सरकार ने सरकारी स्कूलों के बिजली बिल भरने से किया इंकार, पंचायतों को सौंपी जिम्मेदारी
प्रदेश भर में चल रहे सरकारी स्कूलों के पास पावरकॉम विभाग का 214.60 लाख से ऊपर बकाया है।
जालंधर : प्रदेश भर में चल रहे सरकारी स्कूलों के पास पावरकॉम विभाग का 214.60 लाख से ऊपर का बकाया पड़ा हुआ है। वहीं लंबे समय से पावरकॉम विभाग द्वारा बार-बार चेतावनियों के बाद भी बिल अदा न करने की सूरत में अब प्रदेश सरकार ने भी बिजली के बिल भरने से इंकार कर दिया है। उनका कहना है कि उनके पास स्कूलों के बिजली बिल अदा करने के लिए कोई अतिरिक्त फंड नहीं हैं। इसके चलते अब इन स्कूलों के बिजली बिल भरने की जिम्मेदारी ग्रामीण पंचायतों को सौंपी गई हैं। इस संबंध में वीरवार 5 अप्रैल को सरकारी स्कूलों के हेडव जिला शिक्षा अधिकारियों को डीपीआइ (डायरेक्टर पब्लिक इंस्ट्रक्शन सेकेंडरी) द्वारा जारी एक मिला है जिसमें अपने-अपने स्कूलों के बिजली मीटर ग्रामीण पंचायतों के नाम ट्रासफर करवाने के निर्देश दिए गए हैं ताकि बाद में ऑडिट में किसी तरह की अड़चन पैदा न हो पाए।
डायरेक्टर पब्लिक इंस्ट्रक्शन (सेकेंडरी एजूकेशन पंजाब) ने पंजाब के सरकारी स्कूलों व जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर कहा है कि वे अपने बिजली के मीटर को अपने-अपने गाव की पंचायत के नाम पर करवा दे क्योंकि एजूकेशन विभाग के पास कोई विशेष ग्राट नहीं हैं, जिससे बिजली का बिल अदा किए जा सकें। डीपीआइ द्वारा जारी यह पत्र सरकारी स्कूलों को वीरवार को मिला है।
214.12 लाख बिजली बिल बकाया, 36 स्कूलों के कटे कनेक्शन
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में यह आपत्तिजनक व्यवस्था बीते कई सालों से चली आ रही है। शिक्षा विभाग द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में इस समय कुल 19 हजार 289 स्कूल हैं। जिनमें 12 हजार 976 प्राइमरी, 2707 मिडल, 1687 हाई तथा 1919 सीनियर सेकेंडरी स्कूल शामिल है। जबकि इन स्कूलों के ऊपर 214.12 लाख रुपये से ऊपर बिजली बिल का बकाया चढ़ गया है। इसके चलते साल 2016-2017 के शैक्षणिक सत्र के दौरान पंजाब में 17 प्राइमरी, 19 मिडिल व हाई और सीनियर सेकेंडरी स्कूलोंके कनेक्शन केवल इसलिए काटे गए क्योंकि उन्होंने समय पर बिजली बिलों की अदायगी नहीं की थी।
एलीमेंट्री स्कूलों के लिए बिजली बिल का नहीं है कोई प्रवधान
विभाग द्वारा पिछले लम्बे समय से जिले के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूलों को मेंटेनेंस फंड के अंतर्गत बिजली बिल के भुगतान के लिए जारी की जाने वाली ग्राट जारी नहीं की गई थी, वहीं सरकार द्वारा सरकारी मिडल और एलीमेंटरी स्कूल के बिजली बिलों के भुगतान के लिए सरकारी ग्राट देने का कोई प्रावधान ही नहीं है। सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल पीटीए फंड से बिजली बिल की अदायगी कर लेते थे। परन्तु अब बिजली बिल का बकाया ज्यादा खड़ा होने के चलते बिलों की अदायगी में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जेबों से बिल अदा कर रहे हैं अध्यापक
सरकारी स्कूल के शिक्षकों का कहना है कि बिजली बिल की अदायगी के लिए कोई सरकारी ग्राट न आने के चलते अधिकतर समय उन्हें शिक्षको को ही अपनी जेबों से बिला अदा करने पड़ते हैं। बिजली बिल जब आने वाला होता है तो शिक्षक व स्टाफ परेशान हो जाता हैस अब किस तरह से बिल की अदायगी की जाएगी। ऐसे में स्टाफ वसूली करके व अपनी जेब से बिल देता है परन्तु जब बिल ज्यादा आ जाए तो वे भी बेबस हो जाते हैं। सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल जालंधर की एक प्रिंसिपल का कहना है कि उनके सरकारी स्कूल का ही बिल साल भर से पेडिंग पड़ा हुआ है। पावरकाम विभाग की तरफ से बार-बार बिल अदा करने की चेतावनी दी जा रही है। यदि बिल अदा नहीं हुआ तो कनेक्शन काट दिया जाएगा। ऐसे में यदि पंचायतों ने बिल देने की जिम्मेदारी ले ली है तो उन्हें मीटर उनके नाम पर ट्रासफर करवाने में कोई दिक्कत नहीं हैं। क्योंकि यदि पावरकाम विभाग द्वारा इस बार गर्मियों में बिजली के कनेक्शन काट दिए तो बच्चों को गर्मी में बैठकर पढ़ना पड़ेगा। कई बार नोटिस भेजे नहीं अदा कर रहे बकाया : एसई परविंदर
इस बारे में पीएसपीसीएल के एसई परविंदर सिंह का कहना है कि शिक्षण संस्थान ही नहीं बल्कि कई सरकारी विभागों पर पावरकॉम का बकाया पड़ा हुआ है। लेकिन बार-बार नोटिस भेजने के बावजूद पावरकॉम की करोड़ी रुपये की राशि सरकारी अदारों के पास पेडिंग पड़ी हुई है। उन्होंन बार-बार चेतावनी दी जा रही है यदि फिर भी नहीं बकाया जमा करवाया गया तो विभागयी कार्रवाई करते हुए कनेक्शन काटने के निर्देश जार कर दिए जाएंगे। बकाया बिलों को कंपाइल किया जा रहा है : डीडी शर्मा
पावरकॉम विभाग के डायरेक्टर डिस्ट्रीब्यूशन एनके शर्मा के अनुसार सरकारी विभागों के पास पावरकॉम विभाग का इस समय तक अरबों रुपये बकाया पड़ा है। जल्द ही इस राशि को अपग्रेड कर सरकारी विभागों को नोटिस भेजे जाएंगे। यदि फिर भी बिल अदा नहीं होते हैं तो विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
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