Move to Jagran APP

Battle of Saragarhi: सारागढ़ी की लड़ाई में 21 सिख योद्धाओं ने 10 हजार कबाइलियों को चटा दी थी धूल, शहीदों को भूला प्रशासन

Battle of Saragarhi 12 सितंबर 1897 को सारागढ़ी पोस्ट पर हुई लड़ाई में 21 सिख योद्धाओं ने 10 हजार कबाइलियों को धूल चटा दी थी। इसमें 21 जवानों ने बलिदान दिया था लेकिन इन नायकों को आज प्रशासन भूल चुका है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 12 Sep 2021 12:42 PM (IST)Updated: Sun, 12 Sep 2021 08:16 PM (IST)
Battle of Saragarhi: सारागढ़ी की लड़ाई में 21 सिख योद्धाओं ने 10 हजार कबाइलियों को चटा दी थी धूल, शहीदों को भूला प्रशासन
Heroes of Saragarhi गांव धुन्न ढाए वाला स्थित सारागढ़ी के महान शहीद लाल सिंह की यादगार। जागरण

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन। Battle of Saragarhi: 12 सितंबर 1897 को जिला कोहाड़ (पाकिस्तान) की ऊंची पहाड़ी पर स्थित सारागढ़ी पोस्ट पर 10 हजार कबाइलियों (पठानों) से लड़ाई हुई थी। इसे विश्व की आठ बेमिसाल लड़ाइयों में शामिल किया गया। इसमें 600 कबाइलियों को 36 सिख रेंजिमेंट के 21 सिख योद्धाओं ने बहादुरी से लड़ते हुए मार गिराया था। इन योद्धाओं में तरनतारन जिले के गांव धुन्न ढाए वाला निवासी लाल सिंह भी शामिल थे। उनकी कुर्बानी को ग्रामीण तो याद रखते हैं, परंतु जिला प्रशासन उन्हें भूल चुका है।

loksabha election banner

इस लड़ाई में वीरगति प्राप्त करने वाले योद्धा नायक लाल सिंह की याद में गांव में यादगार बनाई गई है। हर वर्ष सारागढ़ी शहीदों की बरसी पर ब्रिटिश फौज के जवानों की टुकड़ी यहां आती थी, लेकिन कोरोना के कारण अब वह नहीं आ रही। सारागढ़ी की लड़ाई भारतीय फौज के कारनामों की अब तक की सबसे बड़ी लड़ाई मानी जाती है। इसमें सिख रेंजीमेंट के 21 जवानों ने 10 हजार के करीब कबाइलियों पर फतेह पाई थी।

इस लड़ाई की कहानी यूनेस्को द्वारा प्रकाशित पुस्तक में शामिल की गई। विदेश में आज भी स्कूली बच्चों को सारागढ़ी की लड़ाई का किस्सा पढ़ाया जाता है, लेकिन गांव धुन्न ढाए वाला के अलावा देश के इन महान शहीदों की कुर्बानी से युवा पीढ़ी पूरी तरह से वाकिफ नहीं हो पाई। हैरानी की बात यह भी है कि 12 सितंबर (बरसी वाले दिन) को इन शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करने लिए जिला प्रशासन के पास समय नहीं है। हालांकि गांव स्तर पर 15 सितंबर को बरसी समागम का आयोजन किया जा रहा है।

पांचवीं पीढ़ी रहती है विदेश में

सारागढ़ी चौकी की सुरक्षा के लिए 36 सिख बटालियन के 21 फौजी तैनात थे। उस समय लाक हार्ट जिले की कमांड लेफ्टिनेट जनरल जाहन हाटन के अधीन थी। असलहे से लैस 10 हजार से अधिक कबाइलियों ने 12 सितंबर, 1897 की सुबह सारागढ़ी की चौकी को घेर लिया था। कबाइलियों का इन फौजियों ने डटकर मुकाबला किया और 600 कबाइलियों को मार 21 जवानों ने वीरगति प्राप्त की। इन वीर जवानों में शामिल नायक लाल सिंह की पांचवीं पीढ़ी विदेश में रह रही है। परिवार के कुछ सदस्य गांव बिल्लियांवाला नजदीक नकोदर (जिला जालंधर) में रहते हैं।

124 वर्ष बाद भी सरकार को नहीं आई शहीद की याद

सारागढ़ी के महान शहीद नायक लाल सिंह की शहादत को 124 वर्ष गुजर चुके है, लेकिन अभी तक केंद्र और राज्य सरकार को इस शहीद की याद नहीं आई। दो वर्ष पूर्व आल इंडिया एक्स सर्विसमैन लीग और ग्रामीणों ने मिलकर शहीद नायक लाल सिंह की यादगार बनाई है। शहीद नायक लाल सिंह से प्रभावित होकर गांव के युवा फौज में भर्ती होते आए हैं। इस गांव के दो दर्जन पूर्व सैनिक हैं, जबकि एक दर्जन युवा भारतीय सेना में हैं।

हर वर्ष उजड़ता है शहीद का गांव

गांव निवासी व मार्केट कमेटी के चेयरमैन शुबेग सिंह धुन्न ने बताया कि करीब 2800 की आबादी वाले गांव धुन्न ढाए वाला (विस हलका खडूर साहिब) से संबंधित 60 फीसद उपजाऊ जमीन दरिया ब्यास के साथ लगती है। यह जमीन हर वर्ष उजाड़े का शिकार होती है। पूर्व सैनिक सुरजीत सिंह, सुखबीर सिंह, सुखदेव सिंह, हंसा सिंह, अमरजीत सिंह कहते हैं कि गांव में पांचवीं कक्षा तक ही स्कूल है। सीनियर सेकेंडरी स्कूल, अस्पताल और शहीद के नाम पर कॉलेज की मांग को कई वर्षों से उठाते आए हैं लेकिन सरकार ने कभी सुध नहीं ली।

ये हुए थे सारागढ़ी लड़ाई में शहीद

हवलदार ईशर सिंह, नायक लाल सिंह, लांसनायक चंदा सिंह, सिपाही सुध सिंह, सिपाही साहिब सिंह, सिपाही उत्तम सिंह, सिपाही नारायण सिंह, सिपाही गुरमुख सिंह, सिपाही जीवन सिंह, सिपाही राम सिंह, सिपाही हीरा सिंह, सिपाही दया सिंह, सिपाही भोला सिंह, सिपाही जीवन सिंह, सिपाही गुरमुख सिंह, सिपाही भगवान सिंह, सिपाही राम सिंह, सिपाही बूटा सिंह, सिपाही जीवन सिंह, सिपाही आनंद सिंह व सिपाही भगवान सिंह।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.