अर्जुन अवार्डी DSP मर्डर केस में बड़ा खुलासा, थप्पड़ मारने पर ऑटो चालक ने की थी हत्या; आरोपित के घर से बरामद हुई पिस्तौल
DSP Murder Case अर्जुन अवार्डी डीएसपी मर्डर केस में बड़ा खुलासा हुआ है। डीएसपी दलबीर सिंह देओल की हत्या थप्पड़ मारने के बाद ऑटो चालक विजय ने की थी। डीएसपी ने अपनी पिस्तौल को लॉक नहीं किया था। उसने खुद ही ऑटो चालक को बताया था कि उसकी पिस्तौल में 12 गोलियां हैं। यह बताया था कि पिस्तौल पीछे खींचकर ट्रिगर दबाने से चलती है।
संवाद सहयोगी, जालंधर। Jalandhar DSP Murder Case: बीती 31 दिसंबर की रात को अर्जुन अवार्डी दिव्यांग डीएसपी दलबीर सिंह देओल की हत्या थप्पड़ मारने के बाद ऑटो चालक विजय ने की थी। डीएसपी ने अपनी पिस्तौल को लॉक नहीं किया था। उसने खुद ही ऑटो चालक को बताया था कि उसकी पिस्तौल में 12 गोलियां हैं। यह बताया था कि पिस्तौल पीछे खींचकर ट्रिगर दबाने से चलती है।
ऑटो चालक गिरफ्तार
पुलिस कमिश्नर स्वप्न शर्मा ने वीरवार को मीडिया को बताया कि गांव प्रतापपुरा के रहने वाले ऑटो चालक विजय को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। जांच के दौरान उसके घर से पिस्तौल और 11 कारतूस भी बरामद कर लिए गए हैं। आरोपित को दो दिन के रिमांड पर लिया गया है। पूछताछ में आरोपित ने माना कि डीएसपी के साथ लड़ाई घर छोड़ने को लेकर शुरू हुई थी।
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साधारण कपड़ों में आया था डीएसपी
रविवार रात को वह कचहरी चौक के पास खड़ा था। देर रात उसके पास साधारण कपड़ों में डीएसपी आए। उन्होंने गांव खोजेवाल चलने के लिए कहा तो आटो चालक ने मना कर दिया कि वह इतनी दूर नहीं जाएगा। फिर बात वर्कशाप चौक तक छोड़ने की हुई। जब वह वर्कशाप चौक के पास पहुंचा तो डीएसपी उसे अपने साथ ढाबे में ले गया। वहां बैठकर दोनों ने शराब पी।
ऐसे हुआ हादसा
डीएसपी ने दोबारा खोजेवाल छोड़ने के लिए कहा तो उसने फिर मना कर दिया। बाद में डर से वह चलने के लिए तैयार हो गया। रास्ते में झटके लगने के कारण डीएसपी ने अपनी कमर से पिस्तौल निकालकर बाहर रख दी। ऑटो में बैठने के बाद डीएसपी उसे फिर गालियां निकालने लगा। इस बार दोनों में बहसबाजी हो गई।
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बहसबाजी के दौरान डीएसपी ने ऑटो चालक को थप्पड़ जड़ दिया। हाथापाई के दौरान डीएसपी पर गोली चल गई। डीएसपी को खून से लथपथ देख वह वहां से पिस्तौल लेकर भाग गया। पिस्तौल उसने घर में छिपा दी।
तीन महीने नशा छुड़ाओ केंद्र में भर्ती रह चुका था विजय
बता दें कि डीएसपी दलबीर सिंह पुलिस ट्रेनिंग सेंटर संगरूर में तैनात थे। वह मूल रूप से कपूरथला जिले के गांव खोजेवाल के रहने वाले थे। तीन महीने नशा छुड़ाओ केंद्र में भर्ती रह चुका है ऑटो चालक विजय के पिता के भी चालक थे।
विजय गलत संगत में पड़कर नशा करने लगा और वह नशे का आदी हो गया। इस बीच उसने नशा छोड़ने का मन बनाया और नशा छुड़ाओ केंद्र में भर्ती हो गया। तीन महीने नशा छुड़ाओ केंद्र में उपचार करवाने के बाद कुछ समय पहले ही बाहर आकर वह दोबारा आटो चलाने लगा था। अब भी वह प्रतिदिन नशा छुड़ाओ सेंटर से मिलने वाली गोलियां खा रहा था।
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