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    भारत की एजुकेशन इंडस्ट्री के बिग-बी बने अशोक मित्तल, हर क्षेत्र में हासिल की कामयाबी

    By Edited By:
    Updated: Fri, 19 Apr 2019 10:18 PM (IST)

    एलपीयू के मालिक अशोक मित्तल के परिवार ने सालों पहलेलोगों को लड्डुओं की मिठास से दीवाना बनाया और और आज वह भारत की एजुकेशन इंडस्ट्री का बिग बी बन चुके ह ...और पढ़ें

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    भारत की एजुकेशन इंडस्ट्री के बिग-बी बने अशोक मित्तल, हर क्षेत्र में हासिल की कामयाबी

    जेएनएन, जांलधर। परिंदों को मिलेगी मंजिल यकीनन, ये फैले हुए उनके पर बोलते हैं, वही लोग रहते हैं खामोश अक्सर, जमाने में जिनके हुनर बोलते है.. यह कहानी जालंधर के सुजातनगर में रहने वाले लवली परिवार पर फिट बैठती है। 500 रुपये से मिठाई का काम शुरू करके इस परिवार ने देश व विदेशों तक अपनी सफलता का परचम लहराया। लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) के मालिक अशोक मित्तल के परिवार ने सालों पहले मिठाई का कारोबार शुरू कर लोगों को लड्डुओं की मिठास से दीवाना बनाया और आज वह भारत की एजुकेशन इंडस्ट्री का बिग बी बन चुके हैं। इसके बाद भी उनके परिवार ने आज तक लवली हलवाई के नाम को अपने साथ लेकर चलने में कोई गुरेज नहीं महसूस की।

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    अशोक मित्तल ने एलपीयू की स्थापना 2001 में की थी

    आज यूजीसी से मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटियों में एलपीयू देश की सबसे बड़ी प्राइवेट यूनिवर्सिटी है। 2013 में इस यूनिवर्सिटी को बेस्ट प्राइवेट यूनिवर्सिटी का अवॉर्ड मिल चुका है।यूनिवर्सिटी ने कैंपस के आसपास के 50 से ज्यादा गांवों को गोद ले रखा है। यहां वे स्वास्थ्य और शैक्षणिक शिविर लगाते हैं।  लुधियाना जेल के कैदियों को भी नमकीन आदि खाद्य पदार्थ बनाने सिखाता है।

    आसान नहीं था सफर

    चांसलर मित्तल बताते हैं कि उनके पिता बलदेव राज मित्तल 1947 में विभाजन के दौरान पाकिस्तान के सियालकोट से जालंधर आए और यहां सेना में ठेकेदारी का काम करने लगे। 1961 में उन्होंने अपने एक मित्र से 500 रुपये का कर्ज लेकर जालंधर में मिठाई की दुकान खोली। इसका नाम रखा गया लवली स्वीट्स। समय के साथ-साथ उनका परिवार शहर में अपनी अलग पहचान बनाने में सफल रहा। यह सफर आसान नहीं रहा और उनके पिता ने इसके लिए बहुत मेहनत की। मित्तल बताते हैं कि पिता हमेशा कहा करते थे कि सफलता कभी एक दिन में नहीं आती। किसी व्यक्ति को एक ऊंचे मुकाम तक पहुंचने के लिए बिना रुके और बिना थके लगातार मेहनत करनी होती है।  

    समाज को बेहतर बनाने के लिए शिक्षा से बढ़कर कुछ नहीं

    स्वीट्स का कारोबार बढ़ा और कुछ समय बाद बजाज स्कूटर की डीलरशिप खरीद ली। 1996 में मारुति की डीलरशिप भी ली इसके बाद ऑटो मोबाइल की दुनिया में भी सफलता मिलती गई। बिजनेस में सफलता मिलने के बाद उनके परिवार ने समाज की बेहतरी में अपना योगदान देने का सोचा। उसके बाद इसी लक्ष्य को लेकर लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई। उन्होंने पहले हमारे परिवार ने धर्मशाला, मंदिर या वृद्धाश्रम खोलने के बारे में सोचा था लेकिन बाद में उन्हें लगा कि समाज को बेहतर बनाने की दिशा में शिक्षा से बढ़कर कुछ नहीं है। उसके बाद लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई।

    शिक्षा का कायाकल्प करना है मुख्य उद्देश्य : रश्मि मित्तल

    लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी की प्रो. चांसलर रश्मि मित्तल परिवार के सफरनामे के बारे में बताती हैं कि हमारे लिए उद्देश्य आंकड़ों तक सीमित नहीं है बल्कि स्तर और गुणवत्ता का रहा है। शुरुआत से ही एलपीयू का उद्देश्य शिक्षा का कायाकल्प करना और अपने छात्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का कौशल प्रदान करना रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में अपने योगदान के कारण उनके पति को वर्धमान अवार्ड फॉर इंटरप्रिन्योर ऑफ द ईयर से भी सम्मानित किया गया है। पंजाब के राज्यपाल शिवराज पाटिल के द्वारा वर्ष 2012 में उन्हें 'पंजाब गौरव सम्मान' से भी नवाजा गया है। यूनिवर्सिटी में आयोजित किये गए पांच दिवसीय 106वीं इंडियन साइंस कांग्रेस (आईएससी)-2019 की सफलता का श्रेय भी उनके पति को ही जाता है।

    600 एकड़ में फैला है कैंपस, पढ़ते हैं 30 हजार स्टूडेंट्स

    एलपीयू में 35 से ज्यादा देशों के व भारत के 30 हजार विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। लक्ष्य छात्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का कौशल देना है। यूनिवर्सिटी में 3,500 से ज्यादा एकेडमिक स्टाफ काम करता है। यूनिवर्सिटी में डिप्लोमा, ग्रेजुएशन से लेकर डॉक्टरेट तक 200 से ज्यादा कोर्स संचालित होते हैं। अमेरिका, इंग्लेंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, सिंगापुर, स्विट्जरलैंड, ब्राजील, चीन, स्पेन और पोलैंड की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज के साथ एलपीयू की साझेदारी है।

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