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    Lok Sabha Election 2024: केपी के पाला बदलने से रोचक बना जालंधर सीट का चुनाव, प्रतिद्वंदी नहीं समधियों के बीच है मुकाबला

    Updated: Tue, 23 Apr 2024 10:48 AM (IST)

    Punjab Lok Sabha Election 2024 कांग्रेस के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री व पूर्व सांसद मोहिंदर सिंह केपी ने बीते दिन कांग्रेस का दामन थाम शिरोमणि अकाली दल से नाता जोड़ लिया। वह अब जालंधर से शिअद के प्रत्याशी हैं।उनका मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह चिन्नी से होगा। खास बात है कि केपी और चन्नी आपस में समधी भी हैं।

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    Jalandhar Lok Sabha Seat: करमजीत कौर के बाद केपी परिवार ने भी कांग्रेस से नाता तोड़ा

    कैलाश नाथ, चंडीगढ़। Jalandhar Lok Sabha Seat: कांग्रेस के लिए सोमवार का दिन बड़े झटके वाला रहा। करीब 60 दशक तक कांग्रेस का झंडा पकड़ कर घूमने वाले केपी परिवार ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया।

    कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे और पूर्व मंत्री व पूर्व सांसद मोहिंदर सिंह केपी (Mohinder Singh KP Join SAD) ने शिअद का दामन थाम लिया और जालंधर से प्रत्याशी बने। केपी का पार्टी छोड़ना न सिर्फ कांग्रेस के लिए बल्कि जालंधर से पार्टी के प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के लिए निजी रूप से भी झटका है।

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    चन्नी और केपी के बीच समधी का है रिश्ता

    केपी और चन्नी आपस में समधी भी हैं। केपी की बेटी की शादी चन्नी के भतीजे से हुई है। बता दें कि आपातकाल के बाद जब कांग्रेस दो फाड़ हो गई थी। 

    इंदिरा गांधी काफी कमजोर थीं, तब जालंधर (Jalandhar Lok Sabha Election) ही ऐसा क्षेत्र था जहां पर पूर्व प्रधानमंत्री के पांव जमे हुए थे। उस समय चौधरी परिवार और फिर केपी परिवार इंदिरा गांधी के साथ आया था। लगभग 70 दशक तक दोआबा के दलित लैंड पर कांग्रेस का वर्चस्व रहा।

    सुशील रिंकू ने भी थामा भाजपा का हाथ

    मास्टर गुरबंता सिंह की तीन पीढ़ी और केपी की दो पीढ़ियों ने वंचितों का नेतृत्व किया। इस बार लोकसभा का टिकट नहीं मिलने के बाद चौधरी संतोख सिंह की पत्नी करमजीत कौर भाजपा में तो मोहिंदर सिंह केपी शिअद में चले गए हैं।

    वहीं, वंचितों के नेता के रूप से उभर रहे सुशील रिंकू (Sushil Kumar Rinku) पहले आप और फिर भाजपा में चले गए।

    विस चुनाव में भी केपी को नहीं दिया था टिकट

    केपी की लंबे समय से प्रदेश के नेतृत्व के साथ खींचतान चल रही थी। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में भी केपी को पार्टी ने टिकट नहीं दिया था। यही नहीं, केपी की जग-रुसवाई भी हुई थी क्योंकि पार्टी ने पहले केपी को आदमपुर से टिकट देने का फैसला लिया।

    नामांकन के अंतिम दिन केपी रिटर्निंग ऑफिसर के कार्यालय के बाहर भी पहुंच गए लेकिन पार्टी की टिकट उन तक नहीं पहुंची। अंतिम समय पर बसपा के कांग्रेस में आए सुखविंदर कोटली को टिकट सौंप दी गई। केपी तब से ही कांग्रेस की बैठकों में गायब रहते थे।

    चौधरी के बाद केपी परिवार के कांग्रेस से नाता तोड़ने से पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के लिए दलित लैंड पर चुनौती बढ़ गई है क्योंकि भाजपा के प्रत्याशी सुशील रिंकू भी कांग्रेस से भाजपा में गए हैं और केपी भी कांग्रेस से ही शिअद में गए। बता दें कि जालंधर में सबसे अधिक 40 प्रतिशत दलित आबादी है।

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