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जालंधर के साईं दास स्कूल में 125 वर्षों से धर्म और यज्ञ शिक्षा की परंपरा कायम

साईं दास स्कूल में लाला लाजपत राय और लाला हंसराज प्रत्येक सप्ताह बच्चों को लेक्चर देने के लिए आया करते थे। स्कूल में एक सदी के बाद भी लाला लाजपत राय और लाला हंसराज की तरफ से शुरू करवाए गए यज्ञ की परंपरा को बरकरार रखा गया है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sat, 21 May 2022 10:59 AM (IST)Updated: Sat, 21 May 2022 10:59 AM (IST)
जालंधर के साईं दास स्कूल में 125 वर्षों से धर्म और यज्ञ शिक्षा की परंपरा कायम
जालंधर का साईं दास स्कूल 125 वर्ष पुराना है। जागरण

जासं, अंकित शर्मा। बात 1896 की है जब महज 24 रुपये में किराये की इमारत में साईंदास स्कूल की शुरुआत की गई थी। इमारत मिट्टी की चिनाई के साथ बनी थी और कच्ची थी। सुंदर दास स्कूल के पहले हेड मास्टर थे। तब लाला लाजपत राय और लाला हंसराज प्रत्येक सप्ताह बच्चों को लेक्चर देने के लिए आया करते थे। स्कूल में एक सदी के बाद भी लाला लाजपत राय और लाला हंसराज की तरफ से शुरू करवाए गए यज्ञ की परंपरा को बरकरार रखा गया है।

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प्रत्येक मंगलवार को यहां विद्यार्थियों को धर्म से जोड़े रखने के लिए यज्ञ और सप्ताह में दो बार धर्म की शिक्षा दी जाती है। तब हेड मास्टर सुंदर दास ने लाला लाजपत राय और लाला हंसराज को वचन दिया था कि जब तक बच्चों की संख्या 100 नहीं हो जाती, तब तक वे बिस्तर पर नहीं सोएंगे। ऐसा उन्होंने कुछ ही महीनों में करके भी दिखाया, 1900 तक अपनी सेवाएं देते रहे।

1906 में महात्मा हंसराज ने स्कूल की अपनी बिल्डिंग का निर्माण करने के लिए नींव पत्थर रखा। फाउंडर हेड मास्टर सुंदर दास के पिता साईंदास की स्मृति में स्कूल का नाम रखा गया। सरकार से कभी ग्रांट नहीं मिली लेकिन बावजूद इसके 1925 में स्कूल की आमदनी 13471 रुपये होती थी, तब स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या 1042 तक पहुंच गई थी, जिन्हें पढ़ाने के लिए 33 शिक्षक थे। हिंदी विषय सभी के लिए अनिवार्य थी। 1967-68 में 6102 विद्यार्थी हो गए। 2005-06 में 1702 हायर और 1699 प्राइमरी में विद्यार्थी थी। आज स्कूल के पास 49 सेक्शन, लाइब्रेरी, तीन हजार से किताबें हैं जो बच्चों को संस्कृति से जोड़ने का काम करती है। 

आजादी से पहले उत्तर भारत के सबसे बड़े व नामी स्कूलों में विख्यात साईंदास एंग्लो संस्कृति स्कूल पटेल चौक में आज भी अपनी पहचान बरकरार रखे हुए है। इसी साल अप्रैल में स्कूल का 125वां स्थापना दिवस मनाया गया है।

देश के विभाजन के दौरान पाकिस्तान के जिला मुल्तान के मियां चन्नू इलाके से शहर में आकर बसे गोपी चंद गुलाटी स्वतंत्रता संग्राम व समय के साथ-साथ शहर में आए व्यापक परिवर्तन की यादें खुद में संजोए हुए हैं। यह उनका अनुभव ही है कि शहर के किसी भी इलाके का मकान नंबर बताते ही वह झट से उसकी लोकेशन बता देते हैं।

स्कूल के एलुमिनाई

क्रिकेटर महिंदर अमरनाथ, वेद राज, हंसराज, अवश पाल, अश्विनी राजदान, दविंदर अरोड़ा, राहुल शर्मा, हाकी खिलाड़ी हार्दिक सिंह, एसपी पीएपी बहादुर सिंह, रिटायर्ड चीफ सेक्रेटरी सर्वेश कौशल, सीए व समाजसेवक सुधीर कुमार, डा. राजेश पसरीचा, डा. बलराज गुप्ता, उद्योगपति अजय गोस्वामी।

यज्ञशाला जहां एक सदी से यज्ञ हो रहा है’जागरण

स्कूल में शुरू होगा सुपर 20 प्रोजेक्ट

स्कूल का हाल ही में 30 लाख रुपये की लागत से पूर्व विद्यार्थी व समाजसेवक सुधीर कुमार ने जीर्णोद्धार करवाया है। मौजूदा समय में प्रिंसिपल राकेश शर्मा सेवाएं दे रहे हैं और कभी सात सौ के आस-पास तक सिमट चुकी विद्यार्थियों की संख्या फिर से बढ़ने लगी है। मौजूदा समय में एक हजार से ज्यादा विद्यार्थी है। अब जल्द ही सुपर 20 प्रोजेक्ट शुरू होगा। इसके तहत उन मेधावी विद्यार्थियों की पढ़ाई, लिखाई का सारा खर्च उठाएंगे। यही नहीं विद्यार्थी जिस भी फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं उनकी इच्छानुसार उनकी मंजिल तक पहुंचाने के लिए सहयोग मिलता रहेगा।


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