कभी डाक्टर के पास नौकरी करते थे पठानकोट के बिजनेसमैन अमित नैयर, आज सैकड़ों युवाओं को बना रहे आत्मनिर्भर
पठानकोट में व्यपार मंडल के प्रधान अमित नय्यर ने शुरुआत में करीब चार महीने तक डाक्टर के पास काम किया। उसके बाद एक मोबाइल कंपनी में सेल्समैन बने। इसके बाद छोटे भाई नवजोत के साथ मोबाइल बिजनेस हाथ डाला तो पीछे मुड़कर नहीं देखा।

जागरण संवाददाता, पठानकोट। बात दो दशक पहले की है जब मैं लोगों के घर घर जाकर मोबाइल रिचार्ज करता था और सिम बेचता था। लेकिन, मुझे हमेशा से ही खुद पर भरोसा था कि मेरी मेहनत रंग लाएगी और मेरा भी समाज में नाम होगा। यह कहना है व्यपार मंडल के प्रधान अमित नय्यर का। अमित नय्यर ने जहां आज बिज़नेस के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है, वहीं उन्होंने कइयों को रोजगार भी मुहैया कराया है। साथ ही कई युवाओं को काम सिखाकर उन्हें खुद का काम करने के लिए भी प्रेरित किया है। अमित नय्यर के साथ अब उनके भाई नवजोत नय्यर भी इसी राह पर आगे बढ़ रहे हैं। दोनों भाई युवा पीढ़ी को मार्केट में आई नई तकनीक और बिज़नेस में कामयाब होने के तरीकों के बारे में भी बताते हैं।
वह कहते हैं अगर युवा पीढ़ी लगन से काम करे तो प्रयास व्यर्थ नहीं जाते। काम की कोई कमी नहीं है। बस जो भी काम को, पूरे मन से करो। व्यापार मंडल के प्रधान के साथ साथ अमित नय्यर कई संघठनो से जुड़े हैं। उनके छोटे भाई नवजोत भी एक सफल कारोबारी के साथ-साथ सामाजिक व धार्मिक संगठनों के साथ जुड़ कर जरूरतमंद लोगों की सहायता कर रहे हैं।
अमित नय्यर ने बताया कि 1996 में ग्रेजुएशन की शिक्षा करने के बाद अभिवावकों से पैसा न लेने की बजाय मेहनत कर पैसे कमाने के उदेद्श्य से एक स्थानीय डॉक्टर के पास नौकरी की। करीब चार महीने तक काम किया। उसके बाद एक मोबाइल कंपनी में सेल्समैन की नौकरी शुरू की। छोटे भाई नवजोत ने मोबाइल रिपेयर का काम सीखना शुरू किया। करीब पांच साल तक कंपनी में काम किया। इस दौरान लोगों के फोन रिचार्ज करने व नई सिम कार्ड के लिए लोगों के घरों में भी गए। इसके बाद मन में आया कि क्यों न अपना काम शुरू किया जाए। 2008 में दोनों भाइयों ने घर के गैराज में मोबाइल सेल एंड रिपेयर का काम शुरू किया। ऊपर वाली की कृपा से उनका काम चल गया। आज उनके पास 20 लोग काम करते हैं।
अमित ने बताया कि बिजनेस में सफलता मिलने के बाद उनके मन में आया कि वह लोगों को हुनरमंद बनाएं ताकि लोग किसी पर निर्भर न हों। इसी बात को ध्यान में रखते हुए 8 साल पहले एक इंस्टीट्यूट शुरू किया। यहां नार्मल फीस लेकर युवाओं को ट्रेनिग देकर आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रहे हैं। अब तक 500 के करीब युवा ट्रेनिंग लेकर व्यवसाय करके अपना व परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। अमित ने बताया कि सरकारी नौकरी अब बहुत कम आती हैं। लिहाजा युवाओं को अपना जीवन यापन करने में कई प्रकार की दिक्कतें पेश आ रहीं हैं। लेकिन, यदि हम कारोबार को तन मन से करें तो हमें जिंदगी आसान लगेगी।
नय्यर ने बताया कि वह समय-समय पर शहर के कारोबारियों से भी नए-नए बिजनेस व तकनीकों संबंधी चर्चा करते हैं। मार्केट के नए ट्रेंड और किस तरह अपने बिजनेस में ग्रोथ की जा सकती है को लेकर चर्चा भी करते हैं। कई व्यापारी उस तकनीक पर काम करते हुए अपने बिजनेस को बढ़ा रहे हैं। अमित नय्यर ने बताया कि वह दोनों भाई अपनी माता के साथ संयुक्त परिवार में रहते हैं। परिवार में उनकी पत्नी, बेटी-बेटा, छोटा भाई उनकी पत्नी और बेटा रहते हैं।
अमित को आइडल मानता हूंः संजीव
मोबाइल एसोसिएशन के प्रधान संजीव अरोड़ा कहते हैं कि वह अमित नय्यर को अपना आइडल मानते हैं। उनके मार्ग दर्शन में मोबाइल का काम सीखा और आज वह अपने काम मे सफल हैं। कहा कि अमित और उनके भाई नवजोत युवाओं को काम के प्रति मोटिवेट करते हैं। उनके अलावा कई युवा विभिन प्रकार के बिजनेस कर अपना व परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं।
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