मेयर जगदीश राजा की कूटनीति में उलझे पार्षद, पढ़ें जालंधर महानगर की और भी रोचक खबरें
पंजाब में आप की सरकार बनने के बाद मेयर जगदीश राजा ने सदन की बैठक नहीं बुलाई है। वह किसी प्रकार का राजनीतिक जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं। इस कारण पार्षद मेयर के दरबार में रोजाना हाजिरी लगाने को मजबूर हैं।

मनोज त्रिपाठी, जालंधर। मेयर जगदीश राज राजा तमाम उतार-चढ़ाव के बीच अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के लिए अग्रसर हैं। पंजाब में कांग्रेस की सरकार सत्ता से बाहर होने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि जालंधर नगर निगम में भी बहुमत वाला कांग्रेस का हाउस बिखर जाएगा और मेयर को कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है, लेकिन समय रहते ही मेयर ने इस आशंका को भांप लिया था।
इसके बाद उन्होंने गत दिवस नगर निगम हाउस की बैठक ही नहीं बुलाई। इसके बाद अलबत्ता सालाना हाउस की बैठक भी न बुलाकर मेयर ने एक बार सभी को चौंका दिया था। अब सुनवाई न होने पर वही पार्षद मेयर के दरबार में रोजाना हाजिरी लगा रहे हैं, क्योंकि विकास कार्य तो करवाने ही हैं। अब मेयर जगदीश राज राजा रोज ही पार्षदों के साथ बैठककर उनकी समस्याएं सुन रहे हैं और उसका समाधान भी करवा रहे हैं। कारण, नगर निगम चुनाव सिर पर आ रहे हैं।
भगोड़े भगा रहे हैं पुलिस को
जालंधर में भगोड़ों ने पुलिस की नाक में दम कर रखा है। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद सभी जिलों की पुलिस अधिक से अधिक केसों को हल करने के लिए भगोड़ों की गिरफ्तारी को तवज्जो दे रही है। इन्हीं में जालंधर की पुलिस भी शामिल है। डेढ़ महीने से ज्यादा समय से पुलिस विभिन्न मामलों में भगोड़े चल रहे आरोपितों की गिरफ्तारी के प्रयास कर रही है। दर्जनों भगोड़ों को गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन अभी भी कई दर्जन भगोड़े पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं।
यही वजह है कि नए पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह तूर ने भी जालंधर का चार्ज संभालते ही भगोड़ों की गिरफ्तारी को लेकर मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने पुलिस को आदेश दे रखा है कि जल्द से जल्द सभी भगोड़ों को गिरफ्तार किया जाए। पुलिस ने भगोड़ों की तलाश शुरू कर दी है। देखना है कि नौनिहाल सिंह के मुकाबले तूर के कार्यकाल में ज्यादा भगोड़ों की गिरफ्तारी होती है या नहीं।
विधायक पुत्र का भी है जलवा
मामला नगर निगम और पहली बार विधायक बने नेता जी से जुड़ा हुआ है। बीते दिनों विभिन्न मामलों को लेकर चर्चा में चल रहे विधायक जी के नगर निगम से संबंधित कामों की कमान अब उनके बेटे ने संभाल ली है। नतीजतन निगम अधिकारियों के साथ अब विधायक जी की नहीं बल्कि उनके बेटे की बैठकें होने लगी हैं।
चार दिन पहले विधायक जी के बेटे और नगर निगम कमिश्नर करनेश शर्मा के बीच एक घंटे तक चली गुप्त बैठक चर्चा का विषय बनी हुई है। आखिर ऐसा कौन सा मामला था कि विधायक जी के बेटे के साथ कमिश्नर ने एक घंटे तक बैठक की और उसके चक्कर में उन्होंने शहर के तमाम पार्षदों व मेयर जगदीश राज राजा को भी इंतजार करवाया। शहर में इस बात की खूब चर्चा हो रही है। हालांकि इस बारे में कमिश्नर ने चुप्पी साध रखी है, लेकिन बात निकली है तो दूर तलक जाएगी।
परगट सिंह का हो गया डिमोशन
लगातार तीन बार कैंट विधानसभा हलके से चुनाव जीतने वाले कांग्रेस विधायक व पूर्व कैबिनेट मंत्री परगट सिंह एक बार फिर से चर्चा में हैं। चुनाव से पहले पंजाब कांग्रेस में हुए बड़े फेरबदल के बाद नवजोत सिंह सिद्धू के हाथ में जब कांग्रेस की कमान आई थी तो सिद्धू ने परगट को अपना करीबी मानकर उन्हें संगठन का अति महत्वपूर्ण पद दिया था। सिद्धू ने परगट को महासचिव बनाया था। इसके बाद सिद्धू अपनी ही राजनीति में फंसते चले गए और मौके की नजाकत को देखते हुए परगट सिंह ने पलटी मार ली। अब फिर प्रदेश कांग्रेस में बदलाव हुआ है। अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग को पंजाब कांग्रेस की कमान सौंपी गई है तो उम्मीद की जा रही थी कि परगट का पत्ता कटेगा, लेकिन डिमोशन ही सही परगट ने फिर से पार्टी में महासचिव के बजाय उपप्रधान का पद हासिल कर संगठन में अपनी उपयोगिता बरकरार रखी है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।