Flashback: DAV College के पहले अवैतनिक प्रिंसिपल थे पं. मेहरचंद, जानें क्या है इतिहास
नॉर्थ इंडिया के पहले पुरुषों के लिए खुले इस कॉलेज की शुरुआत 13 मई को फाइन आर्ट्स (एफए) के रूप में हुई थी।
जालंध, [अंकित शर्मा]। डीएवी कॉलेज जालंधर सोमवार को 101वें साल में प्रवेश कर लिया है। नॉर्थ इंडिया के पहले पुरुषों के लिए खुले इस कॉलेज की शुरूआत 13 मई को फाइन आर्ट्स (एफए) के रूप में हुई थी, जिसमें अलख मायर, पं. मेहरचंद के पुत्र पं. हरिलाल पहले स्टूडेंट बने थे। बाबा साहिब डॉ. बीआर अंबेडकर, पंडित जवाहर लाल नेहरू भी इस कॉलेज के छात्र रह चुके हैं। कॉलेज ने देश को 22 ओलंपियन, आठ अर्जुन अवार्डी, चार ध्यान चंद और तीन द्रोणाचार्य अवार्डी छात्र दिए हैं। फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह, कपिल देव, प्रधानमंत्री आइके गुजराल भी कॉलेज के ही पूर्व छात्र हैं।
9 मई को पीयू की सब कमेटी ने दी थी अनुमित
दोआबा बिस्त जालंधर में उन दिनों कई स्कूल खुल चुके थे। साईंदास ऐंगलो संस्कृति स्कूल के अवैतनिक हेड मास्टर पं. मेहरचंद ने लाला राधा राम की सहमती से दयानंद एंगलो वैदिक कॉलेज ट्रस्ट हिसार सचिव पं. लखपतराय वकील और मैने¨जग सोसाइटी लाहौर से जालंधर में इंटर मीडिएट क्लासें खोलने की अनुमति मांगी। महात्मा हंसराज की सहमति तो मिल गई, मगर पंजाब यूनिवर्सिटी से एक लाख रुपये की जमानत राशि की शर्त लगा दी। इस समस्या का हल जसवंत राय द्वारा राय फतेहचंद के नाम पीएनबी में एक लाख रुपये की करवाई गई एफडी जमानत के रूप में पं. लखपतराय को देने से हो गया। तत्काल दो मई, 1918 को दयानंद एंगलो वैदिक कॉलेज ट्रस्ट और मैनेजिंग सोसाइटी ने पीयू लाहौर से प्रार्थना पत्र देकर 13 मई, 1918 को खोलने के लिए निवेदन किया। तीन मई 1918 को पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट की मीटिंग में एक सब कमेटी का गठन किया गया। जो जालंधर का दौरा करे और इंतजाम ठीक हो तो मौके पर ही कॉलेज खोलने की अनुमति दे दे। 9 मई 1918 को यूनिवर्सिटी की सब कमेटी ने बाग वाहरिया जालंधर में कॉलेज खोलने के लिए किराए पर ली गई बिल्डिंग का निरीक्षण किया। सभी प्रबंध ठीक पाए जाने पर अनुमति मिल गई थी।
पं. मेहरचंद के पुत्र हरीलाल साली थे पहले स्टूडेंट
डीएवी कॉलेज के ही पूर्व छात्र एडवोकेट सुलक्षण लाल के बेटे विरोचन ने बताया कि उन्होंने कॉलेज से 1963-1967 में बीएससी नॉन मेडिकल की थी। वे कहते हैं कि डीएवी कॉलेज का उद्घाटन राय साहिब फतेह चंद जो राय साहिब फतेहचंद कालेज फॉर वूमेन लाहौर के संस्थापक थे, ने 13 मई 1918 की सुबह किया। उन्होंने उसी समय 15 हजार रुपए कॉलेज को दान में दिए। पं. मेहरचंद मैने¨जग कमेटी के पहले अवैतनिक प्रिंसिपल बने। पं. मेहरचंद के पुत्र पं. हरीलाल साली ने 10वीं 1918 में पास कर ली थी। वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए लाहौर जाना चाहते थे। परंतु पिता की आज्ञा पर उन्होंने कॉलेज में प्रथम स्टूडेंट के रूप में अपना नाम अंकित करवाया। हरीलाल ने इंटरमिडिएट की परीक्षा छात्रवृति से पास की।
गुरु के कहने पर छात्र अनवर खान ने 300 रुपए में दी थी 56 कनाल
जमीन कॉलेज के छात्र अनवर खान बीए बीटी ने पं. मेहरचंद के कहने पर अपनी सात घुमाऊ अर्थात 56 कनाल जमीन मात्र 300 रुपए में दे दी। इस जमीन पर मौजूदा समय में कॉलेज स्थापित है। कॉलेज की स्थापना के 25वें साल में जियोग्राफी, 50वें साल में एमए इंग्लिश, 75वें में एमबीए डिग्री को जोड़ा गया। डीएवी में मौजूदा समय में 14 पोस्ट ग्रेजुएट, 3 पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा, 12 अंडर ग्रेजुएट कोर्स चलाए जा रहे हैं। साल 2016 में कॉलेज को विद पोटेंशियल फॉर एक्सीलेंस अवॉर्ड मिल चुका है। एल्युमिनाई डीएवी कॉलेज पूर्व छात्र डॉ. हरविंदर सिंह सहोता (हृदय रोग विशेषज्ञ, कैलिफोर्निया यूएसए) और डॉ. रामकृष्ण गुप्ता (¨सगापुर), डा. हरगोबिंद खुराना, पाकिस्तान में इंडियन अबेंसडर भरत सभ्रवाल, गजल गायक जगजीत सिंह, सूफी सिंगर हंसराज हंस कॉलेज के एल्युमिनाई हैं।
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