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    Punjab News: पातालपुरी साहिब गुरुद्वारा साहिब के पास सतलुज में मिल रहा गंदा पानी, आहत हो रही सिख श्रद्धा

    By punjabi reporterEdited By: Pankaj Dwivedi
    Updated: Sun, 25 Sep 2022 08:57 AM (IST)

    देश भर से लोग अपने करीबी रिश्तेदारों और दोस्तों की अस्थियों को जल-प्रवाह करने के लिए गुरुद्वारा पातालपुरी साहिब आते हैं। सतलुज नदी के किनारे बने अस्थघाट के समीप ही दूषित पानी आकर गिरता है। इससे उनकी आस्था को ठेस पहुंचती है।

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    अस्थघाट के पास सतलुज नदी में गिर रहा गंदा पानी।

    विनोद शर्मा, कीरतपुर साहिब। गुरुद्वारा पातालपुरी साहिब के पास से गुजर रही सतलुज नदी में कीरतपुर साहिब शहर के गंदे पानी के कारण सिख तीर्थयात्रियों की श्रद्धा को ठेस पहुंच रही है। देश भर से लोग अपने करीबी रिश्तेदारों और दोस्तों की अस्थियों को जल-प्रवाह करने के लिए यहां आते हैं। नदी के किनारे बने अस्थघाट के समीप ही दूषित पानी आकर गिरता है।

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    इसे रोकने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने में राज्य सरकारें समय-समय पर पूरी तरह विफल रही हैं। पूर्व में यह मुद्दा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी और तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने भी उठाया था।

    कीरतपुर साहिब कस्बे का गंदा व बारिश का पानी दो नहरों से होकर नदी में गिरता है, पहला डबवली जिउवाल, कल्याणपुर, नहर के साइफन नंगल रोड, रेलवे लाइन से तथा इसी प्रकार बरूवाल, भटोली से होकर गुजरने वाली नहर सीतला माता मंदिर के पास नहर, बस अड्डे और रेलवे लाइन के साइफन से गुजरती हुई नदी में गिरती है। यह गंदा पानी आज से नहीं पिछले 30 साल से गिर रहा है।

    पंचायतों ने कई बार लाखों रुपये खर्च करके इस पानी को नहर में गिरने से रोकने की कोशिश की। उन्होंने शमशान के पास पत्थर के डंगों की दीवार बनाकर इसे रोकने की कोशिश की है, लेकिन गंदे पानी और बारिश के पानी की मार के आगे ये डंगें भी ज्यादा देर तक टिक नहीं पाए। यह जगह अस्थघाट के बेहद करीब है. अब इस जगह को देखकर ऐसा लगता है जैसे यहां कभी किसी ने एक रुपया भी खर्च न किया हो।

    कई पर्वों पर स्नान करते हैं सिख श्रद्धालु

    यहां वर्णनीय है कि सिख श्रद्धालु अमावस, पूर्णमाशी, संग्रांद, होला मोहल्ला मेला और सूर्य ग्रहण के दौरान इसी दूषित पानी में स्नान करते हैं। उसके बाद ही श्री दरबार साहिब में अरदास की जाती है। संगत यहां के जल को पवित्र मानती है और केनियों में भरकर अपने घरों तक ले जाती है, लेकिन देखने में आता है कि अकाली और कांग्रेस की समय-समय की सरकारें ही नहीं, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी भी इस मुद्दे को लेकर प्रयाप्त रूप से गंभीर नहीं रही हैं। 

    पुरानी है समस्या

    यह मुद्दा कोई नया नहीं है, बल्कि लंबे समय तक शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष रहे जत्थेदार गुरचरण सिंह टोहड़ा के समय में भी यह समस्या थी। कमेटी के पूर्व-अध्यक्ष जगदेव सिंह तलवंडी, बीबी जगीर कौर, कृपाल सिंह बडूंगर, अवतार सिंह मक्कड़, गोबिंद सिंह लौंगोवाल के समय में इस जगह का कई बार सर्वेक्षण किया जा चुका है लेकिन समस्या अभी भी जस की तस है।

    क्या कहा सीवरेज बोर्ड के एसडीओ ने?

    एसडीओ लोकेश कुमार ने बताया कि 40 लाख रुपये की लागत से तैयार किया गया डिस्पोजल प्लांट चल रहा है, जिससे पानी पंप कर नदी में फेंका जाता है, वहीं 3 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का टेंडर आमंत्रित किया जा चुका है, लेकिन किसी भी ठेकेदार ने उनके लिए बोली नहीं लगाई।

    उन्होंने कहा कि नगर पंचायत कीरतपुर साहिब को भी गंदा पानी नदी में जाने से रोकने के लिए बोरी तटबंध की जगह कंक्रीट का तटबंध बनाने के लिए लिखा गया है।

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