Move to Jagran APP

Famous Temples of Punjab: श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है बठिंडा का प्राचीन दुर्गा मंदिर, सात मुट्ठी मिट्टी डालने से पूरी होती है मुराद

पंजाब में ऐसे कई धार्मिक स्‍थल हैं जिनकी ऐतिहासिक मान्‍यताओं का वर्णन आज भी सुनने को मिलता है। पंजाब के लोग देवी-देवताओं पर अटूट आस्था रखते हैं। यहां पर देवी-देवताओं के हजारों मंदिर हैं जिनमें से एक है बठिंडा के माइसरखाना गांव स्थित प्राचीन दुर्गा मंदिर।

By DeepikaEdited By: Published: Sat, 25 Jun 2022 02:32 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jun 2022 02:32 PM (IST)
माइसरखाना में स्थित श्री प्राचीन दुर्गा मंदिर। (जागरण)

संवाद सूत्र, बठिंडा। पंजाब में ऐसे कई धार्मिक स्‍थल हैं, जिनकी ऐतिहासिक मान्‍यताओं का वर्णन आज भी सुनने को मिलता है। पंजाब के लोग देवी-देवताओं पर अटूट आस्था रखते हैं। यहां पर देवी-देवताओं के हजारों मंदिर हैं, जिनमें से एक है बठिंडा के माइसरखाना गांव स्थित प्राचीन दुर्गा मंदिर।

loksabha election banner

शहर से करीब 29 किमी. दूर मानसा रोड स्थित माइसरखाना में स्थित श्री प्राचीन दुर्गा मंदिर बहुत मशहूर है। इस मंदिर की मान्यता इतनी है कि दूसरे शहरों से भी लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए यहां पहुंचते हैं। माता के मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। इसकी मान्यता हिमाचल प्रदेश स्थित ज्वाला जी मंदिर के बराबर है। माता की जोत के दर्शनों के लिए ही लाखों श्रद्धालु यहां पर आते हैं।

वहीं हर वर्ष लगने वाले छठ मेले के दौरान तो लाखों की संख्या में श्रद्धालु माता के मंदिर में माथा टेकने के लिए पहुंचते हैं। मंदिर के समीप 35-40 फुट ऊंचा मिट्टी का एक टीला है, जो अब 22 फुट ऊंचा रह गया है। मान्यता है कि जो टीले के नीचे से सात मुट्ठी मिट्टी उठाकर टीले के ऊपर डालता है उसकी मुराद पूरी होती है। नवजन्मे बच्चों का मुंडन व संस्कार भी यहां कराया जाता है। इसलिए मंदिर में दूर से लोग माता के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।

मंदिर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

मंदिर की दंतकथा के अनुसार, 1515 ई. में यहां रहता किसान बाबू कमालू दास नथाना वाले बाबा कालूराम का शिष्य था। कमालू भक्त प्रत्येक बरस अपने गुरु बाबा कालूनाथ जी के साथ दर्शनों के लिए ज्वाला जी जाया करता था। सालों साल बीतने पर कमालू बुजुर्ग हो गया। उनमें ज्वाला जी जाने की हिम्मत नहीं रही। फिर भी जैसे-तैसे वह वहां गया और फरियाद लगाई कि हे माता इस बार तो बड़ी मुश्किल से तेरे दरबार आ गया। हो सकता है कि अगले साल न आ सकूं। अच्छा हो कि मेरे गांव में ही दर्शन दे दिया करो।

देवी मां ने जोत में दर्शन दिए और गांव में मंदिर बनाने को कहा। साथ ही आशीर्वाद दिया कि साल में आने वाले चैत्र व शारदीय नवरात्र की छठ को माइसरखाना के मंदिर की जोत में माता का प्रकाश आएगा। इस जोत के दर्शन से श्रद्धालुओं को ज्वाला जी धाम के बराबर फल और इच्छापूर्ति भी होगी।

गांववालों ने कमालू भक्त के सहयोग से मंदिर बनवाया और धीरे-धीरे यह प्रसिद्ध हो गया। उसी दिन से प्रत्येक बरस होने वाले दोनों नवरात्र में माता की ज्योति जलती है। षष्ठी को यहां विशाल मेला लगता है, जिसमें बठिंडा ही नहीं बल्कि उत्तर भारत के प्रमुख नगरों से पांच लाख से अधिक लोग पहुंचते हैं।

नवरात्र में लगता है छठ का मेला

माइसरखाना में स्थित श्री प्राचीन दुर्गा मंदिर में हर वर्ष नवरात्र में छठ का मेला लगाया जाता है, जोकि यहां के प्रसिद्ध मेलों में से एक है। उस दिन श्रद्धालुओं की तादाद भी लाखों की संख्या में होती है। मान्याता है, कि मंदिर में जो भी श्रद्धालु दिल से मन्नत मांगता है, वह कभी खाली हाथ नहीं लौटता। इसलिए भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।

यह भी पढ़ेंः- Famous Mosque of Punjab: आज भी सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश देती है गुरु की मस्जिद, श्री गुरु हरगोबिंद साहिब ने करवाया था निर्माण


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.