बीस भारतीय मछुआरों को पाकिस्तान में मिली तीन माह की सजा, रिहाई में लगे चार साल, कई अब भी फंसे
ये मछुआरे गुजरात के सोमनाथ देवभूमि व जामनगर से हैं। 2018 में अलग अलग नाव पर सवार ये मछुआरे पाकिस्तान सीमा में चले गए थे। इसके बाद इन्हें पाकिस्तान ने गिरफ्तार कर लिया। उन्हें अदालत से तीन महीने की सजा हुई लेकिन रिहाई में लंबा समय लगा।

जासं, अमृतसर। पाकिस्तान की मलेर जेल से सजा काटकर 20 भारतीय मछुआरे सोमवार को वतन लौट आए। अंतरराष्ट्रीय अटारी सीमा पर पहुंचे इन मछुआरों के चेहरे पर वतन वापसी की खुशी साफ झलक रही थी। ये सभी चार वर्ष पूर्व पाकिस्तान के साथ लगती गुजरात की समुद्री सीमा में गलती से चले गए थे। इसके बाद पाकिस्तान पुलिस ने इन्हें हिरासत में ले लिया था। इन पर कोर्ट में मुकदमा चला और फिर सजा हुई।
पाकिस्तान में लंबी अदालती प्रक्रिया का खामियाजा भारतीय मछुआरों को भुगतना पड़ा है। रिहा हुए बीस मछुआरों को पाकिस्तान की अदालत ने तीन माह की सजा सुनाई थी, लेकिन इनकी रिहाई में चार वर्ष लग गए। ये मछुआरे गुजरात के सोमनाथ, देवभूमि व जामनगर से हैं। 2018 में अलग अलग नाव पर सवार ये मछुआरे पाकिस्तान सीमा में चले गए थे। अटारी सीमा पर पंजाब पुलिस के प्रोटोकाल आफिसर अरुण माहल ने इन्हें रिसीव किया। कस्टम क्लीयरनेस व दस्तावेजों की जांच के बाद इन्हें रेड क्रास भवन में ठहराया।
इधर, इन मछुआरों को गुजरात ले जाने के लिए गुजरात के मत्स्य विभाग के अधीक्षक एमएल खलोतिया टीम के साथ यहां पहुंचे। रात्रि विश्राम के बाद इन्हें मंगलवार सुबह गुजरात ले जाया जाएगा, जहां ये अपनों से मिलेंगे।
रिहा हुए मछुआरों में नानजी, काहन, दानिश, मेरू, लालजी, कानजी, भाना, देवसी, रमेश, मनु, जीवा, दाना, अब्बू, नासिर, जनून, अमीन, अनीस, फरीद व 16 वर्षीय अकील शामिल हैं। जिला प्रशासन ने देर शाम इन्हें रेड क्रास भवन में पहुंचाया। यहां पहुंचकर सभी ने अपने स्वजनों से फोन पर बात की।
कई और मछुआरे सजा पूरी कर चुके पर, उन्हें रिहा नहीं कर रहा पाक
नानजी नामक मछुआरे ने बताया कि दोनों मुल्कों के बीच तनाव की वजह से सजा पूरी होने के बाद भी पाकिस्तान से रिहाई नहीं मिलती। पाकिस्तान जेल में 556 मछुआरे कैद हैं। कई को पांच साल हो चुके हैं, पर उन्हें पाकिस्तान की ओर से रिहा नहीं किया जा रहा। भारत सरकार इस दिशा में प्रयास करे।
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