नौ महीने बाद भी 45 अवैध कालोनियां विकसित करने वालों पर कार्रवाई नहीं, पुलिस वेरिफिकेशन में फंसी
डीसी घनश्याम थोरी ने एक दिन पहले बिना मंजूरी 99 कालोनियां विकसित करने वालों पर केस दर्ज करने के लिए पुलिस कमिश्नर और एसएसपी को पत्र लिखा है।

जागरण संवाददाता, जालंधर : डीसी घनश्याम थोरी ने एक दिन पहले बिना मंजूरी 99 कालोनियां विकसित करने वालों पर केस दर्ज करने के लिए पुलिस कमिश्नर और एसएसपी को पत्र लिखा है। करीब नौ महीने पहले निगम कमिश्नर ने भी ऐसा ही एक पत्र लिखा था और 45 कालोनियां विकसित करने वालों पर केस दर्ज करने के लिए कहा था लेकिन आज तक एक कालोनाइजर पर भी केस दर्ज नहीं हो सका। पुलिस अभी भी इन कालोनियों के दस्तावेजों की जांच और फिजिकल वेरिफिकेशन पर काम कर रही है। इसके लिए नगर निगम ने पुलिस से तालमेल के लिए एक टीम तैनात की है। एमटीपी मेहरबान सिंह ने बताया कि पुलिस सभी कालोनियों का मौके पर मुआयना करेगी और उसके बाद संबंधित जमीन के दस्तावेज निकलवा कर तय करेगी कि कालोनी विकसित होने के लिए कौन जिम्मेवार है। उसके बाद ही एफआइआर दर्ज होगी। हालांकि उन्होंने इस बात से इन्कार नहीं किया कि इस प्रक्रिया में कालोनाइजरों पर अगले कई महीनों तक कार्रवाई की संभावना नहीं है। पुलिस की जांच में लंबा समय निकलेगा और इस पर कानूनी पहलुओं की भी जांच की जाएगी।
पिछले 30 सालों में सिर्फ शहर में ही 500 से ज्यादा अवैध कालोनियां विकसित हुई हैं लेकिन एफआइआर के नाम पर 20 केस भी नहीं है। इनमें भी दो-तीन केस ऐसे हैं जिसमें कोर्ट में फैसला आया है। ऐसे में मामलों में जमीन के मूल मालिक किसान फंसते हैं। कालोनाइजर खुद को कागजी कार्रवाई में दूर ही रखता है। अधिकारी ऐसी कालोनियां विकसित होने के लिए पूरी तरह जिम्मेवार है लेकिन आज तक किसी भी अधिकारी पर कार्रवाई नहीं हुई।
निगम ने सितंबर 2020 में 35 कालोनियों की पहली सूची पुलिस कमिश्नर को भेजी थी। उसके बाद भी एक लिस्ट भेजी गई थी। यह कालोनियां पिछले तीन साल में विकसित हुई हैं। इससे पहले वाली कालोनियों को मंजूर करवाने के लिए पालिसी आई थी। जिन कालोनियों को पालिसी के तहत भी मंजूर नहीं करवाया जा रहा, उनके डेवलपर्स के खिलाफ भी केस दर्ज होगा। निगम क्षेत्र में बिना मंजूरी कालोनियां विकसित करने का काम नहीं रुक रहा। इसलिए बनती हैं अवैध कालोनियां
सरकार से मंजूरी लेकर कालोनी विकसित करने में ज्यादा मुश्किलें है। अवैध कालोनियों में पार्क, कम्यूनिटी हाल, चौड़ी सड़कों को लेकर कोई नियम नहीं होते। इस वजह से जमीन का 75 प्रतिशत तक हिस्सा बेचा जा सकता है और इससे प्लाट का रेट भी कम रहता है जिससे कालोनी जल्द बिक जाती है।
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पुलिस कमिश्नर को भेजी अवैध कालोनियां की सूची
लाल मंदिर अमन नगर के पास, लम्मा पिड से कोटला रोड हरगोबिद नगर के पास, जमशेर रोड, मोहन विहार के पास, न्यू माडल हाउस के पास, ओल्ड फगवाड़ा रोड पर नई कालोनी, सलेमपुर मुसलमाना, पटेल नगर मकसूदां के पास, जीव शेल्टर के पास, अमन नगर के पास, गुगा जाहिर पीर के पास, पटेल नगर के पास, शिवाजी नगर में वैष्णो धाम मंदिर के पास, दीपनगर की बैकसाइड, काला संघिया रोड पर 66 केवी स्टेशन के पास, राम नगर बडिंग के पास, सुभाना के पास, गुलमोहर सिटी की बैकसाइड, बड़िग के पास, गांव शेखे के पास, रतन नगर मंड पैलेस के पास, नंदनपुर, गांव खुरला किगरा, नेशनल हाईवे पर संत ब्रास के सामने, राजनगर कबीर एवेन्यू के पास, कालिया कालोनी फेस 2 के पास, ट्रांसपोर्ट नगर से बुलंदपुर रोड के पास।
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रियल एस्टेट कोराबारियों ने केस दर्ज करने के फैसले पर निराशा जताई
जागरण संवाददाता, जालंधर : कांग्रेस नेता व कालोनाइजर मेजर सिंह के नेतृत्व में प्रापर्टी कारोबारियों की मीटिग में बिना एनओसी रजिस्ट्री नहीं करने के सरकार के फैसले का विरोध किया गया। इस संबंध में हुई मीटिग में बिना एनओसी के प्लाटों की रजिस्ट्री नहीं करने देने से कारोबार को नुकसान होने पर निराशा जताई गई। मेजर सिंह ने कहा कि बिना मंजूरी विकसित हुई कालोनियों के खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश गलत हैं। रेत, बजरी, सीमेंट, सरिया और अन्य बिल्डिंग मैटीरियल की कीमतों में भारी वृद्धि से निर्माण कार्य पूरी तरह ठप हो गया है। छोटे प्रापर्टी कारोबारी जो 2 से 3 मरले के प्लाट और कोठियां बेचते हैं, उनके पास अपनी रोजी रोटी कमाने का कोई जरिया नहीं बच रहा है। सरकार की नीतियों के कारण काम ठप हो रहा है। रजिस्ट्री बंद होने और प्रापर्टी कारोबार में मंदी से इस कारोबार से जुड़े लेबर-कारीगर को नुकसान उठाना पड़ रहा है। करीब 50 हजार लोग बेरोजगार हुए हैं। मीटिग में जोगिदर पाल शर्मा, हरप्रीत सिंह, मनजीत सिंह, जोगिदर सिंह, मोहित इत्यादि मौजूद रहे।
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इधर मनदीप जस्सल की इमारत की बेसमेंट भी हो सकती है सील
कांगेस के वार्ड नंबर 10 से पार्षद मनदीप जस्सल की विवादित इमारत की बेसमेंट सील होने का खतरा भी गढ़ गया है। फिलहाल नगर निगम ने अवैध निर्माण नहीं रोकने पर कामर्शियल इमारत की पहली मंजिल और दूसरी मंजिल पर चल रहे काम को रोकने के लिए सीलिग की है। अब नगर निगम की जांच में अगर बेसमेंट को पार्किंग के लिए इस्तेमाल करने के लिए खाली छोड़ने की बात सामने आती है तो बेसमेंट को कामर्शियल इस्तेमाल करने पर सील किया जा सकता है। ऐसी चर्चा थी कि सोमवार को पार्षद मनदीप जस्सल की इमारत की सील खोलने के लिए सभी पार्षद दबाव बनाएंगे लेकिन खुद मनदीप जस्सल नगर निगम नहीं पहुंचे। एमटीपी मेहरबान सिंह का कहना है कि अभी तक मनदीप जस्सल की इमारत के दस्तावेजों की जांच पूरी नहीं हुई है और सील खोलने के लिए भी उच्च अधिकारियों का कोई आदेश नहीं मिला है। जांच पूरी होने के बाद ही इस पर कुछ कहा जा सकेगा।

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