Gurpurab 2021: नानकमय हुई ऐतिहासिक नगरी सुल्तानपुर लोधी, कथा कीर्तन की लगी छहबर, श्रद्धा व आस्था की बही बयार
सुल्तानपुर लोधी में गुरु नानक देव जी के 552वें प्रकाशोत्सव को लेकर दूर दराज से संगत रुख कर चुकी है। ननकाणा साहिब पाकिस्तान के बाद भारत में उनकी धर्मस्थली माना जाता सुल्तानपुर लोधी ही ऐसा स्थान है जिसका गुरु नानक देव जी से बेहद करीबी व लंबा रिश्ता रहा है।
कपूरथला [हरनेक सिंह जैनपुरी]। दुनिया को मानवता व सरबत के भले का फलसफा देने वाले गुरु नानक देव जी के 552वें प्रकाशोत्सव को लेकर दूर दराज से संगत नानक की नगरी का रुख कर चुकी है। एक तरफ दिन में गुरुद्वारा संत घाट से अलौकिक नगर कीर्तन सजा एवं गुरुद्वारा श्री बेर साहिब में दिन भर श्रद्धा व आस्था की बयार बहती नजर आई। जोश व उत्साह से लबरेज संगत गुरु का दर्शन पाने के लिए बेकरार दिखाई दे रही है। बाबा नानक की जन्मस्थली ननकाणा साहिब पाकिस्तान के बाद भारत में उनकी धर्मस्थली माना जाता सुल्तानपुर लोधी ही एक ऐसा स्थान है जिसका गुरु नानक देव जी से बेहद करीबी व लंबा रिश्ता रहा है।
गुरु नानक देव जी से करीब 18 साल तक वाबस्ता रही नानक की नगरी में गुरु साहिब की अनेक यादें जुड़ी हैं, जिनके हाथों से लगा बेरी का वृक्ष आज भी मीठे फल दे रहा है। इसी सरजमी पर गुरु जी ने तेरा-तेरा तोलते हुए गरीबों की झोलिया भरी, यही पर उन्होंने मूल मंत्र का उचारण कर श्री गुरु ग्रंथ साहिब की आधारशिला रखी। इसी धरती से उन्होंने विश्व कलियाण के लिए उदासियों का आगाज किया। इसी के मद्देनजर बाबा का 552वें प्रकाशोत्सव के उपलक्ष्य में वीरवार को दूर दराज से संगतें सुल्तानपुर लोधी में पहुंची एवं उन्होंने गरुद्वारा श्री बेर साहिब व अन्य गुरुद्वारों में माथा टेका तथा पवित्र सरोवर में स्श्नान किया।
उधर, सुल्तानपुर लोधी को आने वाले सभी रास्ते को दूधियां रोशनी से बहुत ही खूबसूरत ढंग से सजाया गया है, जिससे बेहद शानदार अनुभव की अनुभूति हो रही है। पूरे शहर में दीपमाला बहुत ही अद्भुत नजारा पेश कर रही है। गुरु जी से जुड़ी पवित्र काली बेई को भी लड़ियों से मनमोहन ढंग से सजाया गया है। वीरवार को श्री गुरु ग्रंथ साहिब की छत्र-छाया में गुरुद्वारा संत घाट से विशाल नगर कीर्तन निकला, जिसमें हजारों संगतों ने शिरकत कर खुद को धन्य समझा। इस नगर कीर्तन में विभिन्न स्कूलों के बच्चों ने भी बेहद उत्साह से हिस्सा लिया।
गुरु नानक देव जी से जुड़े गुरुद्वारा श्री हट्ट साहिब, श्री संत घाट साहिब, अंतर यामता साहिब, बेबे नानक गुरुद्वारा, कोठली साहिब, सेहरा साहिब व गुरु का बाग आदि में भी लगातार समागम चल रहे है। हर तरफ सतनाम वाहेगुरु के जयघोष और श्रद्धा से लबरेज संगत इस वक्त को यादगार बनाने में जुटी है। कई दिनों से दिन रात सेवा करने वाले सेवादार भी कोई थकावट महसूस नहीं कर रहे बल्कि और ज्यादा जोश से संगत की आवभगत में लगे हुए हैं।