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    पाकिस्तान का साथ देने वाले तुर्किये पर फिर बड़ा प्रहार, पंजाब की इस बड़ी यूनिवर्सिटी ने खत्म किया सभी एमओयू

    एलपीयू यूनिवर्सिटी ने राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए तुर्किये और अजरबैजान के साथ अपने सभी एमओयू रद्द कर दिए हैं। भारत के राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए यूनिवर्सिटी ने इन देशों के संस्थानों के साथ छह शैक्षणिक साझेदारियाँ समाप्त कर दी हैं। यह निर्णय भारत-पाक तनाव के दौरान तुर्किये और अजरबैजान के पाकिस्तान समर्थक रुख के कारण लिया गया।

    By Ankit Sharma Edited By: Sushil Kumar Updated: Fri, 16 May 2025 10:46 PM (IST)
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    एलपीयू ने तुर्किये और अजरबैजान के साथ सभी एमओयू किया खत्म।

    जागरण संवाददाता, जालंधर। एलपीयू ने राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए तुर्किये और अजरबैजान के साथ किए गए सभी एमओयू को खत्म कर दिया है। यूनिवर्सिटी ने हाल ही में भू-राजनितिक घटनाओं का हवाला देते हुए तुर्किये और अजरबैजान के इंस्टीट्यूट के साथ छह एजुकेशनल पार्टनरशिप को ऑफिशियल समाप्त कर दिया है, जो भारत के राष्ट्रीय हित में नहीं थी।

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    इस निर्णय में स्टूडेंट्स और स्टाफ एक्सचेंज प्रोग्राम, ज्वाइंट रिसर्च प्रोजेक्ट, ड्यूल डिग्री पहल और दोनों देशों के इंस्टीट्यूट के साथ एकेडमिक सहयोग के सभी अन्य रूपों को तत्काल समाप्त करना शामिल है।

    पाकिस्तान का समर्थन करना पड़ा भारी

    यह कदम भारत-पाक तनाव के हाल के दौर में तुर्किये और अजरबैजान के पाकिस्तान समर्थक रुख के जवाब में उठाया गया है। यह घोषणा राज्यसभा सांसद और एलपीयू के फाउंडर चांसलर डा. अशोक मित्तल ने की। उन्होंने कहा कि जब हमारे बहादुर सशस्त्र बल अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं, चाहे वे सीक्रेट ऑपरेशन, हवाई रक्षा या सीमाओं पर गश्त करना हों। ऐसे में हम एक यूनिवर्सिटी के रूप में शांत नहीं रह सकते।

    एलपीयू ने दिया करारा झटका

    डॉ. मित्तल ने कहा कि यूनिवर्सिटी का मिशन हमेशा भारत की वृद्धि और अखंडता के साथ जुड़ा रहा है और हम कभी भी किसी ऐसे संस्थान से नहीं जुड़ेंगे जो भारत की संप्रभुता को कमजोर करता हो। जबकि डिपलोमेसी सरकारों का क्षेत्र है, ऐसे में एलपीयू की कार्रवाई एक शक्तिशाली संदेश देती है।

    देश की रक्षा के लिए एकेडमिक जगत की भी एक नैतिक जिम्मेदारी है। राष्ट्रीय सुरक्षा केवल सीमाओं तक सुरक्षित नहीं है। इसे हर कक्षा, बोर्डरूम और अंतरराष्ट्रीय सहयोग में संरक्षित किया जाना चाहिए।