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    पंजाब में खूनी बनीं सड़कें, बढ़ रहे वाहन लेकिन सिमटे संसाधन

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Sun, 19 Nov 2017 05:50 PM (IST)

    पंजाब में सड़क यातायात का बुरा हाल है। लगातार हादसों ने जैसे सड़कों को खूनी बना दिया है। दुर्घटनाओं में रोज लोगों की जान जा रही है। वाहनों लगातार बढ़ ...और पढ़ें

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    पंजाब में खूनी बनीं सड़कें, बढ़ रहे वाहन लेकिन सिमटे संसाधन

    जेएनएन, जालंधर। पंजाब की सड़कें खूनी होती जा रही हैं। रोजाना हादसों में लोगों की जान जा रही है। स्मॉग के कारण हादसों में और इजाफा हो गया है। हादसों का बड़ा कारण वाहनों की बढ़ती संख्या है। वर्ष 1966 से अब तक पंजाब में वाहनों की संख्या में 220 गुना इजाफा हो चुका है। 1966 में वाहनों की संख्या 45000 थी, जो अब बढ़ कर एक करोड़ हो चुकी है। वहीं, ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए पुलिस मुलाजिमों की संख्या में मामूली बढ़ोतरी हुई है।

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    1966 में ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की संख्या 1200 थी जो 50 साल बाद भी मात्र 1500 ही पहुंच पाई है। यानी 1966 में 380 वाहनों पर एक ट्रैफिक पुलिस कर्मी था, जबकि अब 66 हजार वाहनों पर एक पुलिसकर्मी है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने यातायात व्यवस्था को सुचारू करने के आदेश तो जारी किए हैं, लेकिन यह आदेश जमीनी स्तर पर कोई खास असर नहीं डाल पा रहे हैं। यातायात नियंत्रण व जागरूकता के नाम पर साल में एक बार यातायात सुरक्षा सप्ताह मनाकर सरकार अपनी जिम्मेदारी पूरा कर रही है।


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    आइआरसी के नियमों का पालन नहीं

    पंजाब में इंडियन रोड कांग्रेस (आइआरसी) के स्टैंडर्ड के मुताबिक न तो रोड मार्किंग की गई है और न ही कैटआई लगाए गए हैंइसकी वजह से सड़क दुर्घटनाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। क्योंकि, धुंध में व्हाइट फ्लोरेसेंट पेंट वाहन चालक के लिए संजीवनी का काम करती है। पंजाब में 72,034 किलोमीटर सड़कें हैं। इसमें से अगर 3,790 किलोमीटर नेशनल हाइवे और स्टेट हाइवे को हटा दिया जाए, तो बहुत कम ऐसी सड़कें हैं जहां पर धुंध से बचाव के लिए सफेद लाइन की मार्किंग की गई हो।

    अहम बात यह है कि राज्य में 61,436 किलोमीटर की लिंक रोड है, जिसके रखरखाव की जिम्मेदारी मंडी बोर्ड की है। यह वो सड़कें हैं, जहां पर शायद ही आपको व्हाइट लाइन मिले। पंजाब में 200 के करीब ऐसी पुलिया हैं, जो समय के साथ काफी छोटी पड़ गई हैं या उनकी हालत काफी खराब है। इन पुलियों को रिपेयर करने की या उनके विस्तार करने की आवश्यकता है, लेकिन फंड व इच्छाशक्ति की कमी के चलते यह काम नहीं हो पा रहे हैं।

    एक तरफ ओवर स्पीड गाडिय़ां, दूसरी तरफ स्मॉग और उस पर से व्हाइट लाइन न होने की वजह से सड़क दुर्घटनाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। यही कारण है कि महज दो सप्ताह के अंदर करीब दो दर्जन सड़क दुर्घटनाओं में 50 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और करीब 150 से ज्यादा लोग बुरी तरह से घायल हुए हैं।




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    '' संवेदनशील जोन की हो रही पहचान
    संवेदनशील सड़क हादसों वाले जोन की पहचान की जा रही है। इस बात पर भी ध्यान दिया जा रहा है कि आखिर हादसे क्यों हो रहे हैं। वल्र्ड बैंक के सहयोग से 105 करोड़ रुपये यातायात जागरूकता और सड़कों पर व्हाइट लाइन लगाने पर खर्च किए गए हैं। इन दिनों अत्यधिक धुंध सड़क दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण बनी हुई हैं। इसके लिए रिफ्लेक्टर लगाए जा रहे हैं।

                                                                                            - हुसन लाल, सचिव, पीडब्ल्यूडी। 
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    'जल्द वर्क ऑर्डर जारी होंगे'

    मंडी बोर्ड के कुछ काम पहले से चल रहे हैं। पुलियों के रिपेयर या उन्हें चौड़ा करने के लिए कुछ टेंडर लगे हैं और बाकी लगने जा रहे हैं। जल्द ही वर्क ऑर्डर जारी कर दिए जाएंगे।

                                                                                           - अमित ढाका, सचिव, मंडी बोर्ड
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    'आइआरसी के स्टैंडर्ड लागू हों'

    पंजाब की किसी भी सड़क पर आइआरसी स्टैंडर्ड के मुताबिक फ्लोरेसेंट पेंट की मार्किंग नहीं की गई है। यदि कहीं है भी तो वह इतनी धुंधली हो गई है कि धुंध में वाहन चालक को दिखती नहीं है। सरकार इन बातों को गंभीरता से नहीं लेती है, जबकि हकीकत यह है कि व्हाइट लाइन धुंध में 70 से 80 फीसद दुर्घटना को रोकने में कारगर साबित होती है।

                                                                    - कमल सोई, नेशनल रोड सेफ्टी काउंसिल के सदस्य।
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    एडीजीपी ने दिए सुझाव

    एडीजीपी यातायात एसएस चौहान का कहना है कि यातायात विभाग की तरफ से धुंध शुरू होने से दो हफ्ते पहले ही सभी जिलों के संबंधित विभागों को यातायात को लेकर सुरक्षा संबंधी निर्देश जारी कर दिए गए थे। इन विभागों को विस्तार से जानकारी दी जा चुकी है कि किस प्रकार धुंध में सुरक्षित यातायात किया जा सकता है और सड़क हादसों से बचाव किया जा सकता है।

    - सड़क किनारे से झाडिय़ों की सफाई करवाई जाए।
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    सड़क के किनारे या सड़क पर लगी यातायात के नाकों को हटाया जाए या उनमें रात को दिखाई देने वाले स्टिकर्स लगाए जाएं।
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    आपातकालीन वाहनों जैसे एंबुलेंस व रिकवरी वैन पर धुंध के इंडीकेटर लगाएं जाएं।
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    मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग पर धुंध में दूर से दिखाई देने वाले स्टिकर्स लगाएं जाएं, जिससे वाहन चालकों को दूर से ही मानव रहित क्रॉसिंग के बारे में पता चल सके।
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    सड़क पर खड़े अवैध वाहनों को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए।
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    स्कूली वाहनों में सुरक्षा के पर्याप्त उपाय चेक किए जाएं।
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    मेलों में सड़क सुरक्षा या सुरक्षित यातायात के बारे में लोगों को जागरूक किया जाए।
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    जिलों में दुर्घटना वाले स्थानों पर सुरक्षा के उपाय अपनाए जाएं।
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    परिवहन विभाग, जिला प्रशासन, पीडब्लूडी एंड बीएंडआर, मंडी बोर्ड, स्थानीय निकाय विभाग व पंचायत, नेशनल हाईवे व सड़क सुरक्षा पर काम कर रहे एनजीओ को धुंध में सुरक्षित यातायात के लिए एकजुट करके काम किया जाए।
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    यह है जिलों की स्थिति

    माझा-दोआबा

    गुरदासपुर जिले में 18 जगह पर तीखे मोड़ है, जहां न तो कोई लाइट है और न ही निशान हैं। रिफ्लेक्टर भी पुराने समय के लगे थे, जो खराब हो चुके है। यहां डीसी गुरलवलीन सिंह ने अधिकारियों को निर्देश देकर बैरीकेड व रिफ्लेक्टर लगाने के आदेश दिए हैं। जिले में हाल ही में 15 हादसे और सात की मौत हो चुकी है। 12 से अधिक लोग घायल हुए।

    पठानकोट जिले में 14 तीखे मोड़ हैं। दो जगह को छोड़कर कहीं भी रिफ्लेक्टर व फॉग लाइटें नहीं हैं। सुजानपुर का ओवरब्रिज है। इस पुल पर भी फॉग लाइट व रिफ्लेक्टर नहीं लगा। होशियारपुर में नसराला के पास जालंधर-होशियारपुर रोड, होशियारपुर-टांडा रोड पर हरदोखानपुर के पास संवेदनशील जोन है। इस सीजन में छह हादसों में 15 मरे हैं और 54 के करीब जख्मी हुए हैं।

    कपूरथला जिले में प्रमुख सड़कों पर 17 तीखे मोड़ हैं। अभी तक कही भी फॉग लाइटें व रिफ्लेक्टर नही लगे हैं। करीब 12 तंग पुल हैं। इन पुलों पर फॉग लाइटें अभी तक नहीं लगी। जीटी रोड, गोइदवाल साहिब रोड व जालंधर रोड पर कुछ जगह रिफ्लेक्टर है, लेकिन गांवों में नहीं लगाए गए।

    सुल्तानपुर लोधी रोड पर दाना मंडी, आरसीएफ, खैड़ा दोना मंडी, जीटी रोड़ फगवाड़ा संवेदनशील जोन हैं। हाल ही में 10 हादसे हुए और तीन लोग मारे जा चुके हैं व 23 लोग घायल हुए। रूपनगर में दस जगह तीखे मोड़ हैं। इनमें से सभी जगह रिफ्लेक्टर लगे हैं। जिले में तीन तंग पुल हैं। रिफ्लेक्टर नहीं लगे। नंगल ट्रक यूनियन के निकट ऊना चंडीगढ़ नेशनल हाइवे मार्ग, ज्ञानी जैल सिंह नगर रूपनगर में कांग्रेस भवन को जाती सड़क व कीरतपुर साहिब बस स्टैंड के निकट मेन हाइवे मार्ग संवेदनशील जोन हैं। एक नवंबर से अब तक एक दर्जन हादसे। 2 मौतें, 10 लोग घायल।

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    मालवा

    बठिंडा जिले की प्रमुख सड़कों पर तीन तीखे मोड़ हैं। किसी भी जगह फॉग लाइट्स व रिफ्लेक्टर नहीं लगे हैं। जिले की प्रमुख सड़कों पर कोई तंग पुल नहीं है। 20 संवेदनशील जोन हैं। हाल ही में 10 हादसों में 13 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 58 घायल हो चुके हैं। मोगा जिले में प्रमुख सड़कों पर पांच जगह तीखे मोड़ हैं। मोगा-लुधियाना रोड पर चूहड़चक्क के पास, मोगा- फिरोजपुर रोड पर तलबंडी भाई के पास, मोगा-बाघापुराना रोड पर तीन नंबर चुंगी और टोल प्लाजा के पास और मोगा-धर्मकोट रोड पर कांवां वाला पत्तन के पास। किसी भी जगह रिफ्लेक्टर नहीं है।

    मोगा में स्मॉग के कारण अभी तक 18 हादसों में 27 लोग घायल हो चुके हैं। फरीदकोट जिले में प्रमुख सड़कों पर तीन तीखे मोड़ हैं। हाल ही में तीन हादसों में चार लोगों की मौत हुई है, जबकि आठ घायल हुए हैं। फाजिल्का जिले की प्रमुख सड़कों पर 12 तीखे मोड़ हैं। फॉग लाइट्स का कोई प्रबंध नहीं है। जिले में 10 अधिक तंग पुल हैं। एसएसपी ने वाहन चालकों को जागरुकता कार्यक्रम चला रखा है। हाल ही में हादसों में 10 लोगों की मौत हो चुकी है।

    श्री मुक्तसर साहिब जिले की सभी प्रमुख सड़कों पर 468 तीखे मोड़ हैं जिनमें से 150 सबसे खतरनाक हैं। आधे प्वाइंट्स पर ही रिफ्लेक्टर लगे हैं। गांवों में रजबाहों पर सेमनालों पर करीब 175 तंग पुल हैं। हाल ही में दो हादसों में एक की मौत व छह लोग घायल हुए हैं।

    फिरोजपुर जिले की प्रमुख सड़कों पर 22 तीखे मोड़ हैं। कहीं भी रिफ्लेक्टर नहीं लगे हैं। 5 बड़े हादसों में 11 लोगों की जान गई। पटियाला में 10 सड़क हादसों में 6 लोगों की मौत हुई और 20 लोग घायल हुए हैं। बरनाला में 9 हादसे हुए हैं। इनमें 3 की मौत हुई तो 25 घायल हुए हैं। संगरूर में छह लोगों की मौत हुई व करीब 35 लोग घायल हुए हैं। फतेहगढ़ साहिब में दस दिन में नौ छोटे-बड़े हादसे हो चुके हैं। इनमें दो लोगों की मौत, चार लोग घायल हुए हैं।