Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह है जालंधरः बादशाह शाहजहां के समय में हुआ था पक्का बाग का निर्माण Jalandhar News

    By Pankaj DwivediEdited By:
    Updated: Sat, 21 Sep 2019 04:13 PM (IST)

    पक्का बाग का क्षेत्र नया बाजार रैनक बाजार और जीटी रोड के सिविल लाइन एरिया से लगता हुआ माना जाता है। यहां जामुन शहतूत और आम के वृक्ष अधिक हुआ करते थे।

    यह है जालंधरः बादशाह शाहजहां के समय में हुआ था पक्का बाग का निर्माण Jalandhar News

    जालंधर, जेएनएन। पक्का बाग के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां के समय में हुआ था। हालांकि कुछ लोग इस बाग का निर्माण महाराजा रणजीत सिंह के शासन काल में उनके किसी दीवान द्वारा किया गया बताते हैं। पक्का बाग इसीलिए कहा गया कि इसके चारों तरफ दीवार बनाई गई थी और बाग के भीतर जाने का मात्र एक ही रास्ता हुआ करता था। इसके अंदर पर्दादार महिलाओं को बिना रोक-टोक चहल कदमी करने का अवसर मिलता था। यह बाग नया बाजार, रैनक बाजार और जीटी रोड के सिविल लाइन एरिया से लगता हुआ माना जाता है। यहां जामुन, शहतूत और आम के वृक्ष ही अधिक थे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बीच के रास्ते में दोनों तरफ गुलाब और अन्य सुगंधित फूलों वाले पौधे लगे होते थे। इस बाग के दरमियान में एक कुआं हुआ करता था, जो वृक्षों को पानी देने के लिए उपलब्ध था। अब यहां केवल एक घनी आबादी वाला मोहल्ला ही इस नाम से रह गया है।

     

    फलदार पेड़ों से सजा रहता था बाग करम बख्श

    चौधरी करम बख्श नाम का एक जमींदार था, जिसे पेड़-पौधों से बहुत प्यार था। उसने ज़मीन के बहुत बड़े टुकड़े को खरीदकर उसके चारों तरफ छोटी ईंटों की दीवार बनवाई थी। यह बात 17वीं शताब्दी के अंतिम दशक की मानी जाती है। उसने फलदार वृक्षों की बहुत बढिया गुणवत्ता वाले पेड़ लगाए, जिनमें अंजीर, अमरूद, आम और जामुन के वृक्ष थे। बाग करम बख्श लोगों के आकर्षण का केंद्र बना रहा। चौधरी करम बख्श और उसके तीन बेटे इस बाग की देखभाल में दिन-रात लगे रहते थे। एक कुआं भी इस बाग के समीप था, जहां नगर के कई पहलवान कुश्ती आदि का अभ्यास करने आते थे। वे यहीं नहाते थे।

    चौधरी करम बख्श सभी प्रकार की सुख-सुविधाएं उन पहलवानों को दिया करते थे। चौधरी करम बख्श का भरा-पूरा शरीर, उस पर बड़ी-बड़ी काली मूंछें, सिर पर सफेद रंग की कुल्ला पर दस्तार या पगड़ी सजी होती थी।  चौधरी की मौत के बाद उसके तीनों लड़के आपस में लड़ते रहे, जिससे बाग की देखभाल न हो सकी और धीरे-धीरे बाग करम बख़्श वीरान हो गया। नई एवं पुरानी रेलवे रोड और ढन्न मोहल्ला के बीच हुआ करता था यह बाग। चौधरी की मौत के बाद यह बाग टुकड़ों में बंट गया और यहां रिहायशी मकान बनने लगे। अब यह मात्र एक मोहल्ला है। इस बाग के पीछे जहां आजकल भाई दित्त सिंह नगर है, वह जमीन भी बाग करम बख्श में शामिल हुआ करती थी।

    ( प्रस्तुतिः दीपक जालंधरी- लेखक जालंधर के पुराने जानकार और स्तंभकार हैं)

     

    हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें