Amritpal Singh: CCTV और 100 से ज्यादा जवानों को ऐसे चकमा देकर भागा अमृतपाल, शेखुपुर थी आखिरी लोकेशन
जिस प्रकार अमृतपाल पुलिस की आंखों में धूल झोंकर जालंधर से भागा है उससे एक बात तो जाहिर है कि अमृतपाल को भगाने में स्थानीय लोगों ने खुलकर मदद की है क्योंकि इतने कम समय में गांवों की गलियों व चोर रास्तों के बारे में अमृतपाल नहीं जान सकता था।
जालंधर, मनोज त्रिपाठी। अमृतपाल की जालंधर में अंतिम लोकेशन फिल्लौर के शेखुपुर में सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई थी। इसी गांव के गुरुद्वारे में एक घंटे तक रुककर अमृतपाल ने चाय पी और फिर ग्रंथी के नाबालिग बेटे को हथियार के दम पर डराकर अपने साथ लाडोवाल के पास हार्डिज वर्ल्ड तक लेकर गया। इससे पहले अमृतपाल ने सतलुज पार करने के लिए बेड़ा (नाव) की तलाश भी की थी। उसे नाव मिल भी गई थी, लेकिन नाव चलाने वाले ने रात को दस बजे दरिया पार करवाने से मना कर दिया था। इसके बाद अमृतपाल ने 1870 में सतलुज पर बनाए रेलवे ब्रिज पर चलकर दरिया पार किया।
जिस प्रकार अमृतपाल पुलिस की आंखों में धूल झोंकर जालंधर से निकल पाया है उससे एक बात तो जाहिर है कि अमृतपाल को भगाने में स्थानीय लोगों ने खुलकर मदद की है, क्योंकि इतने कम समय में गांवों की गलियों व चोर रास्तों के बारे में अमृतपाल नहीं जान सकता था। बाजवा कलां के फ्लाईओवर के नीचे से लेकर नंगल अंबिया गुरुद्वारा साहिब तक पहुंचने में उसकी मदद स्थानीय लोगों ने की। इसके बाद गुरुद्वारे के ग्रंथी ने मदद की।
नंगल अंबिया गुरुद्वारा से दो किलोमीटर आगे जाकर नहर के किनारे पगडंडी (कच्ची सड़क) से दारापुर पहुंचकर अमृतपाल ने बाइक नहर में फेंक दी और फिर वहां से दूसरी सप्लेंडर बाइक से शेखुपुर के गुरुद्वारे तक वह अपने एक समर्थक के जरिए पहुंचा। गुरुद्वारे की देखभाल करने वाली बुजुर्ग महिला ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अमृतपाल आया तो पहले ग्रंथी के बारे में पूछा फिर गुरुद्वारे में बैठे नाबालिग बच्चे से बातचीत की।
इसके बाद उसे हथियार दिखाए और बैठ गया। थोड़ी देर बैठकर उसने कुछ लोगों को फोन किया और बातचीत की। जिससे भी बातचीत की, उसने सतलुज दरिया कैसे क्रास करनी है इसे लेकर समझाया। इसके बाद अमृपाल ने बेड़े के बारे में पूछा तो ग्रंथी के बेटे ने जानकारी होने से इनकार किया। थोड़ी देर बाद अमृतपाल ने बाइक से चलने को कहा। शेखुपुर से एक सड़क सीधे फिल्लौर क्रासिंग तक जाती है। यहां पहुंचकर वह सतलुज दरिया के पास गया। अमृतपाल जिस बाइक से भागा था वह पुलिस को बिलगा में नहर के कच्चे रास्ते पर मिला है।
रेहड़े वाला बोला - मैं अमृतपाल को नहीं जानता था
अमतपाल अपनी पंक्चर बाइक को जिस रेहड़े पर लादकर भागा था, उसके चालक लखबीर सिंह ने बताया कि बाइक पर अमृतपाल व पपलप्रीत सिंह थे। बाइक उधोवाल गांव के पास पंक्चर हो गई थी। उसने उधोवाल गांव के पास से ही महितपुर बाजार के पास तक उन दोनों को रेहड़े पर लिफ्ट दी थी। बदले में उन्होंने मांगने पर 100 रुपये भी दिए थे। महितपुर बाजार में ही 12 बजे पुलिस ने अमृतपाल के काफिले में शामिल तीन एंडेवर कारों को आमना-सामने होने के बाद बरामद किया था। इसी बाजार में अमृतपाल के सात साथियों को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इस घटनाक्रम के करीब दो घंटे बाद बाजार से करीब छह किलोमीटर दूर उधोवाल गांव के रेहड़ा चालक लखबीर को अमृतपाल गांव के बाहर पंक्चर मोटरसाइकिल के साथ मिला। यहां से वह गुरुद्वारे की तरफ जाने के बजाय महितपुर की तरफ गए जबकि पंक्चर की दुकान गुरुद्वारे की तरफ ज्यादा पास थी। इसका मतलब उसे पता था कि गुरुद्वारे के बाहर पुलिस तैनात है।
टोल प्लाजा व हाईटेक नाके पर थे 100 से ज्यादा जवान
टोल प्लाजा व फिल्लौर में बने पुलिस के हाईटेक नाके पर 50-50 जवानों की टीमों को तैनात किया गया था। इतना ही नहीं टोल प्लाजा पर बने बूथों पर भी कर्मचारियों के साथ दो-दो जवानों को तैनात किया गया था जिससे बूथों के दोनों तरफ अमृतपाल की पहचान की जा सके। इसकी भनक पहले से ही अमृतपाल को थी इसीलिए वह रेलवे के उस ब्रिज से निकल गया जिसके बारे में पुलिस सोच भी नहीं सकती थी।