पंजाब के इस जिले में 800 मकान खतरे में, क्या रुकेगा तोड़फोड़ का काम?
जालंधर के अंबेडकर नगर में तोड़फोड़ के आदेश के बाद भी राजनीतिक संरक्षण जारी है। आम आदमी पार्टी ने मोर्चा संभाला है, निवासियों को सरकारी दरों पर जमीन की रजिस्ट्री का प्रस्ताव है। पावरकॉम की जमीन पर बसे इस नगर का मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा है। अदालत में फिर सुनवाई होगी, और 10 सदस्यीय समिति मामले की पैरवी करेगी।
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जालंधर के अंबेडकर नगर में तोड़फोड़ के आदेश के बाद भी राजनीतिक संरक्षण जारी है।
संजय वर्मा, जालंधर। अंबेडकर नगर के खिलाफ अदालती केस हारने के बाद, तोड़फोड़ के आदेश जारी हो गए हैं, लेकिन एक बार फिर राजनीतिक संरक्षण इसे आने वाले वर्षों तक बचाए रखेगा। इस बार, आम आदमी पार्टी ने मोर्चा संभाल लिया है। इससे पहले, कांग्रेस पार्टी ने इन अतिक्रमणकारियों को कानूनी अधिकार दिलाने के लिए आधार कार्ड, बिजली, पानी और सीवरेज कनेक्शन प्रदान किए थे।
पावरकॉम की ज़मीन पर बसे अंबेडकर नगर का विवाद पंजाब के मुख्यमंत्री तक पहुँच गया है। अंबेडकर नगर के निवासियों को सरकारी दरों पर ज़मीन की रजिस्ट्री करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसके लिए अंबेडकर नगर का नक्शा तैयार किया जा रहा है और अतिक्रमणकारियों की पहचान की जा रही है। अब, इस मामले की अदालत में फिर से पैरवी की जाएगी।
पावरकॉम के खिलाफ अदालती केस हारने के बाद, यहाँ के मकानों को तोड़ने के आदेश जारी किए गए थे। अदालत 14 नवंबर को इस मामले की फिर से सुनवाई करेगी। पावरकॉम के खिलाफ केस लड़ने वाले मुख्य बचाव पक्ष के याचिकाकर्ता कृपाल सिंह का निधन हो गया है, जिससे केस की पैरवी कमजोर हो गई है। अब इस मामले की पैरवी के लिए आम आदमी पार्टी के जालंधर सेंट्रल प्रभारी नितिन कोहली के नेतृत्व में दस सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री के समक्ष यह मुद्दा उठाया है।
बिजली कंपनी अभी भी हो रहे अतिक्रमणों पर चुप क्यों है?
जब बिजली बोर्ड की ज़मीन पर अतिक्रमण हो रहा था, तब अधिकारी कहाँ थे? अब यहाँ अंबेडकर नगर बस गया है। यहाँ कई परिवार रहते हैं। यह स्थिति मामले की पैरवी न होने के कारण पैदा हुई है। एक हफ़्ते पहले जब गुरुनानक पुरा के पास बिजली कंपनी की ज़मीन पर अतिक्रमण हुआ था, तब अधिकारियों ने क्या किया था?
बिजली कंपनी अंबेडकर नगर में कोई भी परियोजना शुरू नहीं करने की योजना बना रही है। आस-पास तीन एकड़ ज़मीन खाली पड़ी है। यह मामला अदालत में चलाया जाएगा। अंबेडकर नगर के निवासियों को सरकारी दरों पर संपत्ति देकर मालिकाना हक़ देने या उसके पीछे खाली पड़ी तीन एकड़ ज़मीन पर सरकारी आवास बनाने के लिए सरकार से बातचीत चल रही है। अदालत में चुनौती देने के साथ-साथ समय भी मिलेगा।
-नितिन कोहली, आम आदमी पार्टी, जालंधर सेंट्रल प्रभारी।
ऐसे शुरू हुआ विवाद
लद्देवाली फ्लाईओवर के पास 65.50 एकड़ ज़मीन खाली कराने के लिए 2003 से केस चल रहा है। सरकार ने 1969 में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के लिए यहाँ 75 एकड़ से ज़्यादा ज़मीन अधिग्रहित की थी। 1997 में सरकार ने बिजली विभाग के कर्मचारियों के लिए कॉलोनी बनाने के लिए बिजली बोर्ड को 65.50 एकड़ ज़मीन दी। वहाँ एक गेस्ट हाउस, एक सेंट्रल स्टोर और कर्मचारी क्वार्टर बनाए गए। खाली ज़मीन पर कब्ज़ा करके डॉ. बीआर अंबेडकर नगर बसाया गया।
बिजली बोर्ड ने अतिक्रमण हटाने के लिए 2003 में जालंधर कोर्ट में केस दायर किया। 12 दिसंबर, 2014 को कोर्ट ने पावरकॉम के पक्ष में फैसला सुनाया। अंबेडकर नगर के निवासियों ने 12 जनवरी, 2015 को कोर्ट में अपील की, लेकिन अपील पर सुनवाई नहीं हुई। अदालत ने पुलिस प्रशासन को 3 अक्टूबर, 2025 तक कब्ज़ा लेने के वारंट जारी किए हैं। अब मामले की सुनवाई 14 नवंबर को होगी।
उन्होंने पूछा कि जब अतिक्रमण हो रहे थे, तब विभागीय अधिकारी क्या कर रहे थे? अंबेडकर नगर के सामने पावर वर्क्स की ज़मीन पर पिछले हफ़्ते अतिक्रमण शुरू हो गया था, जिस पर पावर वर्क्स ने चुप्पी साध रखी है। पावर वर्क्स वहाँ कोई परियोजना नहीं बना रहा है, इसलिए उसने अतिक्रमणकारियों को मालिकाना हक़ देने का प्रस्ताव तैयार किया है। इस पर अगले कुछ महीनों में फ़ैसला लिया जाएगा।

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