फाजिल्का में 80 प्रतिशत प्रबंधन, पिछले साल से पराली जलाने के मामले 50 प्रतिशत तक हुए कम
फाजिल्का में इस वर्ष पराली जलाने के मामलों में भारी कमी आई है, जो पिछले साल के मुकाबले 50% तक कम है। जिले में 80% पराली का प्रबंधन किया जा चुका है। प्रशासन और कृषि विभाग किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक कर रहे हैं, जिसके चलते हवा की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है। शेष पराली के प्रबंधन के लिए भी प्रयास जारी हैं।

जागरण संवाददाता, फाजिल्का। इन दिनों गेहूं की बिजाई पूरे जोरों पर चल रही है, लेकिन इन सबके बीच इस वर्ष पराली जलाने के मामलों में काफी कमी दर्ज की गई है। पिछले साल जहां 20 नवंबर तक पराली जलाने के 248 मामले दर्ज किए गए थे, वहीं इस साल अब तक 128 मामलों की पुष्टि हुई है। वहीं जिले में इस साल 7.43 लाख टन पराली का उत्पादन हुआ है, जिसमें से छह लाख टन (यानी 80 प्रतिशत) पराली का प्रबंधक कर लिया गया है और डीसी व एसएसपी सहित कृषि विभाग के अधिकारी छुट्टी वाले दिन भी गांवों में जा किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक कर रहे हैं। इसी के चलते अब हवा की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है और दिन के समय एक्यूआई 140 से 150 के बीच रह रहा है।
वर्ष 2022 में 20 नवंबर तक जिले में पराली जलाने की 2,714 घटनाएं, 2023 में 1478, और 2024 में 249 घटनाएं दर्ज हुई थीं। इस वर्ष यह संख्या घटकर 128 रह जाना इस बात का प्रमाण है कि जिले में पराली प्रबंधन प्रणाली मजबूती से लागू हुई है। प्रशासन ने इस बार पिछले साल की तुलना में पराली प्रबंधन मशीनरी भी बढ़ाई है। पिछले वर्ष जहां 6200 मशीनें उपलब्ध थीं, इस बार यह संख्या बढ़ाकर 713 मशीनों तक पहुंचा दी गई। इससे किसानों को स्ट्रा मैनेजमेंट के लिए पर्याप्त विकल्प मिले और आग लगाने की जरूरत महसूस नहीं हुई। इसी तरह, निगरानी और जागरूकता अभियान को मजबूत करने के लिए इस बार 266 नोडल अधिकारियों और 46 क्लस्टर अधिकारियों को सक्रिय रूप से गांवों में तैनात किया गया। ये अधिकारी रोजाना गांवों में जाकर किसानों से संवाद करते रहे, मशीनरी की उपलब्धता सुनिश्चित करते रहे और पराली प्रबंधन तकनीकों की जानकारी देते रहे।
डिप्टी कमिश्नर अमरप्रीत कौर संधू, एसएसपी फाजिल्का गुरमीत सिंह और मुख्य कृषि अधिकारी हरप्रीत पाल ने खुद गांवों का दौरा कर किसानों को पराली आगजनी के नुकसान, विकल्पों और सरकारी सुविधाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डीसी ने कहा कि यह कमी सामूहिक प्रयासों, किसानों के सहयोग और विभागों की सतत मेहनत का परिणाम है।शेष पराली के प्रबंधन के भी हो रहे प्रयास : हरप्रीत पाल कौर मुख्य कृषि अधिकारी हरप्रीत पाल कौर ने बताया कि अब जिले में धान की पराली बहुत कम मात्रा में बची हुई है और जो शेष है, उसके प्रबंधन के लिए भी अभियान तेज कर दिया गया है। सोमवार को जिले में एक भी पराली आगजनी की घटना दर्ज नहीं हुई, जिसे अधिकारी इस वर्ष की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक मान रहे हैं।

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