हिंदू परंपरा और मुस्लिम कारीगर... जालंधर में तीन पीढ़ियों से मुसलमान परिवार बना रहा 'रावण'
आगरा के एक मुस्लिम परिवार की तीसरी पीढ़ी जालंधर में रावण कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाने में जुटी है। यह परिवार दशहरा से पहले शहर पहुंचता है और पुतलों के लिए सामग्री जुटाता है। मोहम्मद सईद के पिता अशरफ अली ने यह परंपरा शुरू की थी। इस बार यह परिवार 12 पुतले तैयार करेगा जिनकी कीमत 80 हजार से 1.40 लाख रुपये तक होगी।

शाम सहगल, जालंधर। आगरा के एक मुस्लिम परिवार की तीसरी पीढ़ी जालंधर आकर रावण, कुंभकरण तथा मेघनाथ के पुतले तैयार करनें जुटी हुई है। पुतले तैयार करने के लिए यह मुस्लिम परिवार दशहरा से करीब डेढ़ माह पूर्व ही शहर पहुंच जाता है। फिर शुरू होता है पुतलों के लिए जरूरी सामान की खरीदारी का दौर तथा उसके बाद इन्हें तैयार करने जुगत।
जिसमें आगरा के मोहम्मद सईद तथा मोहम्मद वसीम का पूरा परिवार इसमें जुट जाता है। हालांकि, पुतले तैयार करने की यह परंपरा मोहम्मद सईद के पिता अशरफ अली ने शुरू की थी, जिसके बाद अब परिवार के बच्चे यानि तीसरी पीढ़ी भी इसमें जुटी हुई है।
एचएमवी कालेज के पास स्थित अपाहिज आश्रम के खुले परिसर में यह मुस्लिम परिवार इन दिनों रावण, कुंभकरण तथा मेघनाथ के पुतले तैयार करने में जुटा हुआ है। जिसमें मोहम्मद सईद तथा मोहम्मद वसीम की पत्नियों तथा बच्चे भी इन पुतलों को तैयार करने में अलग-अलग तरह से सहयोग कर रहे हैं।
मोहम्मद सईद के मुताबिक पुतला तैयार करने में भले ही चार से पांच दिन लगते हैं, लेकिन इसके ढांचे को बांधना, अलग-अलग हिस्सों में तैयार करना, विभिन्न प्रकार के रंगों से पेंट करना तथा आतिशबाजी भरकर उसे सुरक्षित तरीके से फिट करना की औपचारिकता में करीब सप्ताह भर लग जाता है।
आगरा से आते हैं मुस्लिम कारीगर
आगरा के इस मुस्लिम परिवार को दशहरा का इंतजार वर्ष भर रहता है। पुतले तैयार करने वाले मोहम्मद सईद तथा मोहम्मद वसीम व उनका परिवार दशहरा से डेढ़ माह पूर्व ही शहर पहुंच जाते है। इस दौरान उन्हें अपाहिज आश्रम में रहने का प्रबंध किया जाता है।
वर्ष भर भी करते हैं चूड़ियां बेचने का काम
दशहरा संपन्न होने के बाद यह मुस्लिम कारीगर वर्ष भर चूड़ियां बेचने का काम करते हैं। मोहम्मद सईद बताते है कि चूड़ियां बेचने में भी उनकी खासियत रही है। कारण, मार्केट में लेटेस्ट डिजाइन की चूड़ियां वह सहसे पहले बेचते है। जिसके चलते गली मोहल्लों में उनका इंतजार लोगों को रहता है।
पिता ही है उस्ताद
मोहम्मद सईद बताते हैं कि आगरा में उनके पिता अशरफ अली भी पुतले बनाने का काम करते थे। दशहरा के दौरान पिता से पुतले बनवाने के लिए दूर-दूर से दशहरा कमेटियां पहुंच करती थी। पिछले 15 वर्षों से अब वह रावण, कुंभकरण तथा मेघनाथ के पुतले बनाने के लिए जालंधर आ रहे है।
अपाहिज आश्रम में तैयार हो रहे तथा साई दास स्कूल की ग्राउंड में लगने वाले रावण, कुंभकरण तथा मेघनाथ के पुतलों को आकर्षक लुक देने के साथ-साथ शहर में सबसे ऊंचा पुतला तैयार करने का श्रेय भी इन मुस्लिम कारीगरों को जाता है। इस बार वह शहर में सबसे बड़ा सौ फुट का रावण का पुतला तैयार करने में जुटे हुए हैं। मोहम्मद सईद बताते हैं कि हर वर्ष कुछ अलग से पुतला तैयार करने के लिए भी उन्हें जाना जाता है। इस बार वह रावण के मुंह से चिंगारियां निकलता हुआ पुतला तैयार किया जा रहा है।
इस बार तैयार करेंगे 12 पुतले, कीमत 80 हजार से डेढ़ लाख
मोहम्मद सईद ने बताया कि इस बार उनका परिवार कुल 12 पुतले तैयार करेगा। जिसमें से 6 पुतलों के आर्डर फिरोजपुर से है व छह जालंधर में दहन किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि पुतलों की कीमत साइज के हिसाब से है। जिसके तहत 60 फीट तक का पुतला 80 हजार तथा सौ फुट का पुतला एक 1.20 से 1.40 लाख रुपए में तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हर वर्ष पटाखों के दामों में हो रहा इजाफा तथा बढ़ते खर्चों के बीच महंगे होते कच्चे माल के दामों में हो रही बढ़ोतरी के चलते ही दामों में इजाफा करना पड़ा है।
जेल रोड पर भी तीसरी पीढ़ी बना रही पुतले
जेल रोड पर रावण, कुंभकरण व मेघनाथ के पुतले तैयार करने वाले सुखदेव सिंह भी परिवार की तीसरी पीढ़ी से है। वह बताते है कि जेल रोड पर छोटे पुतले तैयार करके इन्हें दूसरी जगहों पर बेचते है। कारण, जेल रोड पर तो पूरी की पूरी मार्केट पुतलों की है, ऐसे में दूसरी जगह पर लेजाकर बेचने में खासा लाभ मिल जाता है। इन दिनों वह गढ़ा रोड, पटेल चौक, बस्ती गुजां अड्डा तथा वडाला चौक के पास अड्डा लगाकर छोटे साइज के पुतले बेच रहे है।
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