जालंधर जिला परिषद चुनाव: किसी को बहुमत नहीं, बसपा बनी किंगमेकर; AAP को सत्ता के लिए गठबंधन जरूरी
जालंधर जिला परिषद चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। बसपा किंगमेकर की भूमिका में है। आम आदमी पार्टी (आप) को सत्ता हासिल करने के लिए गठबंध ...और पढ़ें

सांकेतिक तस्वीर
जागरण संवाददाता, जालंधर। जिला परिषद के चेयरमैन पद के लिए किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। ऐसे में अब जोड़-तोड़ की राजनीति पर ही फोकस होगा। पंजाब में सत्तारुढ़ आम आदमी पार्टी के पास सबसे ज्यादा 10 सीटें हैं, लेकिन बहुमत हासिल करने के लिए दूसरे राजनीतिक दलों पर निर्भर होना पड़ेगा। या तो दूसरी पार्टियों के सदस्यों को तोड़ना होगा या फिर बहुजन समाज पार्टी से समझौता करना होगा।
समीकरण ऐसे बन गए हैं कि आप के लिए बसपा से समझौता करना जरूरी हो सकता है। 21 सदस्यों में से बसपा के पास तीन सदस्य हैं। अगर यह तीन सदस्य आप को समर्थन करते हैं तो फिर आप बहुमत में आ जाएगी। दूसरा रास्ता बसपा को कांग्रेस और अकाली दल के समर्थन से बनता है। कांग्रेस के पास सांसद के वोट सहित आठ वोट हैं और एक वोट अकाली दल का है।
बसपा को कांग्रेस भी समर्थन दे सकती है और अकाली दल भी समर्थन दे सकता है। कांग्रेस अगर बसपा के साथ मिलकर चेयरमैन बनाना चाहे तो अकाली दल की वोट के बिना बात नहीं बनेगी। आम आदमी पार्टी के एक सीनियर नेता का कहना है कि अभी कई तरह की रणनीति पर चर्चा हो रही है।
आप के काम से प्रभावित होकर दूसरे राजनीतिक दलों के कुछ सदस्य साथ आ सकते हैं। दूसरे राजनीतिक दलों से अभी कोई बात नहीं की है, लेकिन उनके कुछ सदस्य आप के कामकाज से प्रभावित जरूर हैं। वहीं, कांग्रेस ने भी अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। कांग्रेस और बसपा में समझौता तो संभव है लेकिन फिर भी बहुमत तक नहीं पहुंच पा रहे।
सत्ता का लालच देकर कोई तोड़ नहीं सकता : बसपा
बहुजन समाज पार्टी के सीनियर नेता बलविंदर कुमार का कहना है कि पार्टी के जितने भी सदस्य जीते हैं, वह पार्टी की विचारधारा पर चलने वाले हैं। कोई राजनीतिक दल इन्हें सत्ता का लालच देकर तोड़ नहीं सकता। बसपा के लिए क्या-क्या रास्ते हैं, इस पर पार्टी प्रधान मंथन कर रहे हैं। पार्टी की लीडरशिप रणनीति बना रही है।
जिला परिषद चेयरमैन को लेकर संभावनाएं
कुल सीट 21, सांसद के वोट समेत 22 वोट, बहुमत के लिए 12 वोट जरूरी
- आप को बसपा के समर्थन से बहुमत मिल सकता है।
- कांग्रेस के पास सांसद के वोट समेत आठ वोट हैं। बसपा के साथ आने पर भी बात नहीं बनेगी।
- बसपा के पास तीन सीट के बावजूद सत्ता में किंग बनने का मौका है। कांग्रेस की आठ और अकाली दल की एक वोट से बात बन सकती है।
छह ब्लॉक समितियों में पूर्ण बहुमत, पांच में गठबंधन जरूरी
ब्लॉक समिति चुनाव के नतीजों में छह ब्लाक में राजनीतिक दलों को पूर्ण बहुमत मिला है, लेकिन पांच ब्लाक में किसी एक राजनीतिक दल को बहुमत नहीं मिला है। आदमपुर, भोगपुर, जालंधर कैंट और करतारपुर में आप पार्टी को बहुमत मिला है, जबकि महितपुर और शाहकोट में कांग्रेस का चेयरमैन बन रहा है।
बाकी पांच ब्लॉक में गठबंधन से ही चेयरमैन बनेगा। फिल्लौर में कुल 20 सीटों में से नौ बसपा के पास हैं। कांग्रेस के तीन सदस्यों के समर्थन से बात बन सकती है। रुड़का कलां में 15 में से चार अकाली दल और चार आजाद हैं।
आप के पास तीन और कांग्रेस-बसपा के पास दो-दो सदस्य हैं। लोहियां में 15 सीट में से कांग्रेस के पास छह और अकाली दल के पास पांच सीट हैं। एक आजाद और एक विधायक की वोट से कांग्रेस के पास मौका है। नूरमहल में 15 सदस्यों में से कांग्रेस के पांच और बसपा के चार सदस्य हैं और यहां भी बसपा-कांग्रेस गठजोड़ ही नजर आ रहा है।
नकोदर में 20 सदस्यों में कांग्रेस के आठ, आप सात, बसपा दो और आजाद दो हैं। आप को विधायक की वोट भी मिलेगा। ऐसे में दो आजाद के साथ विधायक समेत 20 में से आप के पास 10 सीट बनती हैं और कांग्रेस-बसपा भी 10 पर ही अटके हैं। यहां पर दूसरे राजनीतिक दल में तोड़-फोड़ करने से ही बात बनेगी।

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