नाती इमरान खान से हालात बदलने की उम्मीद, पंजाब से है यह खास नाता
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने जा रहे इमरान खान से पंजाब खासकर जालंधर को उम्मीद है कि वह भारत व पाकिस्तान के बीच रिश्ते को बेहतर करेंगेे। इमरान खान का जालंधर से गहरा नाता है।
जेएनएन, जालंधर। पूर्व सैन्य अफसरों का मानना है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने जा रहे इमरान खान भारत-पाक रिश्ते काे नया आयाम देंगे। यह उम्मीद इसलिए है कि इमरान खान का जालंधर से गहरा नाता है। यहां बस्ती दानिशमंदा में इमरान का ननिहाल है। आजादी से पहले यहां बनी उनके ननिहाल की कोठी अमानत मंजिल शहर में आज भी मशहूर है और इसे पीली कोठी के नाम से जाना जाता है। इमरान खान की माता शौकत खान अपने परिवार के साथ आजादी से पहले यहां रहती थीं। विभाजन से पहले की यादों को समेटे बैठी यह पीली कोठी आज भी उनकी बचपन की यादों को संभाले हुए है।
जालंधर में है इमरान खान का ननिहाल, पीली कोठी में आज भी संजोए हुए उनकी मां की याद
1947 के विभाजन के बाद इमरान खान का परिवार पाकिस्तान चला गया था। पाकिस्तान में ही इमरान का जन्म 25 नवंबर 1952 को लाहौर में हुआ। 1985 में इमरान की मां शौकत खान की कैंसर से मौत हो गई, लेकिन अंत समय तक उनका जालंधर से लगाव बना रहा। यही कारण है कि जालंधर के बुजु्र्ग लोग आज भी उनको याद करते हैं और इमरान से जुड़ाव महसूस करते हैं।
जालंधर के लोगाें व पूर्व सैन्य अफसरों को उम्मीद- बेहतर होंगे भारत-पाकिस्तान के रिश्ते
इमरान खान भी यहां की अपनी जड़ को नहीं भूले हैं और यही कारण है कि उन्होंने पाकिस्तान के चुनाव में जीेत के बाद खुद जालंधर से अपने अतीत की चर्चा की। जालंधर में इमरान के ननिहाल का घर लगभग 100 मरले रकबे में बना हुआ है। पिछले दिनों इमरान खान ने भारत-पाकिस्तान रिश्ते की चर्चा करते हुए कहा था कि उनके परिवार का भारत के जालंधर से गहरा नाता रहा है। उनके पुरखे 600 से अधिक वर्षों तक जालंधर में रहे हैं। लाहौर में स्थानांतरित होना उनके लिए गहरा आघात था। इमरान ने कहा कि उनकी मां ने जालंधर में अपना बचपन बिताया।
जालंधर के दानिशमंदा में इमरान खान के ननिहाल की कोठी।
विभाजन के बाद पाकिस्तान चला गया था परिवार
बस्ती दानिशमंदा निवासी बचन सिंह तांगेवाला और केवल सिंह मठारू ने बताया कि इमरान खान के ननिहाल परिवार की कोठी के मौजूदा मालिक इंग्लैंड में रहते हैं। इमरान के ननिहाल के पाक जाने के बाद कोठी को राम सिंह ने खरीद लिया। उनकी अब मौत हो चुकी है और उनकी अगली पीढ़ी इंग्लैंड में रहती है। पिछले कुछ वर्षों से पीली कोठी की देखभाल के लिए अजीत सिंह अपने परिवार के साथ रह रहे हैं।
इमरान खान के ननिहाल की पीली कोठी का हिस्सा।
अमानत मंजिल पर खुदा है 1347 एवं 1929
अमानत मंजिल इमारत पर नजर दौड़ाएं तो वहां पर 1347 एवं 1929 लिखा हुआ नजर आता है। बस्ती दानिशमंदा के बाशिंदों के मुताबिक इस इलाके में तीन बड़ी कोठिया थीं। इनमें से दो गिर चुकी हैं, लेकिन पीली कोठी अब भी मजबूत नींव पर टिकी है।
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इमरान आ चुके हैं ननिहाल घर
यहां किराना दुकान चलाने वाले सतीश कुमार कहते हैैं कि इमरान ने क्रिकेट करियर के दौरान भारत में खेलते समय एक बार जालंधर आकर ननिहाल परिवार का घर देखा था। यहां के रहने वाले रवि नागपाल ने बताया कि लोगों को इस बात की खुशी है कि इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं और उनकी जड़ें बस्ती दानिशमंदा के साथ जुड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को उम्मीद है कि इमरान के प्रधानमंत्री बनने पर दोनों मुल्कों के संबंध सुधरेंगे। जिक्र योग है कि बस्ती दानिशमंदा वह इलाका है, जहां 1947 के विभाजन के बाद उजड़ कर आए लोग आबाद हुए थे।
इमरान खान के ननिहाल की कोठी का ऊपरी हिस्सा।
फौज के पूर्व जनरल को उम्मीद, संबंध सुधार सकते हैं इमरान खान
यह जगजाहिर है कि पाकिस्तान की राजनीति को वहां की सेना अंदरखाते कंट्रोल करती है। इसके साथ ही चर्चाएं आम हैं कि इस बार इमरान खान को प्रधानमंत्री बनाने में वहां की फौज का अहम योगदान को देखा जा रहा है। यही कारण है कि पड़ोसी मुल्क में होने वाला सत्ता परिवर्तन भारत को भी प्रभावित करता है। समय-समय पर बदले पाकिस्तान के हुक्मरानों की भारत को लेकर नीति भी अलग-अलग रही है।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर से राजनीतिज्ञ बने इमरान खान का भारत के प्रति नजरिया भी मायने रखता है। चुनाव प्रचार में तो इमरान खान भारत एवं कश्मीर को लेकर अधिक सकारात्मक नजर नहीं आ रहे थे, लेकिन सरकार बनाने के बेहद करीब पहुंचने के बाद इमरान खान ने भारत-पाक के मध्य विवादित मसलों को बातचीत से हल करने की बात की है। सबसे खास बात रही उनका जालंधर से अपने परिवार और पुरखों के जुड़ाव को याद करना। पाकिस्तान की वजारत का आंकलन भारतीय फौज के पूर्व अधिकारी भी बखूबी करते हैं। इमरान खान की दोस्ताना पहल से भारतीय सेना के पूर्व जनरल दोनों देशों के मध्य संबंध सुधरने को लेकर आशावान हैं।
पूर्व सैन्य अफसर (ऊपर बाएं से) - लेफ्टिनेंट जनरल एएस बाहिया और मेजर जनरल इकबाल सिंह। नीचे बाएं से - ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) केएस ढिल्लों और मेजर जनरल मंजीत सिंह।
इमरान ने की है दोस्ताना पहल : एएस बाहिया
भारतीय सेना में अहम मोर्चे पर रहे चुके लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) एएस बाहिया ने कहा कि सत्ता संभालने से पहले इमरान खान ने भारत एवं पाकिस्तान के मध्य तमाम विवादित मसलों को बातचीत से सुलझाने संबंधी बात कर दोस्ताना पहल की है। भारत को भी इमरान खान की इस पहल का सकारात्मक जवाब देना चाहिए, हालांकि इसमें सतर्कता भी बेहद जरूरी है। चरणबद्ध तरीके से बातचीत को आगे बढ़ाना चाहिए, कम विवादित मसलों से शुरूआत कर गंभीर मसलों के हल की तरफ बढ़ना चाहिए।
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भारत-पाक के संबंध सुधरने को लेकर खासा उत्साहित इकबाल सिंह
मेजर जनरल (रिटायर्ड) इकबाल सिंह पाकिस्तान के आम चुनावों में हाफिज सईद समेत अन्य आतंकी संगठनों को मिली शिकस्त और इमरान खान की जीत की वजह से भारत-पाकिस्तान के संबंध सुधरने को लेकर खासे उत्साही हैं। मेजर जनरल इकबाल सिंह ने कहा कि पाकिस्तान की जनता भी जागृत है और समझ चुकी है कि भारत से वैर भाव से कुछ हासिल नहीं होगा। उन्होंने उम्मीद जाहिर की है कि इमरान खान दोनों देशों के संबंध सुधारने के लिए प्रयास करेंगे।
पाकिस्तान सेना की शह पर ही वहां चलती है राजनीति : केएस ढिल्लों
ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) केएस ढिल्लों ने कहा कि पाकिस्तान सेना की शह पर ही वहां की राजनीति चलती है। अगर इमरान खान भारत के साथ दोस्ताना रिश्तों की बात करेंगे तो यह पाकिस्तान सेना के हक की बात नहीं होगी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान राजनीति के मौजूदा हालातों में फिलहाल कुछ ज्यादा बदलाव होता नजर नहीं आ रहा।
इमरान राजनीतिज्ञ के साथ एक उम्दा स्पोट्र्समैन भी : मंजीत सिंह
मेजर जनरल (रिटायर्ड) मंजीत सिंह ने कहा कि इमरान खान राजनीतिज्ञ होने के अलावा एक उम्दा स्पोट्र्समैन भी हैं। भारत में भी उनके बढिय़ा संबंध हैं। ऐसे में दोनों देशों के संबंध तो अच्छे होने की पूरी उम्मद है। मेजर जनरल मंजीत सिह ने कहा कि पाकिस्तान का फायदा भी भारत से संबंध सुधारने में ही है। पाकिस्तान की इकॉनिमी के बुरे हाल हैं और लोग इससे बाहर निकलना चाहते हैं।