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    इलाज नहीं मिलने पर 40 मरीज निजी अस्पतालों में हुए शिफ्ट

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 11 Nov 2021 01:31 AM (IST)

    नर्सो की हड़ताल के कारण पंजाब के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में सेहत सुविधाएं दम तोड़ने लगी है।

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    इलाज नहीं मिलने पर 40 मरीज निजी अस्पतालों में हुए शिफ्ट

    जागरण संवाददाता, जालंधर : नर्सो की हड़ताल के कारण पंजाब के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में सेहत सुविधाएं दम तोड़ने लगी है। बुधवार को हड़ताल तीसरे दिन भी जारी रही और इलाज नहीं मिलता देख अस्पताल में दाखिल मरीज दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट हो रहे हैं। कोई छुट्टी की पर्ची कटवा रहा है तो कोई रेफर किए जाने की। तीन दिन में 40 मरीज निजी अस्पतालों में शिफ्ट हो गए है। जो मरीज निजी अस्पतालों का महंगा इलाज नहीं करवा सकते, वे अभी भी सिविल अस्पताल में ही रहकर हड़ताल खत्म होने का इंतजार कर रहे है। डेंगू वार्ड में एक सप्ताह पहले दस मरीज दाखिल थे लेकिन महज दो दिन में ही इनकी संख्या मात्र दो रह गई है। नए मरीज देखभाल नहीं होने के डर से भर्ती नहीं हो रहे और निजी अस्पतालों की ओर रुख कर रहे है। गायनी वार्ड में पहले की तरह ओपीडी चल रही है। सिजेरियन व नार्मल डिलिवरी की जा रही है। यहां दूसरे सेंटरों से एनएचएम के तहत कार्यरत नर्सो को बुलाया गया। मंगलवार को अस्पताल में आठ सिजेरियन व दस नार्मल डिवीलरी की गई है।

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    ब्लड रिपोर्ट पर उठ रहे सवाल, कहा-सही से नहीं हो रहा इलाज

    अस्पताल में दाखिल मरीज राज कुमार के परिजन ज्योति व दीपक ने अस्पताल की ब्लड रिपोर्ट पर सवाल उठाए है। कहा कि तीन दिन पहले पिता राज कुमार को भर्ती करवाया था। प्लेटलेट्स कम हो गए थे। जब प्राइवेट अस्पताल में टेस्ट करवाया गया तो प्लेटलेट्स अधिक थे। उन्होंने कहा कि हालत गंभीर होने के बावजूद मरीज का इलाज नहीं हो रहा है।

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    मोबाइल की टार्च से हो रहा इलाज

    सिविल अस्पताल की अव्यवस्था का आलम यह है कि इमरजेंसी वार्ड में मरीजों का इलाज मोबाइल टार्च की रोशनी से करना पड़ रहा है। मरीज को इंजेक्शन लगाना भी मुश्किल हो रहा है। मरीज को एक इंजेक्शन लगाने के लिए तीन लोगों की जरूरत पड़ रही है। एक स्टाफ सदस्य बाजू पकड़ रहा है, एक मोबाइल टार्च और एक इंजेक्शन लगा रहा है।

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    एसएमओ ने कहा- मरीजों की संभाल करने में मुश्किल आ रही

    एसएमओ गुरमीत लाल ने कहा कि स्टाफ नर्सो के हड़ताल पर होने की वजह से मरीजों की संभाल करने में मुश्किल हो रही है। मरीजों के इलाज के लिए सिर्फ 12 एनएचएम का स्टाफ रह गया।