Move to Jagran APP

पराली लाएगी खुशहालीः पठानकोट के किसान ने 15 वर्ष से नहीं जलाई पराली, खाद बना कमाया मुनाफा

पंजाब में पराली जलाने से प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है। इस बीच कई ऐसे ही किसान हैं जिन्होंने पराली को कमाई का जरिया बना लिया है। किसान गौरव कहते हैं उन्होंने 15 वर्ष से पराली नहीं जलाई बल्कि उसे उपयोग कर खाद बना रहे हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Mon, 11 Oct 2021 05:30 PM (IST)Updated: Mon, 11 Oct 2021 05:30 PM (IST)
पठानकोट के किसान गौरव पराली से कंपोस्ट बनाकर उससे आमदनी बढ़ाते हैं।

संवाद सहयोगी, घरोटा (पठानकोट)। पराली जलाने के कारण फैलता प्रदूषण सरकार के लिए हर वर्ष मुसीबत खड़ी करता है। परंतु क्षेत्र में बहुत से ऐसे किसान हैं जो पराली नहीं जलाते हैं। बल्कि उसे उपयोग में लाकर अपनी आमदन भी बढ़ा रहे हैं। ऐसे ही किसानों में से हैं किसान गौरव, राजीव ठाकुर, सुमित शर्मा। गौरव कहते हैं उन्होंने 15 वर्ष से पराली नहीं जलाई, बल्कि उसे उपयोग कर खाद बना रहे हैं। इसके अलावा उक्त तरीके अपना कर किसान सुमित शर्मा भी पराली से मुनाफा कमा रहे हैं।

loksabha election banner

खुंभ की फसल के लिए पराली बढ़िया खाद: किसान गौरव

किसान गौरव कहते हैं कि खुंभ की फसल तैयार करने के लिए पराली का बतौर कंपोस्ट इस्तेमाल शुरू हो गया है। साथ ही पराली को सूखे चारे के रूप में प्रयोग करने के लिए चौपर मशीन की मदद से काट इसे स्टोर करने की प्रक्रिया भी किसान अपना रहे हैं। पठानकोट के झालोया में पराली का प्रयोग कर इससे कंपोस्ट तैयार कर इसे देसी खाद का रूप दिया जा रहा है। इस प्रक्रिया में एक माह का समय लगता है। चौपर मशीन की मदद से किसान पराली को काटकर पहले उसके टुकड़े कर लिए जाते हैं और फिर उसे कंपोस्ट में बदला जाता है। गौरव ने बताया कि 15 वर्षों से वह पराली नहीं जला रहे हैं। इसे खाद के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे उनकी फसल अच्छी हो रही है। आमदनी में भी इजाफा हुआ है।

कैटल पाउंड व गुज्जर समुदाय को दे देते हैं पराली: राजीव ठाकुर

संवाद सहयोगी, माधोपुर: गांव थरियाल के किसान राजीव ठाकुर ने बताया कि वह पराली नहीं जलाते। धान की कटाई के बाद पराली को रोटावेटर मशीन से खेत में ही जोत देते हैं। इससे एक तो प्रदूषण नहीं फैलता, वहीं खेत को खाद भी मिल जाती है। हमारा क्षेत्र कंडी है तथा यहां पहले ही चारे की कमी है। वहीं गुज्जर समुदाय के लोग पराली काट कर ले जाते हैं। इससे प्रदूषण फैलने का कोई भय नहीं रहता। उन्होंने किसानों से अपील की कि मशीनरी का उपयोग करें व पराली को न जलाएं।

किसान सुमित शर्मा और राजीव ठाकुर की फाइल फोटो।

पराली बेच कर डेढ़ लाख हर सीजन में कमाते हैं किसान सुमित

संवाद सहयोगी, बमियाल: बार्डर एरिया के गांव रमकालवा के किसान सुमित शर्मा पिछले चार वर्षों से धान के हर सीजन में पराली बेच कर डेढ़ लाख रुपये कमा रहे हैं। सुमित ने बताया वह 70 एकड़ भूमि में धान के फसल करते हैं। फसल की कटाई के बाद खेत में बचने वाली पराली को गुज्जर समुदाय के लोग पशुओं के चारे के लिए खरीद लेते हैं। इससे उन्हें हर धान के सीजन में अतिरिक्त आमदनी भी होती है। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व में वह मजबूरी में पराली को जलाते रहे हैं। पिछले कुछ वर्ष से पराली को लेकर पंजाब सरकार की ओर से शुरू किए गए जागरूकता कार्यक्रम से प्रेरित होकर उनकी ओर से निश्चय किया गया कि जहां तक हो सके खेतों में पराली को जलाने के बजाय इसका सदुपयोग करेंगे। अब यह आमदनी का साधन बन गई है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.