहित याचिका में हाई कोर्ट को बताया था कि फिल्लौर में नगर परिषद के अधिकारियों की शह पर कई लोगों ने बड़े पैमाने पर अवैध अतिक्रमण किए हुए हैं।
याचिकाकर्ता ने 28 अक्टूबर, 2014 को आरटीआइ (सूचना का अधिकार) के तहत अवैध अतिक्रमण की जानकारी मांगी थी। इसके जवाब में नगर परिषद ने 26 नवंबर को जवाब देते हुए ऐसे 318 अवैध अतिक्रमण की जानकारी दी थी। इसके बाद याचिकाकर्ता ने जून, 2015 में फिर आरटीआइ दायर कर अतिक्रमणकारियों पर की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी लेकिन इसके जवाब में नगर परिषद के सूचना अधिकारी ने बिलकुल ही अलग जवाब देते हुए कहा कि यहां कोई भी अवैध अतिक्रमण नहीं है और न ही उनके पास ऐसा कोई रिकार्ड है।
याचिकाकर्ता ने इस पूरे मामले की पंजाब के तत्कालीन स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू सहित स्थानीय निकाय विभाग और डीसी जालंधर को शिकायत करते हुए इन अवैध अतिक्रमण पर कार्रवाई की मांग की थी लेकिन किसी भी स्तर पर कोई भी कार्रवाई नहीं किए जाने पर याचिकाकर्ता ने अब हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले में कार्रवाई की मांग की है।

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