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Taj Mahal से पहले जहांगीर ने नूरजहां की मोहब्बत में बनवाया था Noor Mahal, पंजाब घूमने जाएं तो जरूर देखें

नूरमहल जालंधर जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी दूर है। मुगल काल में यह लाहौर से दिल्ली के मार्ग में पड़ता था। यहीं पर नूरजहां का जन्म हुआ था। बेगम की मोहब्बत में जहांगीर ने वर्ष 1613 में यहां विशाल नूर महल बनवाया था।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sat, 24 Sep 2022 05:13 PM (IST)Updated: Sat, 24 Sep 2022 05:13 PM (IST)
Taj Mahal से पहले जहांगीर ने नूरजहां की मोहब्बत में बनवाया था Noor Mahal, पंजाब घूमने जाएं तो जरूर देखें
जालंधर स्थित नूरमहल को बादशाह जहांगीर ने नूरमहल की मोहब्बत में बनवाया था।

​​​​​आनलाइन डेस्क, जालंधर। बादशाह शाहजहां का अपनी प्यारी बेगम मुमताज की मोहब्बत में बनवाया ताजमहल दुनिया भर में प्रसिद्ध है। बहुत कम लोग जानते हैं कि शाहजहां से पहल उसके पिता जहांगीर ने भी अपनी बेगम नूरजहां (मेहरुन्निसा) के लिए एक खूबसूरत महल बनवाया था। नाम रखा था नूरमहल। यह जालंधर जिले के नूरमहल नाम के ही कस्बे में स्थित है। अपनी खराब हालत के कारण नूरमहल, उतना प्रसिद्ध तो नहीं है जितना ताजमहल। हालांकि जिज्ञासु पर्यटक और इतिहासकार इसका महत्व जानते हैं और जालंधर घूमने आने पर नूरमहल जरूर देखते हैं।

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यहीं हुआ था नूरजहां का जन्म

नूरमहल जालंधर जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी दूर है। मुगल काल में यह स्थान लाहौर से दिल्ली के मार्ग में पड़ता था। इतिहासकारों के अनुसार नूरजहां का जन्म इसी स्थान पर तब हुआ था, जब उनके पिता मिर्जा ग्यारा मोहम्मद बेग ईरान से दिल्ली जा रहे थे। जब बेग का काफिला यहां रुका तो उनकी बेगम को प्रसव पीड़ा होने लगी और फिर नूरजहां का जन्म हुआ।

पहले पति की मौत के बाद जहांगीर ने किया था निकाह

नूरजहां की पहली शादी शेर अफगान अली कुली के साथ हुई थी। दोनों बंगाल में रहते थे। बावजूद इसके जहांगीर उससे शादी करना चाहता था। उसने कई बार नूरजहां को यह पैगाम भिजवाया कि वह अली कुली को तलाक देकर उससे शादी कर ले पर वह नहीं मानी। कहा जाता है कि जहांगीर ने मुगल गद्दी संभालने के बाद अली कुली का कत्ल करवा दिया। हालांकि इतिहासकार इस बात पर एकराय नहीं है। बड़ी मान- मनोव्वल के बाद नूरजहां उससे निकाह को तैयार हुई थी।

वर्ष 1613 में बनकर तैयार हुआ नूर महल

जहांगीर ने नूरजहां की दिली ख्वाइश पूरी करने के लिए उसकी जन्मस्थली पर वर्ष 1613 में विशाल नूरमहल को तैयार करवाया था। इसे आज नूरमहल की सराय कहते हैं। इसके अंदर कभी मस्जिद, रंग महल और डाक बंगला होते थे। कहते हैं कि नूरजहां पक्षियों से बहुत प्यार करती थी। नूर महल सराय में 48 कोष्ठ और दो बुर्ज है, जिन पर पक्षी करलव करते रहते हैं। नूरमहल के मुख्य द्वार पर दो हाथी सूंठ उठाए आगुंतकों का स्वागत करते दिखते हैं।

आज किले में चल रहे स्कूल और थाने

देखभाल न हो पाने के कारण आज नूर महल सराय के कई हिस्से खंडहर हो चले हैं। बहुत कम पर्यटक यहां घूमने आते हैं क्योंकि इसकी ताजमहल जितनी प्रसिद्धि नहीं है। जिन्हें इसका महत्व पता है, वे जरूर नूर महल की सराय देखने पहुंचते हैं। वर्तमान में यहां स्कूल और थाना संचालित हो रहे हैं।


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