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    8 साल बाद हारी जिंदगी की जंग, पंचतत्व में विलीन हुए लेफ्टिनेंट कर्नल करणबीर; कुपवाड़ा में आतंकियों से लिया था लौहा

    Updated: Tue, 26 Dec 2023 02:28 PM (IST)

    Lieutenant Colonel Karanbir Singh Nat आतंकियों की तरफ से की जा रही गोलियों की बौछार से अपने साथी को बचा अपने ऊपर गोली झेलने वाले कर्नल करणबीर सिंह नट (Lieutenant Colonel Karanbir Singh Nat) लगभग आठ वर्ष तक कोमा में रहने के बाद बीते कल वीरगति को प्राप्त हुए। उन्होंने साल 2015 में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में साथी को बचाने के लिए खुद के शरीर पर गोली खाई थी।

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    आठ वर्ष कोमा में रहने के बाद कर्नल करणबीर वीरगति को प्राप्त

    जागरण संवाददाता, जालंधर। Punjab News:  आतंकियों की तरफ से की जा रही गोलियों की बौछार से अपने साथी को बचा अपने ऊपर गोली झेलने वाले कर्नल करणबीर सिंह नट (Lieutenant Colonel Karanbir Singh Nat) लगभग आठ वर्ष तक कोमा में रहने के बाद बीते कल वीरगति को प्राप्त हुए। वहीं, आज उनके पार्थिल शरीर को मुखाग्नि दी गई। 

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    पिता को दिलासा देने पहुंचे राजेंद्र सिंह बाजवा

    कर्नल करणबीर सिंह के पिता रिटायर्ड कर्नल जसवंत सिंह को दिलासा देने के लिए जनरल ढिल्लों, पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री तृप्त राजेंद्र सिंह बाजवा के लिए वहां पहुंचे। आज जालंधर कैंट के रामबाग शमशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया। 

    बेटी ने दी पिता कर्नल को मुखाग्नि

    कर्नल के पार्थिव शरीर को उनकी बेटी ने मुखाग्नि दिखाई। वर्ष 2015 में जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में एक आतंकी को मार गिराते हुए वह गंभीर रूप से घायल हुए थे, जिसके बाद वह कोमा में चले गए थे। रविवार को वह जालंधर मिलिट्री अस्पताल में वीरगति को प्राप्त हुए। उनके परिवार में पत्नी नवप्रीत कौर और बेटी अश्मीत एवं गुनीता हैं।

    फूड पाईप के जरिए सूप और जूस पीते थे कर्नल

    मिलिट्री अस्पताल जालंधर में इलाज के दौरान उन्हें फूड पाईप के जरिए सूप और जूस दिया जाता था। इस दौरान उनके कमरे में गुरबाणी चलती रहती थी। कर्नल करणबीर सिंह नट जम्मू एंड कश्मीर राइफल की 160 इन्फेंट्री बटालियन में तैनात थे।

    साथी को बचाने के लिए खुद खाई गोली

    22 नवंबर 2015 को कुपवाड़ा के गांव हाजी नाका के जंगली क्षेत्र में साथी जवानों के साथ आतंकियों की तलाश में थे कि एकाएक वहां पर छिपे हुए आतंकी की गोलियों की बौछार में आ गए। वह हमलावर की पोजीशन के बेहद करीब थे। अपने साथी का जीवन खतरे में देखते हुए उन्होंने अपने साथी को बचाने के लिए उसे धक्का दे दिया।

    गोली खाने के बाद भी आतंकियों को किया छलनी

    उनका साथी तो बच गया मगर आतंकी के स्वचालित हथियार से चली गोली ने कर्नल करणबीर सिंह के निचले जबड़े को बहुत नुकसान पहुंचाया था। बुरी तरह से घायल होने के बावजूद कर्नल करणबीर ने अपनी पोजीशन बदली, लगातार फायरिंग करते रहे और ढोक में छिपे आतंकी को खत्म करने में सफल रहे।

    मुठभेड़ में बुरी तरह घायल हुए थे कर्नल करणबीर

    कर्नल करणबीर सिंह नट इस मुकाबले में बुरी तरह से घायल हुए और उन्हें हवाई जहाज से दिल्ली के अस्पताल में शिफ्ट किया गया। हालांकि इस दौरान वह कोमा में चले गए। कुछ समय तक उनका इलाज दिल्ली के अस्पताल में चला और उसके बाद उन्हें जालंधर मिलिट्री अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया।

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    वीरता पुरुस्कार से सम्मानित किए गए कर्नल करणबीर

    कर्नल करणबीर सिंह की तरफ से दिखाए गए अदम्य साहस के लिए उन्हें 26 जनवरी 2016 को सेना मेडल (वीरता) से सम्मानित किया गया। इससे पहले वह 19 गार्ड्स में भी अपनी सेवाएं दे चुके थे। 18 मार्च 1976 को जन्म लेने वाले कर्नल करणबीर सिंह नट का परिवार बटाला से संबंधित है और उनके पिता जगतार सिंह भी भारतीय सेना में कर्नल थे।

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