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    तूने मुझे बुलाया शेरावालिये... गाने वाले भजन सम्राट नरेंद्र चंचल जालंधर को मानते थे कर्मभूमि

    By Pankaj DwivediEdited By:
    Updated: Fri, 22 Jan 2021 05:15 PM (IST)

    अमृतसर में जन्मे और जालंधर को अपनी कर्मभूमि मानने वाले नरेंद्र चंचल के निधन से शहर के धार्मिक स्थलों में भी शोक की लहर है। वे सिद्ध शक्तिपीठ श्री देवी तालाब मंदिर में हर वर्ष नवरात्रि के दिनों में हाजिरी लगवाने आते थे।

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    भजन सम्राट नरेंद्र चंचल का 80 साल की उम्र में निधन हो गया है।

    जालंधर, जेएनएन। तूने मुझे बुलाया शेरावालिये... जैसा भजन गाने वाले गायक नरेंद्र चंचल अब दुनिया में नहीं रहे। उनका सुबह दिल्ली के अपोलो अस्पताल में उपचार के दौरान निधन हो गया। अमृतसर में जन्मे और जालंधर को अपनी कर्मभूमि मानने वाले नरेंद्र चंचल के निधन से शहर के धार्मिक स्थलों में भी शोक की लहर है। सिद्ध शक्तिपीठ श्री देवी तालाब मंदिर में हर वर्ष नवरात्रि के दिनों में हाजिरी लगवाने आते थे। श्री देवी तालाब मंदिर के जागरण के बाद ही उनका करियर बुलंदियों पर पहुंचा था।

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    शिष्य वरुण मदान साथियों के साथ दिल्ली रवाना

    नरेंद्र चंचल के शहर में वरुण मदान एकमात्र शिष्य है। जिन्होंने नरेंद्र चंचल से धार्मिक संगीत का ज्ञान प्राप्त किया है। नरेंद्र चंचल के निधन की खबर मिलते ही वरुण मदान साथियों के साथ दिल्ली रवाना हो गए हैं। उनके निधन पर श्री देवी तालाब मंदिर प्रबंधक कमेटी के महासचिव राजेश विज, कैशियर पविंदर बहल, पवन मेहता, सौरभ शर्मा राकेश महाजन सहित सदस्यों ने शोक प्रकट किया है।

    जालंधर में अपने शिष्य वरुण मदान के साथ भजन सम्राट नरेंद्र चंचल। (फाइल फोटो)

    बता दें कि भजन सम्राट नरेंद्र चंचल का दिल्ली में निधन हो गया है। वह 80 साल के थे और पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। दिल्ली के अपोलो अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। वह मूल रूप अमृतसर के रहने वाले थे लेकिन उनका जालंधर में अक्सर आना-जाना लगा रहता था। यहां वह लगभग हर साल आते थे।

    अमृतसर के शक्ति चौक में हुआ था जन्म

    अमृतसर। गुरुनगरी में जन्म लेने वाले नरेंद्र चंचल ने मां की भेंटे गाकर अपना करियर शुरू किया था। इसके बाद उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में भी अपनी गायकी का लोहा मनवाया। 16 अक्टूबर, 1940 को जन्मे नरेंद्र चंचल शक्ति चौक में चेतराम खरबंदा व कलाशवती के घर पैदा हुए थे। बचपन से ही उनको भजन गाने का शौक था। शुरुआत में उन्होंने गलियों, मोहल्लों मंदिरों में मां की भेंटे गाकर नाम कमाया।

    फिल्म बाबी में गाया था पहला गाना

    इसके बाद उनको मुंबई जाने का भी मौका मिला। वर्ष 1973 में पहली बार उन्होंने हिंदी फिल्म बॉबी में मंदिर मस्जिद तोड़ो...गीत गाकर फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था।

    देश के मशहूर भजन गायक नरेंद्र चंचल का दिल्ली के अस्पताल में निधन