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    वियना कांडः पार्षद मंदीप जस्सल पर चलता रहेगा डकैती का केस, जौहल अस्पताल में तोड़फोड़ का मामला

    2009 में हुए इस कांड के दौरान दर्ज हुए तोड़फोड़ के मामले को लेकर एडीशनल सेशन जज मनजिंदर सिंह की अदालत में सरकारी वकील ने केस वापस लेने की एप्लीकेशन दायर की थी। डा. बलजीत जौहल के वकील की दलीलों से सहमत अदालत ने अपील खारिज कर दी है।

    By Pankaj DwivediEdited By: Updated: Tue, 21 Sep 2021 01:06 PM (IST)
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    जौहल अस्पताल में हुई तोड़फोड़ के मामले में पार्षद मंदीप जस्सल की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सांकेतिक चित्र।

    संवाद सहयोगी, जालंधर। वियना कांड के दौरान जौहल अस्पताल में हुई तोड़फोड़ के मामले में पार्षद मंदीप जस्सल की मुश्किलें बढ़ गई हैं। 2009 में हुए इस कांड के दौरान दर्ज हुए तोड़फोड़ के मामले को लेकर एडीशनल सेशन जज मनजिंदर सिंह की अदालत में सरकारी वकील ने केस वापस लेने की एप्लीकेशन दायर की थी। डा. बलजीत जौहल के वकील दर्शन सिंह दयाल की दलीलों से सहमत होते हुए अदालत में अपील खारिज कर दी है। अब पार्षद जस्सल पर डकैती का केस चलता रहेगा। अगर अदालत में आरोप साबित हो जाते हैं तो पार्षद जस्सल को उम्रकैद भी हो सकती है।

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    इस मामले में सरकारी वकील ने अपनी दलील में कहा कि शहर में माहौल शांत रखने के लिए जनहित में सरकार ने फैसला लिया है। यदि सजा होती है तो माहौल खराब हो सकता है। दूसरी तरफ एडवोकेट दयाल ने दलील दी थी कि यह एक पॉलिटिकल इंटरेस्ट के चलते हुआ है। कर्फ्यू के दौरान हुई तोड़फोड़ और डकैती बेहद गलत थी। इससे गलत लोगों के हौसले बुलंद हो सकते हैं। अब पार्षद जस्सल पर केस चलता रहेगा।

    यह था मामला

    वर्ष 2009 में वियना कांड हुआ था। इसके बाद जालंधर में भी हिंसा हुई थी। 25 मई को इसी वजह से कर्फ्यू लगा था और थाना रामा मंडी में हिंसा हो गई थी। जौहल अस्पताल के डा. बलजीत सिंह जौहल ने पुलिस को दी शिकायत में आरोप लगाया था कि पार्सल मंदीप जस्सल और उसके साथी अस्पताल में आ गए थे। उन्होंने सारा सामान जला दिया। कैश काउंटर में डाका डाला और करीब 70 हजार रुपये ले गए थे। वहीं, हवलदार मंगत राम ने आरोप लगाया था कि पार्षद और उनके साथियों को रोकने की कोशिश की गई तो उसे भी धमकाया गया था। इस मामले में मंदीप जस्सल, गुलजारा सिंह, बालमुकंद बिल्ला, शिंगारा राम, राजेश्वर और किशनपाल मिंटू के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था।