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    जालंधर में निगम-ठेका कंपनी विवाद की वजह से दीवाली पर अंधेरा, 10 हजार स्ट्रीट लाइटें बंद

    Updated: Mon, 20 Oct 2025 11:44 AM (IST)

    जालंधर में दिवाली पर अंधेरा छा सकता है क्योंकि 10 हजार से ज्यादा स्ट्रीट लाइटें बंद हैं। नगर निगम और ठेका कंपनी के बीच रखरखाव को लेकर सहमति नहीं बन पाई है। पुरानी लाइटें भी खराब हैं, जिससे कई इलाके अंधेरे में डूबे हैं। निगम ने नई लाइटें खरीदी हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। कांग्रेस ने निगम की व्यवस्था को फेल बताया है, जबकि आप नेता ने खुद लाइटें ठीक कीं।

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    10 हजार से ज्यादा लाइटें बंद, दिवाली पर सड़कों पर रहेगा अंधेरा (प्रतीकात्मक फोटो)

    जागरण संवाददाता, जालंधर। शहर की करीब 24 हजार स्ट्रीट लाइट्स नगर निगम एलईडी लाइट्स कांट्रैक्ट कंपनी को हैंडओवर नहीं कर पाया है। इसमें से दस हजार से ज्यादा लाइटें बंद हैं। निगम और कंपनी में करीब तीन सप्ताह पहले इस बात पर सहमति बन गई थी कि कंपनी फीस लेकर निगम के जिम्मेदारी वाली स्ट्रीट लाइट्स के आपरेशन एंड मेंटेनेंस का काम देखेगी।

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    यह वह लाइट्स है जो नगर निगम के अधिकार क्षेत्र वाले इलाकों में सांसद, विधायक, मंत्री की ग्रांट से लगी हैं या इंप्रूवमेंट ट्रस्ट और पुडा की ओर से लगाई गई हैं। ठेका कंपनी एचपीएल इलेक्ट्रिक लिमिटेड सिर्फ उन लाइटों का रखरखाव कर रही है, जो कंपनी ने खुद लगाई है। इनकी गिनती लगभग 71 हजार हैं। इसके अतिरिक्त शहर में जो लाइट्स लगी हैं, वह पूरी तरह से मेनटेन नहीं हो रही हैं।

    इनमें करीब 5000 लाइट्स पुरानी ठेका कंपनी पीसीपी ने लगवाई थी। यह लाइट्स अधिकांश तौर पर शहर की सभी मेन रोड्स पर लगी हैं और इनमें से बड़ी गिनती में लाइटें खराब हो चुकी हैं। इस वजह से कई इलाके अंधेरे में डूबे रहते हैं और इससे आपराधिक घटनाएं बढ़ती हैं। इससे दिवाली की रात भी ये इलाके अंधेरे में डूबे रहेंगे।

    नगर निगम ने यह निर्णय लिया था कि मौजूदा कांट्रैक्ट कंपनी को ही पीसीपी लिमिटेड और ग्रांट या अन्य तरीके से लगी लाइटों की जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके लिए फीस भी तय कर ली गई है, लेकिन अभी तक लिखित एग्रीमेंट न होने की वजह से कंपनी ने इन लाइटों का रखरखाव शुरू नहीं किया है। उम्मीद थी कि दिवाली से पहले इन लाइटों का रखरखाव हो जाएगा और दिवाली पर शहर जगमग करेगा, लेकिन कंपनी के काम शुरू न करने की वजह से कई मेन रोड के साथ ही कालोनियां और बाहरी इलाके अंधेरे में डूबे हैं।

    नगर निगम ने हाल ही में छह हजार लाइटें खरीदी हैं और इन्हें पार्षदों में बांटा है। डार्क प्वाइंट पर यह लाइटें लगाई जा रही हैं, बावजूद कई इलाके अंधेरे में डूबे हैं। शहर के बाहरी इलाकों में विकसित हुई कई कालोनियों में सांसद और विधायकों ने लाइटें लगाई हैं। पुडा और इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की कालोनियों में भी स्ट्रीट लाइट्स बंद होने की मुश्किल है।

    सूर्या एन्क्लेव इलाके के लोग तो कई बार लाइट्स ठीक करने की मांग कर चुके हैं। नगर निगम जब कंपनी से एग्रीमेंट करेगा तो लाइटों के रखरखाव के लिए रखा स्टाफ भी कंपनी को हैंडओवर करेगा। मेयर वनीत धीर का कहना है कि कंपनी से एग्रीमेंट फाइनल है, रेट भी तय हो गया है। जल्द की कंपनी रखरखाव शुरू कर देगी। ड्रार्क प्वाइंट कवर करने के लिए निगम ने सभी पार्षदों को लाइटें दी हैं। अगले कुछ दिनों में सभी लाइटें ठीक हो जाएंगी।

    जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक राजिंदर बेरी ने कहा कि देश के सबसे बड़े त्योहार दिवाली के अवसर पर भी जालंधर शहर के विभिन्न वार्डों में लगभग 10,000 स्ट्रीट लाइटें बंद हैं। नगर निगम जालंधर की व्यवस्था पूरी तरह से फेल है। त्योहार के अवसर पर लोग अपने घरों में तो लाइटें लगाते हैं, लेकिन गलियों और मोहल्लों की लाइटें बंद हैं।

    निगम शहर के लोगों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवा पा रहा। मेयर और कमिश्नर इस पर ध्यान दें, क्योंकि यह शहर की सुरक्षा से जुड़ा मामला है। शहर की कई मुख्य सड़कों पर भी कई लाइटें बंद हैं। चुनावों से पहले आम आदमी पार्टी बड़े-बड़े वादे करती रही, लेकिन अब कोई काम नहीं कर पा रही।

    आप नेता कुलदीप सिंह लुबाना ने अपने वार्ड में 55 लाइटें खुद ही ठीक कर लीं। वह खुद ही खंभों पर चढ़े और लाइटों को ठीक किया। दिवाली से एक दिन पहले उन्होंने अपने वार्ड क्षेत्र की कई गलियों को रोशन किया। वार्ड नंबर तीन की पार्षद बलजिंदर कौर के पति कुलदीप सिंह लुबाना अक्सर वार्ड की कई समस्याओं को खुद ही ठीक करते हैं।

    लुबाना ने बताया कि कंपनी और निगम के कर्मचारी भी काम कर रहे हैं, लेकिन वह खुद भी लाइटें ठीक कर रहे हैं, ताकि काम जल्दी हो सके। उनके वार्ड के बाबा दीप सिंह नगर, सुंदर नगर, गुलमर्ग कालोनी, बचिंत नगर, पंजाबी बाग और अन्य इलाकों में खराब लाइटों को ठीक करवाया गया है।