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    ‘मेरा नाम मुहम्मद फैज खान है और मैं एक गो सेवक हूं। इंसानियत मेरा मजहब है’

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Wed, 11 Dec 2019 09:31 AM (IST)

    30 महीने से पदयात्रा पर छत्तीसगढ़ के फैज जून 2017 में लेह से शुरू हुई यात्रा कन्याकुमारी होते हुए आज होगी पंजाब में दाखिल।

    ‘मेरा नाम मुहम्मद फैज खान है और मैं एक गो सेवक हूं। इंसानियत मेरा मजहब है’

    सुनील राणा, जालंधर। भगवा वस्त्र पहने इस शख्स को नमाज पढ़ते देख हर कोई हैरान होता है। हैरानी उस वक्त और बढ़ जाती है, जब वह गीता के श्लोकों का उच्चारण करने के साथ कुरान की आयतें सुनाने लगते हैं। मौका मिलने पर गो कथा भी करते हैं। पहचान पूछने पर कहते हैं, ‘मेरा नाम मुहम्मद फैज खान है और मैं एक गो सेवक हूं। इंसानियत मेरा मजहब है।’ हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के मुहम्मद फैज खान की, जो 24 जून, 2017 से पदयात्रा पर हैं। मकसद गो सद्भावना का संदेश देना। लेह से शुरू हुई इस पदयात्रा का पहला पड़ाव कन्याकुमारी में खत्म हुआ। इसके बाद कन्याकुमारी से शुरू हुई यह पदयात्रा 11 दिसंबर को पंजाब में दाखिल होगी। इसका समापन एक जनवरी को जम्मू-कश्मीर के वैष्णो देवी में होगा।

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    38 साल के फैज छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के नया पारा के रहने वाले हैं। वह रायपुर के सूरजपुर डिग्री कॉलेज में राजनीतिक शास्त्र के प्रवक्ता थे। बात 2012 की है। एक दिन गिरीश पंकज का लिखा उपन्यास ‘एक गाय की आत्मकथा’ पढ़ा तो मानो जिंदगी बदल गई। नौकरी छोड़ गोसेवा में लग गए। देश के कई हिस्सों में गो कथा की। गो सद्भावना का संदेश देने के लिए 24 जून, 2017 को लेह से कन्याकुमारी तक पैदल यात्रा शुरू की।

    विभिन्न राज्यों से होते हुई यात्रा 28 सितंबर, 2018 को कन्याकुमारी पहुंची। इसकेबाद 15 नवंबर, 2018 को यात्रा का दूसरा पड़ाव शुरू किया। पहले यात्रा का समापन अमृतसर में करना था, लेकिन जम्मू-कश्मीर के अलग राज्य बनने के बाद समापन वैष्णो देवी में करने का फैसला किया। 11 दिसंबर को यात्रा पंजाब में दाखिल हो रही है। यात्रा मार्ग में आने वाला पंजाब 22वां राज्य है। अब तक वह 13500 किमी की पदयात्रा कर चुके हैं। करीब 500 किमी यात्रा बाकी है। यात्रा के दौरान वह त्रिपुरा, मेघालय, असम, मणिपुर, नगालैंड, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश नहीं जा पाए।

    नानक-महात्मा बुद्ध से ली यात्रा की प्रेरणा

    फैज ने बताया कि उन्होंने श्री गुरु नानक देव जी से लेकर महात्मा बुद्ध तक के बारे में पढ़ा है। पता चला कि इन महापुरुषों ने भी पद यात्रा की है। इन्हीं महापुरुषों की प्रेरणा से आज वह 14 हजार किमी की यात्रा के समापन के करीब हैं। यात्रा में उत्तर प्रदेश के बलिया से पीयूष राय, गाजीपुर से किशन राय, छत्तीसगढ़ से बाबा परदेसी राम साहू और चित्तौड़गढ़ राजस्थान से कैलाश वैष्णव लगातार यात्रा में सहयोग बनाए हुए हैं।

    सामान लेकर साथ चलता है ‘कार रथ’

    फैज ने बताया कि राजस्थान के एक गो सेवक ने यात्रा के लिए उन्हें कार भेंट की थी। इसी को रथ का नाम दिया गया। इसमें उनकी जरूरत का पूरा सामान रहता है। कैलाश वैष्णव पूरी यात्रा के दौरान इसे चला रहे हैं।

    गाय का दूध शिफा

    फैज खान का कहना है कि कुछ लोगों ने गोमांस को मुस्लिम धर्म के साथ जोड़ दिया है, जबकि यह पूरी तरह गलत है। पैगंबर हजरत मुहम्मद साहिब ने कहा है कि गाय का दूध शिफा (स्वास्थ्यवर्धक) है। उसका मक्खन दवा है और गोश्त बीमारी है। उनका कहना है कि हमारे देश में गाय सबसे जरूरी है। गाय से हमें स्वास्थ्यवर्धक दूध, दही, घी के साथ ही उपयोगी गोबर और गोमूत्र मिलता है।