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    पंजाब में 45 सीटों पर हिंदू मतदाता निर्णायक, इस बार बदला विधानसभा चुनाव में सियासी फंडा

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Sat, 15 Jan 2022 08:42 AM (IST)

    Punjab Chunav 2022 पंंजाब में इस बार के विधानसभा चुनाव में 45 सीटों पर हिंदू मतदाता निर्णायक भूमिका हैं। ऐसे में हिंदू मतदाता इन सीटों पर उम्‍मीदवारोंं के भाग्‍य विधाता साबित होंगे। यही कारण है कि चुनाव में हिंंदू मतदाताओं को लेकर सियासी फंडा इस बार बदल गया है।

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    पंंजाब में इस बार 45 सीटों पर हिंंदू मतदाता निर्णायक साबित होंगे। (फाइल फोटो)

    मोगा, [सत्येन ओझा]। Punjab Chunav 2022:  पंजाब विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सभी पार्टियों की नजर इस बार हिंदू मतदाताओं पर है। साल 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में हिंदुओं की संख्या कुल जनसंख्या की 38.5 फीसद है। राज्य में 45 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां हिंदू मतदाताओं की संख्या अधिक है। मोगा विधानसभा क्षेत्र में 1.84 लाख मतदाताओं में से एक लाख के करीब शहरी ¨हदू मतदाता हैं। इसके अलावा बठिंडा शहरी सीट पर 62 फीसद मतदाता हिंदू हैं। हिंदू मतदाताओं को लुभाने के लिए कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी ने कई माह पहले से ही प्रयास शुरू कर दिए थे।

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    2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में हिंदुओं की संख्या जनसंख्या की 38.5 फीसद

    इसके तहत कांग्रेस ने पहली बार ब्राह्मण भलाई बोर्ड और अग्रवाल भलाई बोर्ड का गठन किया। इसके साथ ही, पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की सातवीं कक्षा के सिलेबस में महाराजा अग्रसेन जी की जीवनी को शामिल किया गया है। नए शिक्षा सत्र से सातवीं कक्षा में महाराजा अग्रसेन जी की जीवनी बच्चों को पढ़ने को मिलेगी। इसके अलावा कांग्रेस सरकार ने हर जिले में महाराजा अग्रसेन जी की प्रतिमा स्थापित करवाई है।

    फगवाड़ा जिले के गांव खाटी में भगवान परशुराम की तपोस्थली पर पहली बार कांग्रेस सरकार का ध्यान गया। सरकार ने न सिर्फ तपोस्थली के जीर्णोद्धार के लिए फंड जारी किया है, बल्कि भगवान परशुराम के जीवन दर्शन को जानने के लिए रिसर्च सेंटर की स्थापना के प्रोजेक्ट पर भी काम शुरू कर दिया है। इसके अलावा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी केदारनाथ धाम, हिमाचल स्थित बगलामुखी व चिंतपूर्णी धाम के अलावा अन्य मंदिरों पर नतमस्तक होने भी पहुंचे।

    हिंदू मतदाताओं को लुभाने के लिए सभी पार्टियां कर रही हैं हरसंभव प्रयास

    सिर्फ कांग्रेस पार्टी ही नहीं, बल्कि शिरोमणि अकाली दल व आम आदमी पार्टी भी हिंदू मतदाताओं को लुभाने के लिए सक्रिय हैं। दोनों पार्टियां चुनाव के लिए हिंदू बहुल सीटों पर हिंदू चेहरों को तलाश करती नजर आईं। शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल भी चिंतपूर्णी धाम व राजस्थान स्थित सालासर बालाजी धाम के अलावा अन्य मंदिरों में दर्शन करते नजर आए। आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल भी जालंधर स्थित श्री देवी तालाब मंदिर माथा टेकने पहुंचे थे।

    एक ही पार्टी के पक्ष में एकजुट होकर मतदान करते हैं हिंदू मतदाता

    हिंदू मतदाता हमेशा एकजुट होकर एक ही पार्टी के पक्ष में मतदान करते हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक सिर्फ सात से 14 फीसद मतदाता इधर से उधर खिसकते हैं। वर्ष 2007 में 13.5 हिंदू मतदाता कांग्रेस से दूर हो गए थे। परिणामस्वरूप कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई थी। उसके बाद वर्ष 2012 के चुनाव में भी यही स्थिति रही। दोनों बार शिअद-भाजपा गठबंधन की सरकार बनी थी। इसके वर्ष 2017 के चुनाव में 10.5 फीसद हिंदू मतदाता शिअद-भाजपा गठबंधन से अलग हो गए थे। परिणामस्वरूप उसके विधायकों की संख्या महज 18 पर ही सिमट गई थी और कांग्रेस सत्ता में आ गई।

    इन सीटों पर हिंदू मतदाता निर्णायक

    • पठानकोट : 70 फीसद
    • बठिंडा शहरी : 62 फीसद
    • अमृतसर शहरी : 60 फीसद
    • अमृतसर उत्तरी : 60 फीसद
    • अमृतसर पूर्वी : 60 फीसद
    • अमृतसर पश्चिमी : 60 फीसद
    • अमृतसर केंद्रीय : 60 फीसद
    • होशियारपुर: 60 फीसद