जालंधर में अमृतसर का स्वाद... रोजाना गुरु की नगरी से लाते हैं कुलचे, रेहड़ी पर लगती है भारी भीड़
फगवाड़ा गेट से शहीद भगत सिंह चौक के बीच ओमकार पहलवान दा अमृतसरी न्यूट्री कुलचा की छोटी सी रेहड़ी लगती है। इसके मालिक रोजाना काम निपटा कर वह अमृतसर जाते है और अगले दिन सुबह वहां से कुलचे लेकर जालंधर पहुंचते हैं।

चांद पहलवान छोटे भाई तरुण के साथ शहीद भगत सिंह चौक के पास नयूट्री कुल्चा
काम को आगे बढ़ा रहे हैं। वह कहते है कि रोजाना काम निपटा कर वह अमृतसर जाते है और अगले दिन सुबह वहां से कुलचे लेकर जालंधर पहुंचते है।
जगदीश कुमार, जालंधर। गुरु की नगरी अमृतसर विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजनों को लेकर खासी प्रसिद्ध है। किसी भी भोजन के साथ यदि अमृतसरी शब्द जुड़ जाए तो मन में ख्याल आता है कि इसका स्वाद निराला होगा। लोग खाने के लिए लालायित हो जाते हैं। वैसे तो अधिकतर लोग अमृतसर में दरबार साहिब के दर्शन करने के लिए देश-विदेश से पहुंचते हैं, लेकिन लोग यहां के व्यंजनों का स्वाद लेना भी नहीं भूलते हैं।
अमृतसर के अमृतसरी नान, फिरनी के अलावा न्यूट्री कुलचा का स्वाद काफी मशहूर है। जालंधर में भी अमृतसर के अमृतसरी न्यूट्री कुलचा का स्वाद लोग पिछले 16 साल से ले रहे हैं।
पुरानी रेलवे रोड तथा फगवाड़ा गेट से शहीद भगत सिंह चौक के बीच ओमकार पहलवान दा अमृतसरी न्यूट्री कुलचा की छोटी सी रेहड़ी लगती है। रेहड़ी पर न्यूट्री को तवे पर शिमला मिर्च, ग्रेवी तथा पनीर, मक्खन के साथ तैयार कर परोसने की खुशबू आने लगती है।
ओमकार पहलवान दा अमृतसरी न्यूट्री कुलचा जिले के अलावा विभिन्न राज्यों से आने वाले लोगों का भी मनपसंद है। तीसरी पीढ़ी इस काम को चला रही है। रेहड़ी के साथ भगत सिंह चौक में ही पिछले चार साल से दुकान भी चला रहे है। हालांकि छोटी रेहड़ी ही उनकी पहचान बन चुकी है।
दादा जी के नुस्खे पर बनाते हैं न्यूट्री
चांद पहलवान कहते है कि दादा ओमकार पहलवान के बाद उनके चाचा कुलदीप पहलवान और अब छोटे भाई तरुण के साथ काम को आगे बढ़ा रहे हैं। वह कहते है कि रोजाना काम निपटा कर वह अमृतसर जाते है और अगले दिन सुबह वहां से कुलचे लेकर जालंधर पहुंचते हैं।
न्यूट्री जालंधर में ही तैयार करते है। अव्वल दर्जे की न्यूट्री तैयार करने के लिए जायकेदार मसालों का इस्तेमाल किया जाता है। साबुत मसाले लेकर खुद पिसाई कर दादा जी के नुस्खे के आधार पर इसका स्वाद बरकरार रखे है। ग्रेवी में भी ब्रेड का इस्तेमाल किया जाता है। रोजाना सुबह नौ बजे लोगों का आने का सिलसिला शुरू हो जाता है। दिल्ली, राजस्थान, चंडीगढ़ के अलावा राज्य के विभिन्न जिलों से लोग उनके पास आते हैं।

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