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    Hanuman Janmostav 2022: अमृतसर के बड़ा हनुमान मंदिर की दूर-दूर तक प्रसिद्धि, संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी करते हैं पवनपुत्र

    Hanuman Janmotsav जब लव और कुश ने श्री राम के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को रोककर उनकी सत्ता को ललकारा था तो उनका सामना हनुमान जी से हुआ था। श्री दुर्ग्याणा तीर्थ स्थित बड़ा हनुमान मंदिर वही स्थान है।

    By Pankaj DwivediEdited By: Updated: Fri, 15 Apr 2022 02:58 PM (IST)
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    श्री दुर्ग्याण तीर्थ परिसर में स्थित बड़ा हनुमान मंदिर

    जासं, अमृतसर। श्री दुर्ग्याणा तीर्थ परिसर स्थित बड़ा हनुमान मंदिर रामायण युग का माना जाता है। इस मंदिर में श्री हनुमान जी की बैठी अवस्था में प्रतिमा है। अर्थात यह मूर्ति स्वयंभू अस्तित्व है। कहा जाता है जब लव और कुश ने श्री राम के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को रोककर उनकी सत्ता को ललकारा था तो यहीं पर उनका सामना हनुमान जी से हुआ था। दोनों बच्चों के तेज और साहस को देखकर श्री हनुमान जी समझ गए थे कि यह बच्चे श्रीराम जी के हैं। 

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    जब लव कुश ने उन्हें बांधना चाहा तो वह स्वयं ही एक बड़े वटवृक्ष के साथ बैठ कर मुस्कुराते हुए लव-कुश के हाथों खुद को बंधवा लिए थे। कारण, पवन स्वरूप श्री हनुमान जी को किसी बंधन में बांधना तो असंभव था। कहते हैं जिस वटवृक्ष से उन्हें बांधा गया था, वह आज भी श्री दुर्गियाना तीर्थ के श्री बड़ा हनुमान मंदिर में सुशोभित है।

    मंदिर में नवरात्र में बच्चे बनते हैं लंगूर

    इस मंदिर में अश्विन मास के नवरात्र में छोटे बच्चों को लंगूर बनाने की परंपरा है। इसके पीछे की कथा इस प्रकार है।  लव-कुश से युद्ध के पश्चात भगवान श्री राम जी ने स्वयं आकर हनुमान जी को बंधन मुक्त किया था। उन्होंने उन्हें ऐसा वरदान दिया कि जिस तरह इस जगह उनका अपनी संतान से मिलन हुआ है, उसी तरह यहां आकर जो प्राणी हनुमान जी से संतान प्राप्ति की याचना करेगा, उसे संतान अवश्य ही प्राप्त होगी। इसी कारण संतान प्राप्ति की चाहत लेकर बड़ी संख्या में दंपती यहां आते हैं और पुत्र होने पर उसे लंगूर बनाने का वादा करके जाते हैं। कहते हैं कि इस मंदिर में हर एक व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती है।

    श्रीराम बालाजी धाम में 525 किलो का लड्डू बना रहे हलवाई

    श्रीराम बालाजी धाम के महामंडलेश्वर अशनील जी महाराज। दाएं- धाम में सजावट करते हुए भक्तजन।

    श्रीराम बालाजी धाम धनुपुर लोगों की आस्था का केंद्र है। जिस जगह पर यह मंदिर बनाया गया है, उसके बारे में मान्यता है कि भगवान श्री राम और हनुमान जी ने इस जगह पर बने कुएं से जल पिया था। इस मान्यता को देखते हुए परम पूज्य महामंडलेश्वर अशनील जी महाराज ने वर्ष 1995 में इस श्रीराम बालाजी धाम का निर्माण करवाया।  इस मंदिर में श्री बालाजी का दरबार सुशोभित है। इसके अलावा माता वैष्णो देवी की गुफा बनी हुई है, जहां पर पिंडी स्वरुप मां के दर्शन होते हैं। श्री अमरनाथ की गुफा की तरह बाबा बर्फानी के दर्शन होते हैं। यहां श्री हनुमान जन्मोत्सव के मौके पर 525 किलो का लड्डू बनाया जा रहा है। 

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