Move to Jagran APP

गूगल की भी 'अम्‍मा' हैं चौथी तक पढ़ीं कुलवंत कौर, इनकी प्रतिभा जान रह जाएंगे हैरान

पंजाब के पटियाला जिले के एक गांव की 55 साल की कुलवंत कौर स्‍कूली शिक्षा के नाम पर बस चौथी तक पढ़ी-लिखी हैं, लेकिन उनकी प्रतिभा और ज्ञान विलक्षण है। लोग उन्‍हें 'गूगल बेेबे' कहते हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 02 Aug 2018 10:37 AM (IST)Updated: Fri, 03 Aug 2018 08:51 PM (IST)
गूगल की भी 'अम्‍मा' हैं चौथी तक पढ़ीं कुलवंत कौर, इनकी प्रतिभा जान रह जाएंगे हैरान
गूगल की भी 'अम्‍मा' हैं चौथी तक पढ़ीं कुलवंत कौर, इनकी प्रतिभा जान रह जाएंगे हैरान

जालंधर, [वंदना वालिया बाली]। चेहरे की झुर्रियों में उनका जिंदगी का अनुभव ही नहीं, बल्कि इतिहास व धर्म के ज्ञान की बारीकियां भी छिपी हैं, लेकिन ज्ञान पिपासा कुछ ऐसी है कि बुढ़ापे में भी वह पढ़ाई की दूसरी पारी शुरू करने जा रही हैं। वह 55 साल की हैं और मात्र चौथी तक पढ़ाई की है, लेकिन दिमाग कंप्यूटर की तरह दौड़ता है। हम बात कर रहे हैं पटियाला जिला के गांव सालूवाल की कुलवंत कौर। उनकी विलक्षण प्रतिभा के कारण लोगों ने उनको 'गूगल बेबे' का नाम दे दिया है।

loksabha election banner

कंप्यूटर की तरह दौड़ता है 55 साल की 'गूगल बेबे' का दिमाग, वर्ल्‍ड टूर पर भी जाएंगी

दरअसल वह भारतीय व सिख इतिहास तथा धर्मो से जुड़े लगभग हर सवाल का जवाब गूगल से भी पहले दे देती हैं। उनकी इसी के कारण उनका नाम पड़ गया है 'गूगल बेबे'।

करना चाहती हैं पीएचडी 

जुनून व जज्बा हो तो पढ़ाई के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती। इस बात को सिद्ध करते हुए 'गूगल बेबे' पटियाला की पंजाबी यूनिवर्सिटी में दाखिला लेकर धर्म अध्ययन विभाग में रिफ्रेशर कोर्स शुरू करेंगी। इसके लिए सरबत दा भला ट्रस्ट के एसपी सिंह ओबराय ने उनकी बात यूनिवर्सिटी के अधिकारियों से करवाई तो उनके प्रश्नों के उत्तर कुलवंत कौर ने तुरंत देकर उन्हें भी प्रभावित कर दिया। फिर उनको दाखिला मिल गया।

कुलवंत कौर भारतीय और सिख इतिहास व अन्य धर्मो से जुड़े हर सवाल का तुरंत दे देती हैं जवाब

वह कहती हैं कि मौका मिला तो इसी विषय में पीएचडी भी करूंगी। ओबराय ने उन्हें वर्ल्‍ड टूर पर ले जाने की भी बात कही है, ताकि युवा पीढ़ी को अपनी विरासत से जोड़ने के लिए धार्मिक ग्रंथों की कहानियां बेबे सुना सकें।

यह भी पढ़ें: नाती इमरान खान से हालात बदलने की उम्‍मीद, पंजाब से है यह खास नाता

पढ़ाई का था जुनून, मगर..

कुलवंत कौर ने बताया कि उनके पिता प्रीतम सिंह इंजीनियर थे और काम के सिलसिले में आगरा में बस गए थे। वहीं उनका जन्म हुआ और चौथी तक की शिक्षा ग्रहण की। पिता जी से अनेक ऐतिहासिक व धार्मिक कहानियां सुनीं। वे सभी जेहन में बैठ गईं तथा उनके बारे में और अधिक जानने की जिज्ञासा कभी शांत नहीं हुई। फिर पारिवारिक परेशानियों व जमीनी झगड़े के कारण परिवार को पंजाब में अपने गांव लौटना पड़ा।

यह भी पढ़ें: अब पौधे खुद बताएंगे लगी है प्‍यास और मांगेंगे पानी, नई खोज डाल देगी अचरज में

स्कूल छूटा, लेकिन पढ़ना नहीं छोड़ा

वह कहती हैं स्कूल तो छूट गया, 'मैंने पढ़ना नहीं छोड़ा। इसके बाद जहां भी, जिसके पास भी, मुझे कोई पुस्तक मिलती  कुछ समय के लिए उससे लेकर पढ़ने लगती। पढ़ने के बाद मैं लौटा देती थी।' कुलवंत ने बताया कि उनकी रुचि इतिहास व धर्म में ही रही। एक बार जिस पुस्तक को पढ़ा वह फिर भूली नहीं।

सब फीड है दिमाग के कंप्यूटर में

कुलवंत कौर ने डिस्कवरी ऑफ इंडिया, हिस्ट्री ऑफ पंजाब सहित विभिन्न धर्म ग्रंथों का अध्ययन किया है। भारत में आर्यों के आने से लेकर महमूद गजनी के 17 हमलों, अलाउद्दीन खिलजी, सिकंदर- पोरस, चंद्रगुप्त मौर्य, अशोक सम्राट सहित महाराजा रणजीत सिंह, जस्सा सिंह आहलूवालिया, जस्सा सिंह रामगढ़िया आदि राजा महाराजाओं की कहानियां ही नहीं उनके परिवारों की विस्तृत जानकारी भी उनके दिमाग में कंप्यूटर की हार्ड डिस्क की तरह फीड है।

यह भी पढ़ें: आदि शंकराचार्य पर देखी फिल्म, मोक्ष की खोज में निकल पड़ा नासा का एयरोनॉटिकल

यही नहीं, हिंदू, ईसाई, इस्लाम, यहूदी, बोद्ध धर्म की तमाम जानकारी भी उनके पास मिल जाती है। अब भी वह अखबार पढ़ने की शौकीन है और विशेषकर पंजाबी अखबार पढ़ती हैं।

जब जागो तभी सवेरा

वह कहती हैं, ' बचपन में परिवार के हालात ऐसे हो गए कि हम पांच बहनों व तीन भाइयों में से केवल बड़े भाई व एक बहन ही आगरा में पढ़ पाए थे। शादी के बाद पति का प्रोत्साहन नहीं मिला। दिशा वुमन वेलफेयर ट्रस्ट की हरदीप कौर ने हुनर को पहचान दिलाई तो दुनिया ही बदल गई। मेरी आज भी पढ़ने में रुचि है और आगे पढ़कर अपने ज्ञान में वृद्धि करना चाहती हूं। मेरा बेटा जगजीत सिंह, बेटी मनप्रीत कौर सपोर्ट करते हैं। पति निर्मल सिंह अब दुनिया में नहीं हैं।

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.