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    वसीका नवीस ने ली पांच हजार रिश्वत, LIP प्रधान ने Facebook पर लाइव हो सुनाई खरी-खोटी

    By Vikas_KumarEdited By:
    Updated: Wed, 15 Jul 2020 12:48 PM (IST)

    जसवीर सिंह बग्गा के इस वीडियो को लोक इंसाफ पार्टी के प्रधान सिमरजीत सिंह बैंस ने भी अपने फेसबुक पेज पर शेयर किया है। ...और पढ़ें

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    वसीका नवीस ने ली पांच हजार रिश्वत, LIP प्रधान ने Facebook पर लाइव हो सुनाई खरी-खोटी

    जालंधर, जेएनएन। यहां तैनात सब रजिस्ट्रार-टू के नाम पर वसीका नवीस ने पांच हजार रुपए रिश्वत ले ली। यह रिश्वत पावर ऑफ अटॉर्नी करने के बदले ली गई। इसके बाद लोक इंसाफ पार्टी के जिला प्रधान जसवीर सिंह बग्गा ने फेसबुक लाइव कर सब रजिस्ट्रार मनिंदर सिद्धू को जमकर खरी-खोटी सुनाई। बग्गा की यह वीडियो अब लोक इंसाफ पार्टी के प्रधान लुधियाना के आत्मनगर से विधायक सिमरजीत सिंह बैंस ने भी अपने फेसबुक पेज पर शेयर की है।

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    जसवीर बग्गा ने बताया कि एक परिवार की पावर ऑफ अटॉर्नी की जानी थी। परिवार ने इसकी जानकारी उन्हें दी तो वो तहसील पहुंचे। पहले वो एक वसीका नवीस से मिले तो उनसे 10 हजार रुपए की रिश्वत मांगी गई। फिर वो दूसरे वसीका नवीस के पास गए तो उसने पांच हजार में काम करने का भरोसा दिलाया। उन्होंने पांच हजार के नोटों की फोटो कॉपी करवा ली और फिर वसीका नवीस को रिश्वत दे दी। इसके बाद उस परिवार की पावर ऑफ अटॉर्नी हो गई। इसके बाद वो सब रजिस्ट्रार मनिंदर सिद्धू से मिले। वहां उन्होंने इस पर अफसोस जताया कि अधिकारियों को लाखों रुपए का वेतन व सुविधाएं मिलती हैं, फिर भी गरीब परिवारों से रिश्वतखोरी हो रही है।

    रजिस्ट्री के लिए मांगी जा रही दस हजार रुपए रिश्वतः बग्गा

    उन्होंने सब रजिस्ट्रार को तहसील में चल रहे भ्रष्टाचार पर जमकर खरी-खोटी सुनाई। बग्गा ने आरोप लगाया कि सरकार ने बिना एनओसी रजिस्ट्री बंद कर रखी है, लेकिन तहसील में दस हजार रुपए रिश्वत लेकर यह रजिस्ट्री की जा रही है। इसके अलावा हर काम के लिए रिश्वत फिक्स है। बिना पैसे के कोई काम नहीं होती। हालांकि सब रजिस्ट्रार मनिंदर सिद्धू ने भरोसा दिलाया कि आगे से लोगों से सरकारी फीस के अतिरिक्त कोई पैसे नहीं लिए जाएंगे।

    ऐसे चलता है रिश्वतखोरी का खेल

    लोक इंसाफ पार्टी के जिला प्रधान जसवीर बग्गा ने कहा कि यह पूरा जाल बनाया गया है। वसीका नवीस, नंबरदार व दूसरे एजेंट बाहर रिश्वत लेते हैं। फिर उस पर एक खास किस्म का निशान लगा देते हैं, जिससे पता चल जाता है कि इसकी रिश्वत ली जा चुकी है। अंदर सब रजिस्ट्रार व उनके कर्मचारी तुरंत काम कर देते हैं। फिर अगले दिन निशान के हिसाब से रिश्वत की रकम बाहर वालों से इकट्ठा की जाती है। यह खेल अधिकारियों के भी ध्यान में है, लेकिन कोई इस पर कार्रवाई करने को तैयार नहीं है।