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    Punjab News: 1999 में सियालकोट से जालंधर आया था हंसराज का परिवार, अब CAA ने कुछ ही महीने में बनाया भारतीय

    25 साल पहले सियालकोट से जालंधर आए हंसराज को अब नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) के तहत नागरिकता मिली है। अब उन्हें वीजा की मियाद बढ़ाने के लिए भटकने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी। हंसराज सहित उनके परिवार के 9 लोगों को भारत की नागरिकता मिल गई है। अब वो भारत सरकार की योजनाओं का भी लाभ ले सकेंगे।

    By Manupal Sharma Edited By: Rajiv Mishra Updated: Wed, 14 Aug 2024 12:30 PM (IST)
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    परिवार के साथ भारतीय नागरिकता का सर्टिफिकेट दिखाते हंसराज

    मनुपाल शर्मा, जालंधर। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) ने पाकिस्तान से आए हंसराज को रिफ्यूजी से भारतीय बना दिया है। अब हंसराज भारत सरकार की तमाम स्कीमों एवं योजनाओं का लाभ ले सकेंगे। सबसे बड़ी बात है कि अब उन्हें अपना वीजा एक्सटेंड करने के लिए सरकारी कार्यालयों में धक्के भी नहीं खाने पड़ेंगे।

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    परिवार सहित 1999 में भारत आए थे हंसराज

    वर्ष 1999 में टूरिस्ट वीजा पर पाकिस्तान के सियालकोट से जालंधर आए हंसराज बीते 25 वर्ष में कई बार भारतीय नागरिकता लेने के लिए आवेदन कर चुके थे। हर बार उनका आवेदन फाइलों में दफन होता चला गया। आखिरकार भारत सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम लाने की घोषणा की।

    इसके बारे में जानकारी मिलने पर हंसराज ने इस बार फाइल नहीं बनाई, बल्कि ऑनलाइन ही आवेदन किया। पोर्टल पर बताए गए दस्तावेज अपलोड किए और आखिरकार सोमवार को चंडीगढ़ में हंसराज को भारतीय नागरिकता का सर्टिफिकेट प्रदान किया गया।

    उनके साथ मां सरगो देवी, बहन वीरो देवी, भाई कृष्ण लाल तथा भाभी प्रवीला देवी समेत कुल नौ रिफ्यूजी को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई।

    हंसराज को अब नहीं करानी पड़ेगी वीजा एक्सटेंशन

    सर्जिकल औजार बनाने वाले हंसराज ने बताया कि वीजा एक्सटेंड करने की प्रक्रिया इतनी लंबी और जटिल थी कि उसमें ही छह महीने से भी ज्यादा समय लग जाता था। जब तक प्रक्रिया पूरी होती थी, अगली एक्सटेंशन का काम शुरू हो जाता था।

    हंसराज को हर बार गवाह लाने पड़ते थे और थानों के चक्कर काटने पड़ते थे। उनके ऊपर कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है, इसे साबित करने में ही परेशान होना पड़ता था। अब भारतीय नागरिकता मिलने के बाद इन सबसे निजात मिल गई है।

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    पिता के आदेश पर लिया था भारत आने का निर्णय

    हंसराज ने कहा कि पाकिस्तान में हिंदुओं पर कट्टरपंथियों के दबाव के कारण मैं अपने पिता चमन लाल के आदेश पर परिवार सहित 27 दिसंबर, 1999 को जालंधर आ गया। भारतीय नागरिकता लेने की राह देखते पिता का 2008 में निधन हो गया। मेरी शादी यहां जालंधर में भारतीय नागरिक बबली से हुई।

    उन्होंने कहा कि बच्चे भी भारत में जन्मे तो यहीं के नागरिक हो गए। अब मेरा कोई भी रिश्तेदार पाकिस्तान में नहीं रहता। केंद्र सरकार की तरफ से लागू किए गए सीएए के कारण अब भारत में ही रह रहे अन्य पाकिस्तानी नागरिकों को भी भारतीय नागरिकता मिलने की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं।

    कई लोगों ने दो दशकों से भी ज्यादा लंबे समय से नागरिकता के लिए आवेदन किया हुआ है, लेकिन उनकी फाइलें धूल फांक रही हैं। वे उन सभी अपील करते हैं कि वह भी जल्द इसी एक्ट के तहत आनलाइन आवेदन करें और कुछ ही महीने में उन्हें बिना किसी परेशानी के भारतीय नागरिकता मिल जाएगी।

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