Chaitra Navratra 2022: देश के 51 शक्तिपीठों में शुमार है जालंधर का मां त्रिपुरमालिनी धाम, नवरात्र पर लगा भव्य मेला
Mata Tripurmalini Shaktipeeth Jalandhar श्री सिद्ध शक्तिपीठ मां त्रिपुरमालिनी धाम का इतिहास देवी सती से जुड़ा है। कहते हैं कि यहीं पर माता सती का बायां वक्ष गिरा था। इसी कारण इसे एक और नाम स्तनपीठ से भी जाना जाता है।

जेएनएन, जालंधर। महानगर के प्रसिद्ध श्री देवी तालाब मंदिर में स्थित श्री सिद्ध शक्तिपीठ मां त्रिपुरमालिनी का धाम देश के 51 शक्तिपीठों में शुमार किया जाता है। इस मंदिर का इतिहास देवी सती से जुड़ा हुआ है। यहीं पर उनका बायां वक्ष गिरा था। इसीलिए इसे 'स्तनपीठ' भी कहा जाता है, जिसमें देवी का वाम स्तन कपड़े से ढंका रह्ता है। धातु से बने मुख के दर्शन भक्तों को करवाए जाते हैं। मंदिर तालाब के बीच में बना है और इसका शिखर सोने से ढंका है। मंदिर के अंदर मां भगवती के साथ मां लक्ष्मी और मां सरस्वती की मूर्तियां विराजमान हैं। आजकल यहां वार्षिक मेला लगा हुआ है जिसमें देश के विभिन्न राज्यों के अलावा विदेश से भी श्रद्धालु आते हैं।
12 सरवरों में से एक पर बना है मंदिर
कहते हैं कि कभी जालंधर में 12 सरोवर हुआ करते थे। श्री देवी तालाब मंदिर का सरोवर भी इन्हीं में से एक है। धार्मिक एवं पवित्र होने के कारण यह अपने आप में एक महत्वपूर्ण सरोवर है। श्री देवी तालाब मंदिर की परिक्रमा करते हुए मां त्रिपुरमालिनी का मंदिर आता है, जिसके चरणों में पवित्र सरोवर का निर्माण हुआ है। इसलिए ही इस मंदिर को देवी तालाब का नाम दिया गया है।
शुक्रवार को श्री देवी तालाब मंदिर स्तिथ शक्तिपीठ मां त्रिपुरमालिनी धाम में उमड़े श्रद्धालु।
48 स्तंभों पर बना है भव्य मंदिर
श्री देवी तालाब मंदिर का निर्माण समय-समय पर होता रहा है। इस मंदिर का निर्माण 48 स्तंभों पर किया गया है। मंदिर का इतिहास माता सती जुड़ा है। इसलिए इस मंदिर में मां दुर्गा और माता सती के की मूर्तियां खासतौर पर रखी गईं हैं। इनके अलावा मंदिर में भगवान शिव की एक मूर्ति भी है। इस मंदिर के पास ही मां काली को समर्पित मंदिर भी है।
मां त्रिपुरमालिनी मंदिर में लंगर ग्रहण करते श्रद्धालु।
दुनिया का सबसे बड़ा हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत सम्मेलन
श्री देवी तलाब मंदिर में ही विश्व प्रसिद्ध हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत सम्मेलन श्री हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन होता है। इसे यहां हर साल वर्ष 1875 से आयोजित किया जा रहा है। इसमें हिंदुस्तानी संगीत के प्रसिद्ध संगीतकार भाग लेते हैं। सम्मेलन हर साल दिसंबर में आयोजित किया जाता है।
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