निगम की लापरवाही, दस हजार स्ट्रीट लाइटों को जगाने-बुझाने और रिपेयर का इंतजाम नहीं
शहर में लगी एलइडी स्ट्रीट लाइट्स को लेकर नगर निगम की बड़ी लापरवाही सामने आई है। शहर में करीब दस हजार स्ट्रीट लाइट्स ऐसी हैं जिसके आपरेशन और मरम्मत को लेकर कोई इंतजाम नहीं है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : शहर में लगी एलइडी स्ट्रीट लाइट्स को लेकर नगर निगम की बड़ी लापरवाही सामने आई है। शहर में करीब दस हजार स्ट्रीट लाइट्स ऐसी हैं जिसके आपरेशन और मरम्मत को लेकर कोई इंतजाम नहीं है। इन लाइटों को जगाने और बुझाने की जिम्मेवारी तक तय नहीं की गई है और खराब होने की सूरत में रिपेयर कौन करेगा इस पर भी कुछ स्पष्ट नहीं हो रहा। इनमें से करीब 6000 लाइट्स शहर की सभी मेन रोड पर लगी हैं जबकि करीब 4000 लाइट्स कालोनियों में हैं।
कई दिनों से आ रही शिकायतों को देखते हुए पार्षदों की मांग पर नगर निगम की स्ट्रीट लाइट एडहाक कमेटी की मीटिग मंगलवार को बुलाई गई थी। इस मीटिग में कमेटी मेंबरों के अलावा पार्षद भी शामिल हुए। मीटिंग में सामने आया कि शहर में 10000 लाइट्स को लेकर नगर निगम चार साल से लापरवाही बरत रहा है। स्ट्रीट लाइट एडहाक कमेटी की चेयरपर्सन मनदीप कौर मुल्तानी के नेतृत्व में हुई मीटिग में निगम के ओएंडएम ब्रांच और स्मार्ट सिटी कंपनी के अधिकारी भी मौजूद रहे। इन अधिकारियों के पास कमेटी और पार्षदों के सवालों का कोई जवाब नहीं था। आपरेशन एंड मेंटीनेंस डिपार्टमेंट ने एडहाक कमेटी से एक सप्ताह का समय मांगा है। एक सप्ताह में अधिकारी यह रिपोर्ट देंगे कि लाइट्स जगाने और बुझाने को लेकर अगली रणनीति क्या हो सकती है। कमेटी की अगली मीटिग 30 मई को संभावित है। इसलिए नहीं हुआ इंतजाम
चेयरपर्सन मनदीप कौर मुल्तानी ने कहा कि 6000 लाइट्स पुरानी एलइडी स्ट्रीट लाइट ठेका कंपनी पीएचपी ने लगाई थी। चार साल पहले इसका ठेका रद कर दिया गया था और मामला अभी कोर्ट में है लेकिन पुरानी कंपनी की लगाई गई लाइटों को जगाने और बुझाने का कोई इंतजाम आज तक नहीं हुआ। कोई भी स्ट्रीट लाइट ठेकेदार इनकी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। लाइट्स लगाने के 41 करोड़ रुपये के ठेके का काम देख रही एचपीएल कंपनी भी मरम्मत नहीं कर रही। पार्षद को भी नहीं पता.किसके पास जाकर शिकायत करें
करीब 4000 लाइट्स ऐसी हैं जो सांसद या विधायक की ग्रांट से लगी हैं। बड़ी गिनती में पीडब्ल्यूडी, पुडा और अन्य विकास एजेंसियों ने लगाई हैं। लाइट तो लगा दी गई लेकिन इनकी मरम्मत और आपरेशन की जिम्मेवारी किसी को नहीं दी गई। इस वजह से पार्षदों को अपने-अपने इलाकों में ऐसी लाइट्स को लेकर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इन्हें जगाने और बुझाने का इंतजाम नहीं है तो खराब होने की स्थिति में इनको बदलने और रिपेयर करने के लिए किसे कहा जाए यह भी स्पष्ट नहीं होता। बार-बार कहने के बावजूद डार्क जोन में भी नहीं लग रही लाइटें
मीटिग में पार्षद गुरविदर सिंह बंटी नीलकंठ, जगदीश गग, पवन कुमार व जगदीश समराय ने यह मुद्दा भी उठाया कि नई स्ट्रीट लाइट कंपनी शहर के डार्क जोन इलाकों में नई एलईडी लाइट नहीं लगा रही। यह डार्क जोन इलाके वह हैं, जहां पर अंधेरा रहता है और मौजूदा स्ट्रीट लाइटों में काफी दूरी है। वहां नए प्वाइंट लगाने की जरूरत है। मीटिग में पार्षदों ने कहा कि एलइडी स्ट्रीट लाइट कंपनी को कई बार कहा गया है लेकिन अभी तक डार्क जोन में लाइटें नहीं लगाई जा रही। कई जगह नए प्वाइंट लगाए जाने हैं और यह भी पहल के आधार पर लगाए जाने चाहिए।
पार्षदों का सुझाव..नए ठेका लगाना चाहिए
पार्षदों ने कहा कि अगर लाइटों की मरम्मत का इंतजाम नहीं है तो उसके लिए रिपोर्ट तैयार करने के बाद किसी न किसी कंपनी को जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। चाहे इसके लिए किसी ठेकेदार को ठेका ही क्यों ना देना पड़े। पार्षदों ने यह भी मांग की है कि एलईडी कंपनी हर दो वार्ड पर लाइटों की रिपेयर के लिए एक इलेक्ट्रिशियन और एक हेल्पर लगाए। इस समय 5-6 वार्ड पर एक इलेक्ट्रिशियन और एक हेल्पर है जिससे पार्षदों को लाइटों संबंधी शिकायतें दूर करवाने में दिक्कत आती है।