पंजाब में सांसों का संकट बरकरार, जालंधर में सबसे ज्यादा प्रदूषण, पराली जलाने के 484 केस आए सामने
पंजाब में वायु प्रदूषण की समस्या गंभीर बनी हुई है, खासकर जालंधर में जहाँ प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक है। राज्य में पराली जलाने के 484 नए मामले सामने आए हैं, जिससे स्थिति और भी खराब हो गई है। प्रशासन द्वारा कार्रवाई करने के बावजूद प्रदूषण नियंत्रण में कठिनाई हो रही है, और लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है।

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दीवाली के चार दिन बाद भी उत्तर भारत में सांसों पर संकट बरकरार है। वीरवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर से जारी वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) में उत्तर भारत के कई शहरों की हवा बेहद खराब रही। विशेष रूप से पंजाब, एनसीआर, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वायु प्रदूषण बहुत खराब श्रेणी में रहा। पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश में पराली भी जल रही है। पंजाब में बुधवार को 79 जगह पराली जली। अब तक पराली जलाने की 484 घटनाएं आई हैं।
हालांकि यह गत वर्ष से चार गुणा कम हैं। 2024 में 22 अक्टूबर तक 1,581 मामले थे। वीरवार को जालंधर में एक्यूआइ देश में सबसे अधिक 328 दर्ज किया गया। दिल्ली की वायु गुणवत्ता में हल्का सुधार देखा गया, लेकिन हवा अब भी बहुत खराब श्रेणी में है। अमृतसर में एक्यूआइ 306, दिल्ली में 305 व लुधियाना में 305 (बहुत खराब श्रेणी) रहा। सीपीसीबी की ओर से बनाए गए समीर एप के अनुसार दिल्ली में 38 निगरानी स्टेशनों में से 23 में वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ दर्ज की गई।
हरियाणा की हवा भी प्रदूषित हो रही है। पंजाब में दीवाली के बाद हालांकि प्रदूषण कम हुआ है, लेकिन अब भी स्थिति चिंताजनक है। पंजाब में बेशक पराली कम जल रही है, लेकिन पाकिस्तान के पंजाब में जल रही पराली का धुआं मुसीबत बन सकता है। पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) व पीजीआइ की संयुक्त टीम सेटेलाइट डाटा के जरिये आगजनी के मामलों की निगरानी कर रही है।

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