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    महाराजा रणजीत सिंह का समर पैलेस 18 साल बाद पर्यटकों के लिए खुला, तीन महीने यहीं से चलाते थे शासन

    By Pankaj DwivediEdited By:
    Updated: Sun, 27 Mar 2022 11:00 AM (IST)

    महाराजा रणजीत सिंह के राज्य की राजधानी लाहौर थी लेकि वह शासन वहां के अलावा अमृतसर स्थित समर पैलेस से भी चलाते थे। वह यहां गर्मियों में तीन महीने तक रु ...और पढ़ें

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    समर पैलेस में बनाई गई गैलरियों में महाराजा रणजीत सिंह का दरबार लगाया है।

    हरीश शर्मा, अमृतसर। गर्मियों में महाराजा रणजीत सिंह की आरामगाह रहा समर पैलेस नवीनीकरण के बाद पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। इस पैलेस को रेनोवेट करने में 18 साल लग गए। यहां पर 2004 से नवीनीकरण का काम चल रहा था। खास बात यह है कि समर पैलेस बिना किसी शाही उद्घाटन के शुरू कर दिया गया है। इस पैलेस को सांस्कृतिक एवं पर्यटन विभाग को सौंप दिया गया है।

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    इमारत का इतिहास

    कंपनी बाग के अंदर बनी समर पैलेस की इमारत 19वीं सदी में तैयार की गई थी। महाराजा रणजीत सिंह ने 1802 में अमृतसर को अपने अधिकार क्षेत्र में लिया था। इसके बाद ही इस पैलेस का निर्माण करवाया था। महाराजा रणजीत सिंह गर्मी शुरू होने पर तीन महीने तक इसी पैलेस में रहते थे। यहीं से शासन चलाते थे। बाकी के नौ महीने वह लाहौर से शासन चलाते थे।

    रामबाग (कंपनी बाग) स्थित महाराजा रंजीत सिंह के समर पैलेस का बाहरी दृश्य। 

    गैलरियों से मिलेगी महाराजा के जीवन की जानकारी

    समर पैलेस म्यूजियम में महाराजा रणजीत सिंह के जीवन को दर्शाती हुई अलग-अलग गैलरियां बनाई गई हैं ताकि जो भी पर्यटक यहां आए, उसे महाराजा रणजीत सिंह के जीवन के बारे में पूरी जानकारी मिल सके कि वह किस तरह अपना शासन चलाते थे।

    संग्रहालय में दर्शाया गया महारानी मेहताब कौर के साथ महाराजा रणजीत सिंह के विवाह का दृश्य। 

    पैलेस में बनाई गईं हैं विशेष गैलरियां

    -समर पैलेस में बनाई गई गैलरियों में महाराजा रणजीत सिंह का दरबार लगाया है। इसमें महाराजा के अलावा सैनिक व अन्य मंत्रियों के प्रतिमाएं बनाई गई हैं।

    -एक अन्य गैलरी में उनकी पहली शादी का दृश्य दिखाया गया है जिसमें वह रानी मेहताब कौर के गले में वरमाला डाल रहे हैं और साथ बराती खड़े हैं।

    -उनके पहले बेटे खड़क सिंह के दरबार को भी गैलरी में दर्शया गया है।

    -महाराजा के दूसरे बेटे महाराजा दिलीप सिंह, रानी जिंदा आदि की प्रतिमाएं लगाई गई हैं।

    -इन सभी के साथ ही एलईडी पैनल भी लगाए गए हैं ताकि टूरिस्टों को इतिहास के बारे जानकारी मिल सके।

    महाराजा रंजीत सिंह रामबाग संग्रहालय में लगाई गई तोपें। 

    फारसी में लिखा है मिलिट्री मैनुअल

    इमारत में बनाई गैलरी में महाराजा रणजीत सिंह का मिलिट्री मैनुअल भी रखा गया है। इसमें उनकी सेना संबंधी सारी जानकारी है। यह मैनुअल फारसी में है।

    हथियार भी किए गए प्रदर्शित

    इसके साथ ही महाराजा रणजीत सिंह और उनकी सेना की ओर से प्रयोग किए जाने वाले चार नाली, दो नाली, और एक नाली बंदूक, जंबूरा गन, सोने के पतरे चढ़े हुए तोड़ेदार बंदूक, इंग्लैड से मंगवाई गई कारबाइन, नेजे, सजावटी ढाल, किरच, खंडे, तेगा, जंजीरी गोले, जंजाल गन, चार-आइना सेट, टोपीदार बंदूक, छड़ीदार बंदूक, तीर-कमान, कुल्हाड़ी आदि को प्रदर्शित किया गया है।

    महाराजा रंजीत सिंह के समर पैलेस में बनाए गए संग्रहालय में शस्त्रो को देखते हुए पर्यटक। 

    बच्चों के लिए चार और बाकी सभी के लिए 10 रुपये टिकट

    समर पैलेस को पर्यटन विभाग को सौंप दिया गया है। विभाग के अधिकारी गुरप्रीत सिंह ने बताया कि पैलेस को देखने के लिए 10 रुपये टिकट रखी गई है जबकि बच्चों के लिए केवल चार रुपये टिकट रखी गई है।

    महाराजा रंजीत सिंह के समर पैलेस में रखी कोहिनूर ताज की नकल। 

    इमारत की ऐतिहासिकता को रखा गया है बरकरार : डायरेक्टर

    समर पैलेस को डिजाइन करने वाले सरंक्षण हेरिटेज कंसल्टेंट के डायरेक्टर मुनीष पंडित ने बताया कि पैलेस की हालत बहुत खस्ता हो चुकी थी। सबसे पहले तो इमारत को रिस्टोर किया गया। साथ ही इस बात का खास ध्यान रखा गया था कि इसकी ऐतिहासिकता को बदला न जाए। इसका नतीजा है कि उस समय की बनी छतों को भी उसी तरह से मेंनटेन किया गया है। इसके अलावा इस म्यूजियम को तैयार करने का मतलब महाराजा रणजीत ङ्क्षसह के जीवन के बारे में गंभीरता से जानकारी प्रदान करना है।