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पंजाब में फूड सेफ्टी विभाग के फर्जी अधिकारी बन ठगी करने वाला गिरोह सक्रिय, ढाबा व रेस्तरां के लाइसेंस बनाने का मैसेज आए तो रहे सतर्क

पंजाब में फूड सेफ्टी विभाग का अधिकारी बन रेस्टोरेंट व ढाबा मालिकों को ठगने वाला गिरोह सक्रिय हो गया है।ठग आपको आपके लाइसेंस की तारीख खत्म होने का कहकर उसकी तारीख बढ़ाने की बात कह आपसे ठगी कर सकता है।

By Vicky KumarEdited By: Vinay kumarPublished: Thu, 29 Sep 2022 08:09 PM (IST)Updated: Thu, 29 Sep 2022 08:09 PM (IST)
पंजाब में फूड सेफ्टी विभाग के फर्जी अधिकारी बन ठगी करने वाला गिरोह सक्रिय, ढाबा व रेस्तरां के लाइसेंस बनाने का मैसेज आए तो रहे सतर्क
पंजाब में फूड सेफ्टी विभाग के फर्जी अधिकारी बन ठगी करने वाला गिरोह सक्रिय हो गया है।

जागरण संवाददाता, अमृतसर। अगर आपको कोई फूड सफ्टी विभाग का अधिकारी बताकर रेस्टोरेंट या ढाबे आदि का लाइसेंस बनाने के लिए कहता है तो उससे सतर्क रहे। वह आपको आपके लाइसेंस की तारीख खत्म होने का कहकर उसकी तारीख बढ़ाने की बात कहकर आपसे ठगी कर सकता है। ऐसे लोगों के बहकावे में न आए। जिले में ऐसा ही गिरोह सक्रिय है जो लोगों को फूड सेफ्टी विभाग का अधिकारी बताकर फर्जी लाइसेंस बना रहे है और उसके एवज में लोगों से पैसे भी ठग रहे है। इतना ही नहीं इतना ही नहीं कई ढाबा मालिकों को तो यह लोग फर्जी चालान तक काटकर व्हाट्सएप पर भेज देते है।

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इन लोगों ने गूगल व पेटीएम आदि पर अपने अकाउंट भी बना रखे है और उसी पर ही यह लोग पैसे भी मंगवा रहे है। फिलहाल इस गिरोह में लड़को के साथ-साथ लड़कियां भी है, जो व्हाट्स पर पहले ढाबा मालिकों को सारी डिटेल भेजते है और उसके बाद ट्रायल के तौर पर उन्हें फर्जी सर्टीफिकेट बनाकर भेज देते है। इस मामले की शिकायते फूड सेफ्टी अधिकारियों के साथ-साथ पुलिस कमिश्नर के पास भी पहुंच रही है।

फर्जी अधिकारियों ने बाबा दा ढाबा का काटा चालान

इस्लामाबाद निवासी हरीश कुमार ने बताया कि वह सुल्तानविंड रोड पर बाबा दा ढाबा चलाते है। उन्हें 19 अगस्त को 9876017323 से फोन आया और फोन करने वाले युवक ने अपने आप को फूड इंस्पेक्टर बताया। तथाकथित इंस्पेक्टर ने उन्हें कहा कि उन्होंने फूड सेफ्टी का लाइसेंस नहीं बनाया है, जिस कारण उनके ढाबे का लाइसेंस रद्द करके ढाबे को सील कर दिया जाएगा। सुबह ही टीम भेज कर ढाबा सील करेंगे। उसके बाद उस युवक ने उसे बार-बार व्हाट्सएप पर फोन करके सेफ्टी लाइसेंस न बनाने की धमकियां देते हुए उसे 65 हजार रुपये का फर्जी चालान काटकर भेज दिया। उसके पश्चात उसने दोबारा फोन किया और कहा कि अगर उसने यह चालान न भुगता तो उसकी दुकान सील कर दी जाएगी।

इसके पश्चात उसने उसे कहा कि वह इतने पैसे नहीं भर सकता तो फर्जी इंस्पेक्टर ने उसे कहा कि वह अपना लाइसेंस बनवा ले तो वह सब कुछ एडजस्ट करवा देगा। उसने एक नंबर दिया। जिस पर उसने फोन किया तो महिला ने उठाया। बाद में उसके परिवार वालों ने उसे बताया कि अभी कुछ दिन इंतजार करते है और अगर कोई टीम आई तो उनसे बात कर लेंगे। अगले दिन उनकी दुकान पर कोई नहीं आया तो उसके पश्चात उन्होंने पुलिस कमिश्नर अरुणपाल सिंह को लिखित शिकायत की। इसके पश्चात उसने फूड सेफ्टी अधिकारी को भी शिकायत कर दी। पुलिस कमिश्नर ने साइबर सैल को शिकायत भेज दी। साइबर सैल मामले की जांच कर रही है।

फूड सेफ्टी का फर्जी सर्टिफिकेट भी बनाया

कचहरी चौक स्थित कुलचे की दुकान चलाने वाले अशोक कुमार ने बताया कि उन्हें 9105563823 वीरवार को व्हाट्सअप पर मैसेज आया कि वह लोग एफएसएसएआइ का लाइसेंस बनाते है। गिरोह के सदस्यों ने दावा किया कि सात दिनों में वह लाइसेंस बना देते है। इसके उन्होंने रेट भी तय कर रखे है। एक वर्ष के तीन हजार, पांच साल के चार हजार रुपये है। उन्हें कहा गया कि एक घंटे में अगर वह अपने दस्तावेज भेज देंगे तो वह उन्हें आवेदन संख्या दे देंगे। इसके लिए उनसे एक पोटो, आधार कार्ड की कापी, दुकान का नाम, पिन कोड और दुकान का पूरा पता व बिजली का बिल मांगा। उन्होंने यह दस्तावेज भेज दिए तो उन्होंने एफएसएसएआई का सर्टिफिकेट भेज दिया। जिसे उन्होंने चेक करवाया तो वह फर्जी निकला।

इसकी सारी प्रक्रिया आनलाइन है : फूड कमिश्नर

फूड कमिश्नर रजिंदर पाल सिंह का कहना है कि उनके विभाग की तरफ से इस तरह किसी को भी मैसेज नहीं किया जाता। विभाग की तरफ से लाइसेंस की प्रक्रिया आनलाइन की गई है। अगर किसी ने इसके लि अप्लाई करना है तो वह आनलाइन कर सकता है। विभाग की वैबसाइड एफएससीओएस पर इसके लिए अप्लाई किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर कोई लोगों को व्हाट्सअप पर इस तरह से लाइसेंस बनाने की बात करता है तो वह सिविल सर्जन दफ्तर में आकर शिकायत भी कर सकता है।

मामले की जांच चल रही है : एएसआइ

साइबर सेल के एएसआइ मलकियत सिंह का कहना है कि इस मामले की जांच चल रही है। अभी उनकी वीआइपी डयूटी लगी हुई है। उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता की तरफ से जिस नंबर पर पेमंट की गई थी, उसके बैंक को लिखकर भेजा गया है। अभी वहां से कोई जवाब नहीं आया है। अगर कोई जवाब आता है तो उसके बाद अगली कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है।


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