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    पुरानी कचहरीः खंडहर बनी कभी गुलजार रहने वाली इसकी इमारत, जानें पूरा इतिहास

    By Pankaj DwivediEdited By:
    Updated: Mon, 09 Mar 2020 07:19 AM (IST)

    करीब तीन दशक पहले जिला प्रशासन के सभी दफ्तर ज्योति चौक से तब्दील होकर मौजूदा डीसी कांप्लेक्स में बना दिए गए और यहां स्थित पुरानी कचहरी वीरान होती गई।

    पुरानी कचहरीः खंडहर बनी कभी गुलजार रहने वाली इसकी इमारत, जानें पूरा इतिहास

    जालंधर, [जगदीश कुमार]। जमीन-जायदाद व फौजदारी मामलों का निपटारा करवाने के लिए कचहरी एकमात्र स्थान है। नया कचहरी परिसर तीसरे स्थान पर बना है। इससे पहले जिला कचहरी ज्योति चौक व प्लाजा चौक के पास होती थी। इसकी इमारत अब खंडहर बन गई है। डेढ़ सदी पहले कचहरी की स्थापना माई हीरां गेट के पास बिक्रम महल के नजदीक की गई थी। इसे वर्तमान में कचहरी मोहल्ला के नाम से जाना जाता है। 

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    बुजुर्ग गोपी चंद गुलाटी कहते हैं कि उनके बुजुर्ग अक्सर कचहरी की चर्चा करते थे। सबसे पहले कचहरी का निर्माण महाराजा कपूरथला के परिवार के कुंवर बिक्रम सिंह ने 1855 में बिक्रम महल के पास करवाया था। कुंवर बिक्रम सिंह कपूरथला के राजा निहाल सिंह के दूसरे बेटे थे। उन्होंने जालंधर शहर में म्यूनिसिपल बोर्ड के प्रधान के रूप में भी सेवाएं दी थी। वे जालंधर के आनरेरी मेजिस्ट्रेट भी रहे व 1879 में उन्हें आनरेरी सहायक कमिश्नर लगाया गया था। उन्होंने शहर की खूबसूरत महिला हीरां के साथ विवाह कर लिया था। विवाह के बाद ही कुंवर बिक्रम सिंह ने बिक्रम महल तैयार करवाया। 

    यहां होती थी रियासत से संबंधित मामलों की सुनवाई

    कुंवर बिक्रम सिंह की तरफ से तैयार करवाए गए बिक्रम महल में दरबार भी बनवाया गया था, जहां वे प्रशासकीय केसों के फैसले किया करते थे। इन केसों का निपटारा करने से पहले केसों की सुनवाई व रियासत के अन्य विभागीय काम करने के लिए उन्होंने महल के नजदीक ही कचहरी बनाई थी। इस कचहरी में ही जालंधर की रियासत से संबंधित मामलों की सुनवाई की जाती थी। कचहरी वाले स्थान के बाद धीरे-धीरे लोगों ने रहने शुरू कर दिया और इसका नाम कचहरी मोहल्ला पड़ गया। इतिहासकारों मुताबिक वर्ष 1846 में अंग्रेजों ने जालंधर शहर में कंपनी के फौजियों की रिहायश बनाई, जहां आजकल नगर निगम दफ्तर है। वर्ष 1860 में अंग्रेजों ने जालंधर छावनी का निर्माण करवाया था। 

    फिर ज्योति चौक के पास पहुंची कचहरी 

    1861 में अंग्रेज वायसराय लार्ड मैकाले भारत आया तो ब्रिटिश हुकूमत ने कपूरथला रियासत से जालंधर का प्रबंध वापस अपने हाथों में ले लिया। यहां आबादी बसने लगी और कचहरी की जगह कम होने के कारण बाद में जिले के कई दफ्तर ज्योति चौक नजदीक बना दिए गए। डिवीजनल कमिश्नर दफ्तर के नजदीक भी कचहरियों से संबंधित कई दफ्तर बना दिए गए। करीब तीन दशक पहले जिला प्रशासन के सभी दफ्तर ज्योति चौक से तब्दील होकर मौजूदा डीसी कांप्लेक्स में बना दिए गए और पुरानी कचहरी वीरान होती गई।